Thursday, April 28, 2011

. बिगड़ने वाले हज़ार होते है , सुदरता कोई १ है ... उसकी इज्जत करो

एक इन्स्तंत कविता

जीवन से जादा प्यारी , मोत है मुझे ,
में डरा नहीं गम से, वो थो शौक है मुझे ,
धरती से प्यार बहुत करता हु, ये रोग है मुझे ,
खड़ा हु तान के सीना देखलो पूरा होश है मुझे ,