Friday, September 27, 2013

Matra Navami (मातृनवमी).

|| मातृ चरणकमलेभ्यो नम: ||

मातृनवमी में हमारी सब पूर्वज महिला को अवसर मिलता है। अपने खानदान के लोगो द्वारा अर्पित किये गए चीज ग्रहण करे। ।और अगर उनके सात कुछ अन्याय हुवा है थो उसकी शमा भी मिलती है जी खुल दिल से मनवॊ मातृनवमी। 
   जै माँ 

This Tithi is the most suitable day to perform mother’s Shraddha. It is believed that doing Shraddha on this Tithi appeases all deceased female members in the family. 


में कितना भाग्य्शाली हु की मेरी माँ मेरे सात है अज। …
पर जिनकी नहीं है। 
कोई बात नहीं माँ का अंश ही तो है अपना शरीर। ।
अज मातृनवमी है. 


Monday, September 23, 2013

पितृ पक्ष (श्राद्ध) में मुख्य व्यंजन "खीर" का वैज्ञानिक महत्व (Kheer)

Kheer

हमारी हर परंपरा में वैज्ञानिकता का दर्शन होता हैं अज्ञानता का नहीं


हम सब जानते है की मच्छर काटने से मलेरिया होता है वर्ष मे कम से कम 700-800 बार तो मच्छर काटते ही होंगे अर्थात 70 वर्ष की आयु तक पहुंचते-पहुंचते लाख बार मच्छर काट लेते होंगे । लेकिन अधिकांश लोगो को जीवनभर में एक दो बार ही मलेरिया होता है सारांश यह है की मच्छर के काटने से मलेरिया होता है यह 1% ही सही है ।



खीर खाओ मलेरिया भगाओ::

लेकिन यहाँ ऐसे विज्ञापनो की कमी नहीं है जो कहते है की एक भी मच्छर ‘डेंजरस’ है, हिट लाओगे तो एक भी मच्छर नहीं बचेगा अब ऐसे विज्ञापनो के झांसे मे आकर के करोड़ो लोग इस मच्छर बाजार मे अप्रत्यक्ष रूप से शामिल हो जाते है । सभी जानते है बैक्टीरिया बिना उपयुक्त वातावरन के नहीं पनप सकते जैसे दूध मे दही डालने मात्र से दही नहीं बनाता, दूध हल्का गरम होना चाहिए, उसे ढककर गरम वातावरण मे रखना होता है । बार बार हिलाने से भी दही नहीं जमता ऐसे ही मलेरिया के बैक्टीरिया को जब पिट का वातावरन मिलता है तभी वह 4 दिन में पूरे शरीर में फैलता है नहीं तो थोड़े समय में खत्म हो जाता है सारे मच्छरमार प्रयासो के बाद भी मच्छर और रोगवाहक सूक्ष्म किट नहीं काटेंगे यह हमारे हाथ में नहीं लेकिन पित्त को नियंत्रित रखना हमारे हाथ में तो है ? अब हमारी परम्पराओं का चमत्कार देखिये जिन्हे अल्पज्ञानी, दक़ियानूसी, और पिछड़ेपन की सोच करके, षड्यंत्र फैलाया जाता था ।

वर्षा ऋतु के बाद शरद ऋतु आती है आकाश में बादल धूल न होने से कडक धूप पड़ती है जिससे शरीर में पित्त कुपित होता है इसी समय गड्ढो मे जमा पानी के कारण बहुत बड़ी मात्र मे मच्छर पैदा होते है इससे मलेरिया होने का खतरा सबसे अधिक होता है ।

खीर खाने से पित्त का शमन होता है । शरद में ही पितृ पक्ष (श्राद्ध) आता है पितरों का मुख्य भोजन है खीर । इस दौरान 5-7 बार खीर खाना हो जाता है इसके बाद शरद पुर्णिमा को रातभर चाँदनी के नीचे चाँदी के पात्र में राखी खीर सुबह खाई जाती है (चाँदी का पात्र न हो तो चाँदी का चम्मच खीर मे डाल दे , लेकिन बर्तन मिट्टी या पीतल का हो, क्योंकि स्टील जहर और एल्यूमिनियम, प्लास्टिक, चीनी मिट्टी महा-जहर है) यह खीर विशेष ठंडक पहुंचाती है । गाय के दूध की हो तो अतिउत्तम, विशेष गुणकारी (आयुर्वेद मे घी से अर्थात गौ घी और दूध गौ का) इससे मलेरिया होने की संभावना नहीं के बराबर हो जाती है

ध्यान रहे : इस ऋतु में बनाई खीर में केसर और मेंवों का प्रयोग न करे ।