कभी हम दैाड़े नहीं, तो जीत भी हुई नहीं,
डट कर अड़े नहीं, चौट भी लगी नहीं,
फुरसत ही नही मिली, प्यार भी किया नहीं,
मदहोश अपने धुन में थे��, खव्ब��में जिया नहीं,
संघर्ष तो मजाक था, कुछतो हुवा नहीं,
दस्तके अब आ रही〰, समझ कुछ पाया नहीं��,
जिंदगी जानेको हे��, और कुछ किया नहीं,
ये प्रकृति��, ये प्यार, जीवन का वेवहार��
अभी तक दिखा�� नहीं,
नोट�� ने खई ये जिंदगी,
वोटमें गवाई जिंदगी
�� खा लिया ! ज़िन्दगी ये कीमती,
कियु ना में जिया एक बार?
�� थोड़ी और दे न मालिक ! ये जिंदगी उधार
आभी रह गया अपनों से करना प्यार��
सपना टुटा! और समज आया मुझे
दिन गये बीत हे कितने��,
अभी कुछ किया न हमने।।
--------------+--+--+--+----------------
ये जिंदगी बहुत अन्मोल हे, सत कर्मो में लगा दीजो
दो रोटी मिलती हे न खानेको !! बस उतनेमे ही बिता दीजो
--------------+--+--+--+----------------
राम राम��
Sunday, May 25, 2014
क्या कर रहे है हम?
Subscribe to:
Posts (Atom)