Monday, December 9, 2013

Shivaji Maharaj defeated afzal Khan ( अफ़ज़ल खान का वध )

 

आज ही के दिन शिवाजी महाराज ने अफ़ज़ल खान का वध किया था ।
अफ़ज़ल के पास बहुत बड़ी सेना थी और अफ़ज़ल खान ताकतवर और कद में ऊँचा भी था।
जब शिवाजी महाराज अफ़ज़ल खान से मिलने गए थे तब अफ़ज़ल बोला - "आओ शिवाजी आओ, हमारे गले लग जाओ" जैसे ही शिवाजी अफ़ज़ल के गले मिले, अफ़ज़ल ने उनकी गर्दन दबानी शुरू कि और खंजर उनके पीठ में मारने लगा| लेकिन शिवाजी ने "बाघ खंजर" से अफ़ज़ल का पेट फाड़ दिया ।

इस बिच अफ़ज़ल का एक सैनिक ने शिवाजी पर वार किया लेकिन शिवाजी के साथी "जीवा महाले" बिच में आये और उसे भी ख़त्म किया।

इसीलिए कहते है - "साथ था जीवा इसीलिए बच गए शिवा"

और इस तरह क्रूर अफ़ज़ल खान का वध हुआ. ये घटना महाराष्ट्र के प्रतापगढ़ किल्ले में हुई थी जहा आज भी अफ़ज़ल कि कब्र है । आज भी कुछ जिहादी अफ़ज़ल कि कब्र पर फूल चढ़ाते है ।

Thursday, December 5, 2013

First गुरूत्वाकर्षण सिद्धान्त ( Law Of Gravitation )

1st Law Of Gravitation Hint in A Great VED 
वेद और वैदिक आर्ष ग्रन्थों में गुरूत्वाकर्षण के नियम को समझाने के लिये पर्याप्त सूत्र हैं ।

आधारशक्ति :- बृहत् जाबाल उपनिषद् में गुरूत्वाकर्षण सिद्धान्त को आधारशक्ति नाम से कहा गया है । 
इसके दो भाग किये गये हैं :- 

(१) ऊर्ध्वशक्ति या ऊर्ध्वग :- ऊपर की ओर खिंचकर जाना । जैसे अग्नि का ऊपर की ओर जाना । 

(२) अधःशक्ति या निम्नग :- नीचे की ओर खिंचकर जाना । जैसे जल का नीचे की ओर जाना या पत्थर आदि का नीचे आना ।

आर्ष ग्रन्थों से प्रमाण देते हैं :- 

(१) यह बृहत् उपनिषद् के सूत्र हैं :- 

अग्नीषोमात्मकं जगत् । ( बृ० उप० २.४ )
आधारशक्त्यावधृतः कालाग्निरयम् ऊर्ध्वगः । तथैव निम्नगः सोमः । ( बृ० उप० २.८ )

अर्थात :- सारा संसार अग्नि और सोम का समन्वय है । अग्नि की ऊर्ध्वगति है और सोम की अधोःशक्ति । इन दोनो शक्तियों के आकर्षण से ही संसार रुका हुआ है । 

(२) १५० ई० पूर्व महर्षि पतञ्जली ने व्याकरण महाभाष्य में भी गुरूत्वाकर्षण के सिद्धान्त का उल्लेख करते हुए लिखा :- 

लोष्ठः क्षिप्तो बाहुवेगं गत्वा नैव तिर्यक् गच्छति नोर्ध्वमारोहति । 
पृथिवीविकारः पृथिवीमेव गच्छति आन्तर्यतः । ( महाभाष्य :- स्थानेन्तरतमः, १/१/४९ सूत्र पर ) 

अर्थात् :- पृथिवी की आकर्षण शक्ति इस प्रकार की है कि यदि मिट्टी का ढेला ऊपर फेंका जाता है तो वह बहुवेग को पूरा करने पर, न टेढ़ा जाता है और न ऊपर चढ़ता है । वह पृथिवी का विकार है, इसलिये पृथिवी पर ही आ जाता है ।

(३) भास्कराचार्य द्वितीय पूर्व ने अपने सिद्धान्तशिरोमणि में यह कहा :- 

आकृष्टिशक्तिश्च महि तया यत् 
खस्थं गुरूं स्वाभिमुखं स्वशक्त्या ।
आकृष्यते तत् पततीव भाति 
समे समन्तात् क्व पतत्वियं खे ।। ( सिद्धान्त० भुवन० १६ ) 

अर्थात :- पृथिवी में आकर्षण शक्ति है जिसके कारण वह ऊपर की भारी वस्तु को अपनी ओर खींच लेती है । वह वस्तु पृथिवी पर गिरती हुई सी लगती है । पृथिवी स्वयं सूर्य आदि के आकर्षण से रुकी हुई है,अतः वह निराधार आकाश में स्थित है तथा अपने स्थान से हटती नहीं है और न गिरती है । वह अपनी कील पर घूमती है।

(४) वराहमिहिर ने अपने ग्रन्थ पञ्चसिद्धान्तिका में कहा :- 

पंचभमहाभूतमयस्तारा गण पंजरे महीगोलः ।
खेयस्कान्तान्तःस्थो लोह इवावस्थितो वृत्तः ।। ( पंच०पृ०३१ )

अर्थात :- तारासमूहरूपी पंजर में गोल पृथिवी इसी प्रकार रुकी हुई है जैसे दो बड़े चुम्बकों के बीच में लोहा ।

(५) आचार्य श्रीपति ने अपने ग्रन्थ सिद्धान्तशेखर में कहा है :- 

उष्णत्वमर्कशिखिनोः शिशिरत्वमिन्दौ,.. निर्हतुरेवमवनेः स्थितिरन्तरिक्षे ।। ( सिद्धान्त० १५/२१ )
नभस्ययस्कान्तमहामणीनां मध्ये स्थितो लोहगुणो यथास्ते ।
आधारशून्यो पि तथैव सर्वधारो धरित्र्या ध्रुवमेव गोलः ।। ( सिद्धान्त० १५/२२ )

अर्थात :- पृथिवी की अन्तरिक्ष में स्थिति उसी प्रकार स्वाभाविक है, जैसे सूर्य्य में गर्मी, चन्द्र में शीतलता और वायु में गतिशीलता । दो बड़े चुम्बकों के बीच में लोहे का गोला स्थिर रहता है, उसी प्रकार पृथिवी भी अपनी धुरी पर रुकी हुई है । 

(६) ऋषि पिप्पलाद ( लगभग ६००० वर्ष पूर्व ) ने प्रश्न उपनिषद् में कहा :-

पायूपस्थे - अपानम् । ( प्रश्न उप० ३.४ ) 
पृथिव्यां या देवता सैषा पुरुषस्यापानमवष्टभ्य० । ( प्रश्न उप० ३.८ )
तथा पृथिव्याम् अभिमानिनी या देवता ... सैषा पुरुषस्य अपानवृत्तिम् आकृष्य.... अपकर्षेन अनुग्रहं कुर्वती वर्तते । अन्यथा हि शरीरं गुरुत्वात् पतेत् सावकाशे वा उद्गच्छेत् । ( शांकर भाष्य, प्रश्न० ३.८ ) 

अर्थात :- अपान वायु के द्वारा ही मल मूत्र नीचे आता है । पृथिवी अपने आकर्षण शक्ति के द्वारा ही मनुष्य को रोके हुए है, अन्यथा वह आकाश में उड़ जाता । 

(७) यह ऋग्वेद के मन्त्र हैं :- 
यदा ते हर्य्यता हरी वावृधाते दिवेदिवे ।
आदित्ते विश्वा भुवनानि येमिरे ।। ( ऋ० अ० ६/ अ० १ / व० ६ / म० ३ ) 

अर्थात :- सब लोकों का सूर्य्य के साथ आकर्षण और सूर्य्य आदि लोकों का परमेश्वर के साथ आकर्षण है । इन्द्र जो वायु , इसमें ईश्वर के रचे आकर्षण, प्रकाश और बल आदि बड़े गुण हैं । उनसे सब लोकों का दिन दिन और क्षण क्षण के प्रति धारण, आकर्षण और प्रकाश होता है । इस हेतु से सब लोक अपनी अपनी कक्षा में चलते रहते हैं, इधर उधर विचल भी नहीं सकते । 

यदा सूर्य्यममुं दिवि शुक्रं ज्योतिरधारयः ।
आदित्ते विश्वा भुवनानी येमिरे ।।३।। ( ऋ० अ० ६/ अ० १ / व० ६ / म० ५ )

अर्थात :- हे परमेश्वर ! जब उन सूर्य्यादि लोकों को आपने रचा और आपके ही प्रकाश से प्रकाशित हो रहे हैं और आप अपने सामर्थ्य से उनका धारण कर रहे हैं , इसी कारण सूर्य्य और पृथिवी आदि लोकों और अपने स्वरूप को धारण कर रहे हैं । इन सूर्य्य आदि लोकों का सब लोकों के साथ आकर्षण से धारण होता है । इससे यह सिद्ध हुआ कि परमेश्वर सब लोकों का आकर्षण और धारण कर रहा है ।

Thursday, November 14, 2013

गाय के घी के अन्य महत्वपूर्ण उपयोग (Cow milk Hindi)

गाय के घी के अन्य महत्वपूर्ण उपयोग :–


1.गाय का घी नाक में डालने से पागलपन दूर होता है।
2.गाय का घी नाक में डालने से एलर्जी खत्म हो जाती है।
3.गाय का घी नाक में डालने से लकवा का रोग में भी उपचार होता है।
4.20-25 ग्राम घी व मिश्री खिलाने से शराब, भांग व गांझे का नशा कम हो जाता है।
5.गाय का घी नाक में डालने से कान का पर्दा बिना ओपरेशन के ही ठीक हो जाता है।
6.नाक में घी डालने से नाक की खुश्की दूर होती है और दिमाग तारो ताजा हो जाता है।
7.गाय का घी नाक में डालने से कोमा से बहार निकल कर चेतना वापस लोट आती है।
8.गाय का घी नाक में डालने से बाल झडना समाप्त होकर नए बाल भी आने लगते है।
9.गाय के घी को नाक में डालने से मानसिक शांति मिलती है, याददाश्त तेज होती है।
10.हाथ पाव मे जलन होने पर गाय के घी को तलवो में मालिश करें जलन ढीक होता है।
11.हिचकी के न रुकने पर खाली गाय का आधा चम्मच घी खाए, हिचकी स्वयं रुक जाएगी।
12.गाय के घी का नियमित सेवन करने से एसिडिटी व कब्ज की शिकायत कम हो जाती है।
13.गाय के घी से बल और वीर्य बढ़ता है और शारीरिक व मानसिक ताकत में भी इजाफा होता है
14.गाय के पुराने घी से बच्चों को छाती और पीठ पर मालिश करने से कफ की शिकायत दूर हो जाती है।
15.अगर अधिक कमजोरी लगे, तो एक गिलास दूध में एक चम्मच गाय का घी और मिश्री डालकर पी लें।
16.हथेली और पांव के तलवो में जलन होने पर गाय के घी की मालिश करने से जलन में आराम आयेगा।
17.गाय का घी न सिर्फ कैंसर को पैदा होने से रोकता है और इस बीमारी के फैलने को भी आश्चर्यजनक ढंग से रोकता है।
18.जिस व्यक्ति को हार्ट अटैक की तकलीफ है और चिकनाइ खाने की मनाही है तो गाय का घी खाएं, हर्दय मज़बूत होता है।
19.देसी गाय के घी में कैंसर से लड़ने की अचूक क्षमता होती है। इसके सेवन से स्तन तथा आंत के खतरनाक कैंसर से बचा जा सकता है।
20.संभोग के बाद कमजोरी आने पर एक गिलास गर्म दूध में एक चम्मच देसी गाय का घी मिलाकर पी लें। इससे थकान बिल्कुल कम हो जाएगी।
21.फफोलो पर गाय का देसी घी लगाने से आराम मिलता है।
22.गाय के घी की झाती पर मालिस करने से बच्चो के बलगम को बह


हम अगर गोरस का बखान करते करते मर जाए तो भी कुछ अंग्रेजी सभ्यता वाले हमारी बात नहीं मानेगे क्योकि वे लोग तो हम लोगो को पिछड़ा, साम्प्रदायिक और गँवार जो समझते है| उनके लिए तो वही सही है जो पश्चिम कहे तो हम उन्ही के वैज्ञानिक शिरोविच की गोरस पर खोज लाये हैं जो रुसी वैज्ञानिक है|
गाय का घी और चावल की आहुती डालने से महत्वपूर्ण गैसे जैसे – एथिलीन ऑक्साइड,प्रोपिलीन ऑक्साइड,फॉर्मल्डीहाइड आदि उत्पन्न होती हैं । इथिलीन ऑक्साइड गैस आजकल सबसे अधिक प्रयुक्त होनेवाली जीवाणुरोधक गैस है,जो शल्य-चिकित्सा (ऑपरेशन थियेटर) से लेकर जीवनरक्षक औषधियाँ बनाने तक में उपयोगी हैं । वैज्ञानिक प्रोपिलीन ऑक्साइड गैस को कृत्रिम वर्षो का आधार मानते है । आयुर्वेद विशेषज्ञो के अनुसार अनिद्रा का रोगी शाम को दोनों नथुनो में गाय के घी की दो – दो बूंद डाले और रात को नाभि और पैर के तलुओ में गौघृत लगाकर लेट जाय तो उसे प्रगाढ़ निद्रा आ जायेगी ।
गौघृत में मनुष्य – शरीर में पहुंचे रेडियोधर्मी विकिरणों का दुष्प्रभाव नष्ट करने की असीम क्षमता हैं । अग्नि में गाय का घी कि आहुति देने से उसका धुआँ जहाँ तक फैलता है,वहाँ तक का सारा वातावरण प्रदूषण और आण्विक विकरणों से मुक्त हो जाता हैं । सबसे आश्चर्यजनक बात तो यह है कि एक चम्मच गौघृत को अग्नि में डालने से एक टन प्राणवायु (ऑक्सीजन) बनती हैं जो
अन्य किसी भी उपाय से संभव नहीं हैं|देसी गाय के घी को रसायन कहा गया है। जो जवानी को कायम रखते हुए, बुढ़ापे को दूर रखता है। काली गाय का घी खाने से बूढ़ा व्यक्ति भी जवान जैसा हो जाता है।गाय के घी में स्वर्ण छार पाए जाते हैं जिसमे अदभुत औषधिय गुण होते है, जो की गाय के घी के इलावा अन्य घी में नहीं मिलते । गाय के घी से बेहतर कोई दूसरी चीज नहीं है। गाय के घी में वैक्सीन एसिड, ब्यूट्रिक एसिड, बीटा-कैरोटीन जैसे माइक्रोन्यूट्रींस मौजूद होते हैं। जिस के सेवन करने से कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से बचा जा सकता है। गाय के घी से उत्पन्न शरीर के माइक्रोन्यूट्रींस में कैंसर युक्त तत्वों से लड़ने की क्षमता होती है।यदि आप गाय के 10 ग्राम घी से हवन अनुष्ठान (यज्ञ,) करते हैं तो इसके परिणाम स्वरूप वातावरण में लगभग 1 टन ताजा ऑक्सीजन का उत्पादन कर सकते हैं। यही कारण है कि मंदिरों में गाय के घी का दीपक जलाने कि तथा , धार्मिक समारोह में यज्ञ करने कि प्रथा प्रचलित है। इससे वातावरण में फैले परमाणु विकिरणों को हटाने की अदभुत क्षमता होती है।


                                                                                                                - By Gagan Sharma Bharti

Tuesday, October 22, 2013

Shaheed Ashraf Ul Khan ( अशफ़ाक उल्ला खां )

एक महान स्वतंत्रता सेनानी को उसके जन्मदिन पर स्रधांजलि........
अशफ़ाक उल्ला खां एक निडर और प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी थे और उर्दू भाषा के एक बेहतरीन कवि भी थे, अशफ़ाक उल्ला खां का जन्म आज ही के दिन 22 अक्टूबर, 1900 को शाहजहांपुर उप्र में हुआ था, चार भाइयों में अशफ़ाक सबसे छोटे थे. इनके बड़े भाई रियायत उल्ला खां, राम प्रसाद बिस्मिल के सहपाठी थे आगे चलकर दोनों के बीच दोस्ती का गहरा संबंध विकसित हुआ आर्य समाज के एक सक्रिय सदस्य और समर्पित हिंदू राम प्रसाद बिस्मिल अन्य धर्मों के लोगों को भी बराबर सम्मान देते थे. वहीं दूसरी ओर एक कट्टर मुसलमान परिवार से संबंधित अशफ़ाक उल्ला खां भी ऐसे ही स्वभाव वाले थे जल्द ही अशफ़ाक, राम प्रसाद बिस्मिल के विश्वासपात्र बन गए. धीरे-धीरे इनकी दोस्ती भी गहरी होती गई. फिर हुआ काकोरी कांड,,,, 9 अगस्त, 1925 को राम प्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में अशफ़ाक उल्ला खां समेत आठ अन्य क्रांतिकारियों ने इस ट्रेन को लूटा राम प्रसाद बिस्मिल अपने साथियों के साथ पकड़े गए लेकिन अशफ़ाक उल्ला खां उनकी पकड़ में नहीं आए कुछ दिनों के बाद में अशफ़ाक को भी गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया और 19 दिसंबर, 1927 को एक ही दिन एक ही समय लेकिन अलग-अलग जेलों (फैजाबाद और गोरखपुर) में दो दोस्तों, राम प्रसाद बिस्मिल और अशफ़ाक उल्ला खां, को फांसी दे दी गई.उनकी आखरी दिनों की लिखी एक कविता ......

जाउगा खाली हाथ मगर ये दर्द साथ मे जायेगा ।

जाने किस दिन ये देश मेरा आजाद वतन कहलायेगा ॥
बिस्मिल हिन्दू है कहते है फिर आउगा फिर आउगा ।
फिर आकर ये भारत माँ तुझको आजाद कराउगा ॥
जी करता है मै भी कह दूँ पर मजहब से बंध जाता हूँ ।
मै मुसलमान हूँ पुनर्जन्म की बात नही कर पाता हूँ ॥
हाँ अगर मिल गया खुदा कही तो झोली फैला दूगा ।
मै जन्नत के बदले उससे फिर पुनर्जन्म ही मागूगा ॥

Thursday, October 3, 2013

Mobile phone is lost ... India

Dear friends, 

Here is an important information to share with all Mobile users..Many of us are unaware of what to do, when our mobile phone is lost....

If u lose your mobile in India, you can get it back how ? pl read following Got an interesting fact to share..
 Nowadays each one of us carries Hi-Fi Mobile devices(Smart phones) and always fear that it may be stolen.


 Each mobile carries a unique IMEI i.e. International Mobile Identity No which can be used to track your mobile anywhere in the world.This is how it works!!!!!!


1. Dial *#06# from your mobile.


2. Your mobile shows a unique 15digit.

3. Note down this no anywhere but except in your mobile as this is the No.which will help trace your mobile in case of a theft.


 4. Once stolen you just have to mail this 15 digit IMEI No. to cop@ vsnl.net


5. No need to go to police.


6. Your Mobile will be traced within next 24 hrs via a complex system of GPRS and internet.


 7. You will find where your hand set is being operated even in case your No. is being changed.


          Try UR best Luck ..TNX                         

*one more thing it works in Mobile contain tracker or should be smart phone

Friday, September 27, 2013

Matra Navami (मातृनवमी).

|| मातृ चरणकमलेभ्यो नम: ||

मातृनवमी में हमारी सब पूर्वज महिला को अवसर मिलता है। अपने खानदान के लोगो द्वारा अर्पित किये गए चीज ग्रहण करे। ।और अगर उनके सात कुछ अन्याय हुवा है थो उसकी शमा भी मिलती है जी खुल दिल से मनवॊ मातृनवमी। 
   जै माँ 

This Tithi is the most suitable day to perform mother’s Shraddha. It is believed that doing Shraddha on this Tithi appeases all deceased female members in the family. 


में कितना भाग्य्शाली हु की मेरी माँ मेरे सात है अज। …
पर जिनकी नहीं है। 
कोई बात नहीं माँ का अंश ही तो है अपना शरीर। ।
अज मातृनवमी है. 


Monday, September 23, 2013

पितृ पक्ष (श्राद्ध) में मुख्य व्यंजन "खीर" का वैज्ञानिक महत्व (Kheer)

Kheer

हमारी हर परंपरा में वैज्ञानिकता का दर्शन होता हैं अज्ञानता का नहीं


हम सब जानते है की मच्छर काटने से मलेरिया होता है वर्ष मे कम से कम 700-800 बार तो मच्छर काटते ही होंगे अर्थात 70 वर्ष की आयु तक पहुंचते-पहुंचते लाख बार मच्छर काट लेते होंगे । लेकिन अधिकांश लोगो को जीवनभर में एक दो बार ही मलेरिया होता है सारांश यह है की मच्छर के काटने से मलेरिया होता है यह 1% ही सही है ।



खीर खाओ मलेरिया भगाओ::

लेकिन यहाँ ऐसे विज्ञापनो की कमी नहीं है जो कहते है की एक भी मच्छर ‘डेंजरस’ है, हिट लाओगे तो एक भी मच्छर नहीं बचेगा अब ऐसे विज्ञापनो के झांसे मे आकर के करोड़ो लोग इस मच्छर बाजार मे अप्रत्यक्ष रूप से शामिल हो जाते है । सभी जानते है बैक्टीरिया बिना उपयुक्त वातावरन के नहीं पनप सकते जैसे दूध मे दही डालने मात्र से दही नहीं बनाता, दूध हल्का गरम होना चाहिए, उसे ढककर गरम वातावरण मे रखना होता है । बार बार हिलाने से भी दही नहीं जमता ऐसे ही मलेरिया के बैक्टीरिया को जब पिट का वातावरन मिलता है तभी वह 4 दिन में पूरे शरीर में फैलता है नहीं तो थोड़े समय में खत्म हो जाता है सारे मच्छरमार प्रयासो के बाद भी मच्छर और रोगवाहक सूक्ष्म किट नहीं काटेंगे यह हमारे हाथ में नहीं लेकिन पित्त को नियंत्रित रखना हमारे हाथ में तो है ? अब हमारी परम्पराओं का चमत्कार देखिये जिन्हे अल्पज्ञानी, दक़ियानूसी, और पिछड़ेपन की सोच करके, षड्यंत्र फैलाया जाता था ।

वर्षा ऋतु के बाद शरद ऋतु आती है आकाश में बादल धूल न होने से कडक धूप पड़ती है जिससे शरीर में पित्त कुपित होता है इसी समय गड्ढो मे जमा पानी के कारण बहुत बड़ी मात्र मे मच्छर पैदा होते है इससे मलेरिया होने का खतरा सबसे अधिक होता है ।

खीर खाने से पित्त का शमन होता है । शरद में ही पितृ पक्ष (श्राद्ध) आता है पितरों का मुख्य भोजन है खीर । इस दौरान 5-7 बार खीर खाना हो जाता है इसके बाद शरद पुर्णिमा को रातभर चाँदनी के नीचे चाँदी के पात्र में राखी खीर सुबह खाई जाती है (चाँदी का पात्र न हो तो चाँदी का चम्मच खीर मे डाल दे , लेकिन बर्तन मिट्टी या पीतल का हो, क्योंकि स्टील जहर और एल्यूमिनियम, प्लास्टिक, चीनी मिट्टी महा-जहर है) यह खीर विशेष ठंडक पहुंचाती है । गाय के दूध की हो तो अतिउत्तम, विशेष गुणकारी (आयुर्वेद मे घी से अर्थात गौ घी और दूध गौ का) इससे मलेरिया होने की संभावना नहीं के बराबर हो जाती है

ध्यान रहे : इस ऋतु में बनाई खीर में केसर और मेंवों का प्रयोग न करे ।

Saturday, August 17, 2013

Badi saunf (Fennel Benefits)

                                                          

स्वास्थ्यवर्धक सौंफ Medicinal Uses of Fennel (Saunf)


 Fennel (BadiSaunf)

मस्तिष्क संबंधी रोगों में सौंफ अत्यंत गुणकारी है। यह मस्तिष्क की कमजोरी के अतिरिक्त दृष्टि-दुर्बलता, चक्कर आना एवं पाचनशक्ति बढ़ाने में भी लाभकारी है। इसके निरंतर सेवन से दृष्टि कमजोर नहीं होती तथा मोतियाबिंद से रक्षा होती है।


* उलटी, प्यास, जी मिचलाना, पित्त-विकार, जलन, पेटदर्द, अग्निमांद्य, पेचिश, मरोड़ आदि व्याधियों में यह लाभप्रद है।


* सौंफ, धनिया व मिश्री का समभाग चूर्ण 6 ग्राम की मात्रा में भोजन के बाद लेने से हाथ-पाँव तथा पेशाब की जलन, अम्लपित्त (एसिडिटी) व सिरदर्द में आराम मिलता है।


* सौंफ और मिश्री का समभाग चूर्ण मिलाकर रखें। दो चम्मच मिश्रण दोनों समय भोजन के बाद एक से दो माह तक खाने से मस्तिष्क की कमजोरी दूर होती है तथा जठराग्नि तीव्र होती है।


* बच्चों के पेट के रोगों में दो चम्मच सौंफ का चूर्ण दो कप पानी में अच्छी तरह उबाल लें। एक चौथाई पानी शेष रहने पर छानकर ठण्डा कर लें। इसे एक-एक चम्मच की मात्रा में दिन में तीन-चार बार पिलाने से पेट का अफरा, अपच, उलटी (दूध फेंकना), मरोड़ आदि शिकायतें दूर होती हैं।


* आधी कच्ची सौंफ का चूर्ण और आधी भुनी सौंफ के चूर्ण में हींग और काला नमक मिलाकर 2 से 6 ग्राम मात्रा में दिन में तीन-चार बार प्रयोग कराएं इससे गैस और अपच दूर हो जाती है।


* भूनी हुई सौंफ और मिश्री समान मात्रा में पीसकर हर दो घंटे बाद ठंडे पानी के साथ फँकी लेने से मरोड़दार दस्त, आँव और पेचिश में लाभ होता है। यह कब्ज को दूर करती है।


* बादाम, सौंफ और मिश्री तीनों बराबर भागों में लेकर पीसकर भर दें और रोज दोनों टाइम भोजन के बाद 1 टी स्पून लें। इससे स्मरणशक्ति बढ़ती है।


* 5-6 ग्राम सौंफ लेने से लीवर ठीक रहता है और आंखों की ज्योति बढ़ती है।


* तवे पर भुनी हुई सौंफ के मिक्स्चर से अपच के मामले में बहुत लाभ होता है। दो कप पानी में उबली हुई एक चम्मच सौंफ को दो या तीन बार लेने से अपच और कफ की समस्या समाप्त होती है।


* सौंफ की ठंडाई बनाकर पीएं। इससे गर्मी शांत होगी। हाथ-पाव में जलन होने की शिकायत होने पर सौंफ के साथ बराबर मात्रा में धनिया कूट-छानकर, मिश्री मिलाकर खाना खाने के बाद 5 से 6 ग्राम मात्रा में लेने से कुछ ही दिनों में आराम हो जाता है।


* अगर गले में खराश हो गई है तो सौंफ चबाना फायदेमंद होता है।



* सौंफ चबाने से बैठा हुआ गला भी साफ हो जाता है। रोजाना सुबह-शाम खाली सौंफ खाने से खून साफ होता है जो कि त्वचा के लिए बहुत फायदेमंद होता है, इससे त्वचा चमकती है। वैसे तो सौंफ का सेवन करना स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है। इससे कई प्रकार के छोटे-मोटे रोगों से निजात मिलती है।
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English


Relieving heartburn, controlling cardiac disease, reducing obesity, treating bronchial asthma and getting rid of cough are some of the most important fennel benefits that make this herb valuable for health.
Fennel is a cooling and aromatic herb that is used in various culinary preparations as well. The fruits and leaves of this plant have a sweet flavor. Interestingly, fennel is often termed as seeds although it is a fruit.
Scientific Name: Foeniculum vulgare, Foeniculum foeniculum Karst., Foeniculum capillaceum Gilib.
Other Names: Sweet fennel, Carosella, Bari saunf, Badi shep, Mauri, Variari, Sopu, Sombu, Badian, Fenchel (German) Fenouil (French), Finocchio (Italian), Hinojo (Spanish)

Native Region

This therapeutic herb is native to the Mediterranean region. The major produces of fennel or saunf are India, China, Egypt and Turkey. Fennel is a member of the family Apiaceae (Umbelliferae).

Healing Properties

Fennel or saunf has carminative, galactagogue (promotes lactation), anti-carcinogenic, anti-inflammatory, anti-spasmodic, antimicrobial and diuretic properties.
It has a mild licorice or aniseed-like flavor because this herb contains a compound called anethole. Moreover, it is rich in phytoestrogens and includes the antioxidant flavonoid quercetin.
Fennel benefits the stomach and intestines. Thus, it aids in digestion and stimulates the metabolism. In addition, fennel helps relieve problems associated with colic, irritable bowel syndrome, spleen and promotes the function of liver and kidneys.
Besides, the herb protects against cardiovascular disease and cancers (especially, estrogen-dependent cancer). The herb can be taken in the form of fennel tea, too. It cures issues like menopausal disorders, hot flashes, flatulence, etc.
Moreover, fennel or saunf reduces anxiety, lifts depressionboosts libido, stimulatesmenstruation, lowers blood pressure, and improves memory.
It also used to treat respiratory congestion, coughbronchitissore throathoarseness in voice. Plus, fennel serves as a wonderful home medicine for obesity because it facilitatesweight loss as it works as a fat digester, and suppresses hunger and cravings.

Medicinal Uses of Fennel (Saunf)

  • • Simply chewing fennel seeds after meals improves digestion and relieves symptoms like bloating and stomach ache.

    • Roast fennel seeds lightly and grind them. Consume half a teaspoon of this powder along with warm water about two times in a day to get rid of indigestionconstipationand gas. This fennel home remedy also controls diabetes and obesity.

  • • When dealing with diarrhea, prepare a mixture by grinding five teaspoons of fennel and three teaspoons of ginger. Finally, add some honey. Mix this paste in your tea and consume three times in a day.

  • • The anti-spasmodic benefits of fennel can be derived from fennel tea which helps relive bloating, gas and other symptoms associated with irritable bowel syndrome.
  • Fennel tea can be prepared by boiling one teaspoon of fennel seeds (preferably crushed) in a cup of water about 5-10 minutes. Water can be replaced with milk as well. Besides, fennel tea bags are also available in the market.
    • Consumption of fennel tea provides relief from nausea and vomiting as well.
  • • Take one and a half cup of water, add six teaspoons of fennel seeds and an equal amount of rose petals in it. Boil the mixture and strain it. Drink this solution two times in a day to cure anemia naturally.
  •  • Fennel benefits pregnant and nursing women as it relieves morning sickness andstimulates lactation. You can again take fennel tea for this purpose. In order to increase lactation, drink an infusion prepared by boiling two teaspoons of fennel in a cup of barley water. Follow this therapy 2-3 times in a day.
  •  • Steep 50 g fennel seeds in a liter of boiling water. Cool and strain the mixture. Apply this solution on the temples and forehead three times in a day to reduce migraine.
  •  • Take a cup of water and add one teaspoon of cherubic myrobalan rind (Haritaki) and two tablespoons of fennel in it. Boil the mixture until it reduces to a quarter of the original quantity. Strain and mix a teaspoon of honey. Drinking this solution regularly in the morning on an empty stomach to fight obesity.
  •  • Boil half a liter of water mixed with a teaspoon of fennel and half a teaspoon of carom seeds for about five minutes. Cool and strain the solution. Consume a cup of this liquid regularly after having a meal to cure colic.
  •  • In case of colic in babies, feed a quarter teaspoon of fennel syrup to the baby two times in a day. To prepare this syrup boil three teaspoons of fennel seeds in a cup of water. Then, add half a cup of sugar in the mixture and boil until it becomes thick like syrup.
  •  • Keep a handful of fennel seeds soaked in water overnight. Next morning, strain the solution. Mix a pinch of black salt and little sugar in it. Drink this solution to prevent and cure heat stroke.
  • • Add half a teaspoon of fennel in a cup of water and boil until the solution reduces to half. Cool and strain the liquid. Use it as eye drop to treat eye irritation and inflammation.
  •  • Drinking a cup of carrot juice mixed with half a teaspoon of powdered fennel seeds is useful when dealing with weakening of optic nerves and night blindness.
  • Fennel benefits
  • • Mix 2-3 drops of fennel oil in a tablespoon of honey and have a teaspoon of this fennel home remedy for sore throat and cough relief. Gargling with warm fennel water is also helpful.  When used as a mouthwash, it removes bad breath naturally.

  • • Fennel benefits in healing joint pains and muscle strains. Thus, it is useful in the natural treatment of arthritis and rheumatism. You can massage the affected area with fennel oil.

  • • Applying a combination of one drop fennel, one drop geranium, two drops clary sageoil and a tablespoon of whole fat milk on the lower abdominal area reduces PMS andmenstrual cramps. Combination of rosemary and fennel essential oils relieves stress. It can also help cure cellulite.

  • • Mix one teaspoon each of fennel and cardamom seeds. Grind the mixture and take a quarter teaspoon of this powder along with water after meals to heal indigestion.
This aromatic herb is also used as a mouth freshener as it removes bad breath. Moreover, fennel home remedies are helpful in getting rid of fleas.
The essential oil of fennel is used in certain soaps and perfumes. It is believed that fennel (Saunf) is among the nine sacred herbs of the Anglo-Saxons.

Precautions

Allergy to this herb is not too common. Nonetheless, those who are sensitive to mugwort, celery or carrots may be allergic to fennel as well.
Fennel supplements can increase the chances of seizures in epileptic patients. Besides, pregnant women should consult with a health care professional before using fennel oil.

Although saunf or fennel benefits the health in numerous ways, it is suggested not consume this herb in excess because it can affect the estrogen levels in the body. Moreover, application of fennel oil on skin can increase skin’s sensitivity to sunlight and hence prone to sunburn.

Friday, August 16, 2013

Surya Namaskar 12 Types

सूर्यनमस्कार के क्या हैं फायदे ?

  • Surya Namaskar consists of 12 different bodily postures that ought to be performed in particular sequence.
  • Practicing Surya Namaskar is beneficial for the health of digestive system. It stretches the abdominal muscles. Regular practice of Surya Namaskar helps to lose excessive belly fat and gives flat stomach.
  • Surya Namaskar is the ideal exercise to cope with insomnia and related disorders. Surya Namaskar practice calms the mind, thus helps to get sound sleep.
  • Surya Namaskar practice regulates irregular menstrual cycles. Practicing Surya Namaskar ensures the easy childbirth. It helps to decrease the fear of pregnancy and childbirth.
  • Surya Namaskar practice boosts blood circulation and helps to prevent hair graying, hair fall, and dandruff. It also improves the growth of hair making it long.
  • Regular practice of Surya Namaskar helps to lose extra calories and reduce fat. It helps to stay thin. Practicing Surya Namaskar is the easiest way to be in shape.
  • Sun salutation exercise helps to add glow on your face making facial skin radiant and ageless. It is the natural solution to prevent onset of wrinkles.
  • Regular practice of sun salutation boosts endurance power. It gives vitality and strength. It also reduces the feeling of restlessness and anxiety.
  • Daily practice of Surya Namaskar makes body flexible. It improves flexibility in spine and in limbs.
It is beneficial to practice Surya Namaskar early in the morning. The early morning sunrays are rich source of vitamin D that is necessary to get strong bones and clear vision.

Sun salutation that is known as Surya Namaskar in Sanskrit is one of the popular forms of Hatha Yoga. For ages sun is worshipped as one of the natural and powerful forces. Regular practice of Surya Namaskar is the way towards good health.

17 August on the name of Madan Lal Dhingra (1883–1909) मदन लाल ढींगरा (जन्म- 18 फ़रवरी, 1883; मृत्यु- 17 अगस्त, 1909)

Madan Lal Dhingra (1883–1909)
 मदन लाल ढींगरा (जन्म- 18 फ़रवरी, 1883; मृत्यु- 17 अगस्त, 1909) 


भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान क्रान्तिकारी थे। स्वतंत्रत भारत के निर्माण के लिए भारत-माता के कितने शूरवीरों ने हंसते-हंसते अपने प्राणों का उत्सर्ग किया था, उन्हीं महान शूरवीरों में ‘अमर शहीद मदन लाल ढींगरा’ का नाम स्वर्णाक्षरों में लिखे जाने योग्य हैं। अमर शहीद मदनलाल ढींगरा महान देशभक्त, धर्मनिष्ठ क्रांतिकारी थे- वे भारत माँ की आज़ादी के लिए जीवन-पर्यन्त प्रकार के कष्ट सहन किए परन्तु अपने मार्ग से विचलित न हुए और स्वाधीनता प्राप्ति के लिए फांसी पर झूल गए।

आरंभिक जीवन

मदन लाल ढींगरा का जन्म सन् 1883 में पंजाब में एक संपन्न हिंदू परिवार में हुआ था। उनके पिता सिविल सर्जन थे और अंग्रेज़ी रंग में पूरे रंगे हुए थे; परंतु माताजी अत्यन्त धार्मिक एवं भारतीय संस्कारों से परिपूर्ण महिला थीं। उनका परिवार अंग्रेजों का विश्वासपात्र था। जब मदन लाल को भारतीय स्वतंत्रता सम्बन्धी क्रान्ति के आरोप में लाहौर के एक विद्यालय से निकाल दिया गया, तो परिवार ने मदन लाल से नाता तोड लिया। मदन लाल को एक क्लर्क रूप में, एक तांगा-चालक के रूप में और एक कारखाने में श्रमिक के रूप में काम करना पडा। वहाँ उन्होंने एक यूनियन (संघ) बनाने का प्रयास किया; परंतु वहां से भी उन्हें निकाल दिया गया। कुछ दिन उन्होंने मुम्बई में भी काम किया। अपनी बड़े भाई से विचार विमर्श कर वे सन् 1906 में उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैड गये जहां 'यूनिवर्सिटी कॉलेज' लंदन में यांत्रिक प्रौद्योगिकी में प्रवेश लिया। इसके लिए उन्हें उनके बडे भाई एवं इंग्लैंड के कुछ राष्ट्रवादी कार्यकर्ताओं से आर्थिक सहायता मिली।

सावरकर का सानिध्य

लंदन में वह विनायक दामोदर सावरकर और श्याम जी कृष्ण वर्मा जैसे कट्टर देशभक्तों के संपर्क में आए। सावरकर ने उन्हें हथियार चलाने का प्रशिक्षण दिया। ढींगरा 'अभिनव भारत मंडल' के सदस्य होने के साथ ही 'इंडिया हाउस' नाम के संगठन से भी जुड़ गए जो भारतीय विद्यार्थियों के लिए राजनीतिक गतिविधियों का आधार था। इस दौरान सावरकर और ढींगरा के अतिरिक्त ब्रिटेन में पढ़ने वाले अन्य बहुत से भारतीय छात्र भारत में खुदीराम बोस, कनानी दत्त, सतिंदर पाल और कांशीराम जैसे देशभक्तों को फांसी दिए जाने की घटनाओं से तिलमिला उठे और उन्होंने बदला लेने की ठानी।

कर्ज़न वाइली की हत्या

1 जुलाई 1909 को 'इंडियन नेशनल एसोसिएशन' के लंदन में आयोजित वार्षिक दिवस समारोह में बहुत से भारतीय और अंग्रेज़ शामिल हुए। ढींगरा इस समारोह में अंग्रेज़ों को सबक सिखाने के उद्देश्य से गए थे। अंग्रेज़ों के लिए भारतीयों से जासूसी कराने वाले ब्रिटिश अधिकारी सर कर्ज़न वाइली ने जैसे ही हाल में प्रवेश किया तो ढींगरा ने रिवाल्वर से उस पर चार गोलियां दाग़ दीं। कर्ज़न को बचाने की कोशिश करने वाला पारसी डॉक्टर कोवासी ललकाका भी ढींगरा की गोलियों से मारा गया।

निधन

कर्ज़न वाइली को गोली मारने के बाद मदन लाल ढींगरा ने अपने पिस्तौल से अपनी हत्या करनी चाही; परंतु उन्हें पकड लिया गया। 23 जुलाई को ढींगरा के प्रकरण की सुनवाई पुराने बेली कोर्ट, लंदन में हुई। उनको मृत्युदण्ड दिया गया और 17 अगस्त सन् 1909 को फांसी दे दी गयी। इस महान क्रांतिकारी के रक्त से राष्ट्रभक्ति के जो बीज उत्पन्न हुए वह हमारे देश के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण योगदान है।




जय हिन्द