आज ही के दिन शिवाजी महाराज ने अफ़ज़ल खान का वध किया था ।
अफ़ज़ल के पास बहुत बड़ी सेना थी और अफ़ज़ल खान ताकतवर और कद में ऊँचा भी था।
जब शिवाजी महाराज अफ़ज़ल खान से मिलने गए थे तब अफ़ज़ल बोला - "आओ शिवाजी आओ, हमारे गले लग जाओ" जैसे ही शिवाजी अफ़ज़ल के गले मिले, अफ़ज़ल ने उनकी गर्दन दबानी शुरू कि और खंजर उनके पीठ में मारने लगा| लेकिन शिवाजी ने "बाघ खंजर" से अफ़ज़ल का पेट फाड़ दिया ।
इस बिच अफ़ज़ल का एक सैनिक ने शिवाजी पर वार किया लेकिन शिवाजी के साथी "जीवा महाले" बिच में आये और उसे भी ख़त्म किया।
इसीलिए कहते है - "साथ था जीवा इसीलिए बच गए शिवा"
और इस तरह क्रूर अफ़ज़ल खान का वध हुआ. ये घटना महाराष्ट्र के प्रतापगढ़ किल्ले में हुई थी जहा आज भी अफ़ज़ल कि कब्र है । आज भी कुछ जिहादी अफ़ज़ल कि कब्र पर फूल चढ़ाते है ।
जब शिवाजी महाराज अफ़ज़ल खान से मिलने गए थे तब अफ़ज़ल बोला - "आओ शिवाजी आओ, हमारे गले लग जाओ" जैसे ही शिवाजी अफ़ज़ल के गले मिले, अफ़ज़ल ने उनकी गर्दन दबानी शुरू कि और खंजर उनके पीठ में मारने लगा| लेकिन शिवाजी ने "बाघ खंजर" से अफ़ज़ल का पेट फाड़ दिया ।
इस बिच अफ़ज़ल का एक सैनिक ने शिवाजी पर वार किया लेकिन शिवाजी के साथी "जीवा महाले" बिच में आये और उसे भी ख़त्म किया।
इसीलिए कहते है - "साथ था जीवा इसीलिए बच गए शिवा"
और इस तरह क्रूर अफ़ज़ल खान का वध हुआ. ये घटना महाराष्ट्र के प्रतापगढ़ किल्ले में हुई थी जहा आज भी अफ़ज़ल कि कब्र है । आज भी कुछ जिहादी अफ़ज़ल कि कब्र पर फूल चढ़ाते है ।