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सुख और दुख
एक गुरु के दो शिष्य थे। दोनों किसान थे। वे नित्य भगवान की आराधना करते थे किंतु विडंबना यह थी कि उनमें एक सुखी था, तो दूसरा बहुत दुखी।
गुरु की मृत्यु पहले हुई और शिष्यों की बाद में। संयोग से स्वर्गलोक में तीनों को एक ही स्थान मिला। स्थिति यहाँ भी पहले जैसी थी। जो मृत्युलोक में सुखी था, वह वहाँ स्वर्ग में भी प्रसन्नता का अनुभव कर रहा था और जो पृथ्वी पर दुखी था, वह वहाँ भी अशांत दिखाई पड़ा।
यह देख दुखी शिष्य ने गुरु से कहा, ‘‘लोग कहते हैं कि ईश्वर-भक्ति से स्वर्ग में सुख मिलता है, पर हम तो यहां भी दुखी के दुखी ही रहे।’’
गुरु ने गंभीर होकर उत्तर दिया, ‘‘वत्स, भक्ति से स्वर्ग तो मिल सकता है, पर सुख और दु:ख मन की अवस्था है। मन मुक्त हो तो नरक में भी सुख है और मन मुक्त न हो तो स्वर्ग में भी कोई सुख नहीं है। जिसका मन जितना मुक्त है, वह उतना ही सुखी है।’’
-------///-----------
एक सेठ जी थे -
जिनके पास काफी दौलत थी.
सेठ जी ने अपनी बेटी की शादी एक बड़े घर में की थी.
परन्तु बेटी के भाग्य में सुख न होने के कारण उसका पति जुआरी, शराबी निकल गया.
जिससे सब धन समाप्त हो गया.
बेटी की यह हालत देखकर सेठानी जी रोज सेठ जी से कहती कि आप दुनिया की मदद करते हो,
मगर अपनी बेटी परेशानी में होते हुए उसकी मदद क्यों नहीं करते हो?
सेठ जी कहते कि
"जब उनका भाग्य उदय होगा तो अपने आप सब मदद करने को तैयार हो जायेंगे..."
एक दिन सेठ जी घर से बाहर गये थे कि, तभी उनका दामाद घर आ गया.
सास ने दामाद का आदर-सत्कार किया और बेटी की मदद करने का विचार उसके मन में आया कि क्यों न मोतीचूर के लड्डूओं में अर्शफिया रख दी जाये...
यह सोचकर सास ने लड्डूओ के बीच में अर्शफिया दबा कर रख दी और दामाद को टीका लगा कर विदा करते समय पांच किलों शुद्ध देशी घी के लड्डू, जिनमे अर्शफिया थी, दिये...
दामाद लड्डू लेकर घर से चला,
दामाद ने सोचा कि इतना वजन कौन लेकर जाये क्यों न यहीं मिठाई की दुकान पर बेच दिये जायें और दामाद ने वह लड्डुयों का पैकेट मिठाई वाले को बेच दिया और पैसे जेब में डालकर चला गया.
उधर सेठ जी बाहर से आये तो उन्होंने सोचा घर के लिये मिठाई की दुकान से मोतीचूर के लड्डू लेता चलू और सेठ जी ने दुकानदार से लड्डू मांगे...मिठाई वाले ने वही लड्डू का पैकेट सेठ जी को वापिस बेच दिया.
सेठ जी लड्डू लेकर घर आये.. सेठानी ने जब लड्डूओ का वही पैकेट देखा तो सेठानी ने लड्डू फोडकर देखे, अर्शफिया देख कर अपना माथा पीट लिया.
सेठानी ने सेठ जी को दामाद के आने से लेकर जाने तक और लड्डुओं में अर्शफिया छिपाने की बात कह डाली...
सेठ जी बोले कि भाग्यवान मैंनें पहले ही समझाया था कि अभी उनका भाग्य नहीं जागा...
देखा मोहरें ना तो दामाद के भाग्य में थी और न ही मिठाई वाले के भाग्य में...
इसलिये कहते हैं कि भाग्य से
ज्यादा
और...
समय
से पहले न किसी को कुछ मिला है और न मीलेगा!ईसी लिये ईशवर जितना दे उसी मै संतोष करो...
झूला जितना पीछे जाता है, उतना ही आगे आता है।एकदम बराबर।
सुख और दुख दोनों ही जीवन में बराबर आते हैं।
जिंदगी का झूला पीछे जाए, तो डरो मत, वह आगे भी आएगा।
बहुत ही खूबसूरत लाईनें.
.किसी की मजबूरियाँ पे न हँसिये,
कोई मजबूरियाँ ख़रीद कर नहीं लाता..!
डरिये वक़्त की मार से,बुरा वक़्त किसीको बताकर नही आता..!
अकल कितनी भी तेज ह़ो,नसीब के बिना नही जीत सकती..!
बीरबल अकलमंद होने के बावजूद,कभी बादशाह नही बन सका...!!
""ना तुम अपने आप को गले लगा सकते हो, ना ही तुम अपने कंधे पर सर रखकर रो सकते हो एक दूसरे के लिये जीने का नाम ही जिंदगी है!
इसलिये वक़्त उन्हें दो जो तुम्हे चाहते हों दिल से!
रिश्ते पैसो के मोहताज़ नहीं होते क्योकि कुछ रिश्ते मुनाफा नहीं देते पर जीवन अमीर जरूर बना देते है !!! "☝☝
SLM
---------////----------
एक विदेशी महिला ने विवेकानंद से कहा - मैं आपसे शादी करना चाहती
हूँ"।
विवेकानंद ने पूछा- "क्यों देवी ? पर मैं तो ब्रह्मचारी
हूँ"।
महिला ने जवाब दिया -"क्योंकि मुझे आपके जैसा
ही एक पुत्र चाहिए, जो पूरी दुनिया में मेरा नाम रौशन करे और वो केवल आपसे शादी
करके ही मिल सकता है मुझे"।
विवेकानंद कहते हैं - "इसका और एक उपाय है"
विदेशी महिला पूछती है -"क्या"?
विवेकानंद ने मुस्कुराते हुए कहा -"आप मुझे ही अपना
पुत्र मान लीजिये और आप मेरी माँ बन जाइए ऐसे में आपको मेरे जैसा पुत्र भी मिल
जाएगा और मुझे अपना ब्रह्मचर्य भी नही तोड़ना
पड़ेगा"
महिला हतप्रभ होकर विवेकानंद को ताकने लगी
और रोने लग गयी,
ये होती है महान आत्माओ की विचार धारा ।
"पूरे समुंद्र का पानी भी एक जहाज को नहीं डुबा सकता, जब तक पानी को जहाज अन्दर न आने दे।
इसी तरह दुनिया का कोई भी नकारात्मक विचार आपको नीचे नहीं गिरा सकता, जब तक आप उसे अपने
अंदर आने की अनुमति न दें।"
"अंदाज़ कुछ अलग हैं मेरे सोचने का,,
सब को मंजिल का शौक है और मुझे रास्तों का...
ये दुनिया इसलिए बुरी नही के यहाँ बुरे लोग ज्यादा है।
बल्कि इसलिए बुरी है कि यहाँ अच्छे
लोग खामोश है..!!!
अच्छा लगा हो तो शेयर जरुर कीजिएगा...🙏
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सब्र कर बन्दे ..
मुसीबत के दिन गुजर जायेंगे !!
आज जो तुझे देख के हंसते है ,
वो कल तुझे देखते रह जायेंगे !!
त्याग दे सब ख्वाहिशे ..
कुछ अलग करने के लिए !!
" राम " ने भी खोया बहुत कुछ ,
" श्री राम " बनने के लिए ..!🙏🏽🙏🏽
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गुरू से शिष्य ने कहा: गुरूदेव ! एक व्यक्ति ने आश्रम के लिये गाय भेंट की है।
गुरू ने कहा - अच्छा हुआ । दूध पीने को मिलेगा।
एक सप्ताह बाद शिष्य ने आकर गुरू से कहा: गुरू ! जिस व्यक्ति ने गाय दी थी, आज वह अपनी गाय वापिस ले गया ।
गुरू ने कहा - अच्छा हुआ ! गोबर उठाने की झंझट से मुक्ति मिली।
'परिस्थिति' बदले तो अपनी 'मनस्थिति' बदल लो । बस दुख सुख में बदल जायेगा.।
"सुख दुख आख़िर दोनों
मन के ही तो समीकरण हैं।"
🙏🏻🌞
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🌹🌀🌹🌀🌹🌀🌹🌀🌹🌀🌹किसी कवि ने क्या खूब लिखा है।
बिक रहा है पानी,पवन बिक न जाए ,
बिक गयी है धरती, गगन बिक न जाए
चाँद पर भी बिकने लगी है जमीं .,
डर है की सूरज की तपन बिक न जाए ,
हर जगह बिकने लगी है स्वार्थ नीति,
डर है की कहीं धर्म बिक न जाए ,
देकर दहॆज ख़रीदा गया है अब दुल्हे को ,
कही उसी के हाथों दुल्हन बिक न जाए ,
हर काम की रिश्वत ले रहे अब ये नेता ,
कही इन्ही के हाथों वतन बिक न जाए ,
सरे आम बिकने लगे अब तो सांसद ,
डर है की कहीं संसद भवन बिक न जाए ,
आदमी मरा तो भी आँखें खुली हुई हैं
डरता है मुर्दा , कहीं कफ़न बिक न जाए।
🌀🌹🌀🌹🌀🌹🌀🌹🌀🌹🌀🌹🌀🌹🌀🌹🌀🌹
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अंधे को मंदिर आया देख
लोग हँसकर बोले -
"मंदिर में दर्शन के लिए आए तो हो,
पर क्या भगवान को देख पाओगे?"
अंधे ने कहा -"क्या फर्क पड़ता है,
मेरा भगवान तो
मुझे देख लेगा."
द्रष्टि नहीं द्रष्टिकोण सकारात्मक होना चाहिए।-🙏
🙏🏻🌞
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इस युग में!, मंदिर जाने का समय मिले या ना,
मधुशाला कंपलसरी है!!🍻🍗
और हां ! चिडियो को दाना खिलाते तो है,
कुछ लोग तो चिड़िया ही खा जाते है!!
हम इंसान है!!
और इंसानियत हमारा धर्म!🙏🏻
सुबह जल्दी जागो, और दिन भर भागो
राम🙏🏻 राम
🔹🌞🔹👭👭👭👭👭👭👭👭👭👭
👭 🙏रAम रAम 🙏 👭
👭 ⚓ जमीन अच्छी हो 👭
👭 खाद अच्छा हो 👭
👭 परंतु 'पानी' अगर 👭
👭 'खारा' हो तो 👭
👭 फूल खिलते नहीं । 👭
👭 ⚓ भाव अच्छे हो 👭
👭 कर्म भी अच्छे हो 👭
👭 मगर 'वाणी' खराब हो तो 👭
👭 'सम्बन्ध' कभी टिकते नहीं। 👭
👭👭👭👭👭👭---------
वक्त की एक आदत बहुत
अच्छी है,
जैसा भी हो,
गुजर जाता है..!
“कामयाब इंसान खुश
रहे ना रहे.......
खुश रहने वाला इंसान .
कामयाब जरूर हो जाता..
----------
''इंसान ने वक़्त से पूछा...
"मै हार क्यूं जाता हूँ ?"
वक़्त ने कहा..
धूप हो या छाँव हो,
काली रात हो या बरसात हो,
चाहे कितने भी बुरे हालात हो,
मै हर वक़्त चलता रहता हूँ,
इसीलिये मैं जीत जाता हूँ,
तू भी मेरे साथ चल,
कभी नहीं हारेगा............."
🙏 जय गुरुदेव 🙏
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सुख और दुख
एक गुरु के दो शिष्य थे। दोनों किसान थे। वे नित्य भगवान की आराधना करते थे किंतु विडंबना यह थी कि उनमें एक सुखी था, तो दूसरा बहुत दुखी।
गुरु की मृत्यु पहले हुई और शिष्यों की बाद में। संयोग से स्वर्गलोक में तीनों को एक ही स्थान मिला। स्थिति यहाँ भी पहले जैसी थी। जो मृत्युलोक में सुखी था, वह वहाँ स्वर्ग में भी प्रसन्नता का अनुभव कर रहा था और जो पृथ्वी पर दुखी था, वह वहाँ भी अशांत दिखाई पड़ा।
यह देख दुखी शिष्य ने गुरु से कहा, ‘‘लोग कहते हैं कि ईश्वर-भक्ति से स्वर्ग में सुख मिलता है, पर हम तो यहां भी दुखी के दुखी ही रहे।’’
गुरु ने गंभीर होकर उत्तर दिया, ‘‘वत्स, भक्ति से स्वर्ग तो मिल सकता है, पर सुख और दु:ख मन की अवस्था है। मन मुक्त हो तो नरक में भी सुख है और मन मुक्त न हो तो स्वर्ग में भी कोई सुख नहीं है। जिसका मन जितना मुक्त है, वह उतना ही सुखी है।’’
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एक सेठ जी थे -
जिनके पास काफी दौलत थी.
सेठ जी ने अपनी बेटी की शादी एक बड़े घर में की थी.
परन्तु बेटी के भाग्य में सुख न होने के कारण उसका पति जुआरी, शराबी निकल गया.
जिससे सब धन समाप्त हो गया.
बेटी की यह हालत देखकर सेठानी जी रोज सेठ जी से कहती कि आप दुनिया की मदद करते हो,
मगर अपनी बेटी परेशानी में होते हुए उसकी मदद क्यों नहीं करते हो?
सेठ जी कहते कि
"जब उनका भाग्य उदय होगा तो अपने आप सब मदद करने को तैयार हो जायेंगे..."
एक दिन सेठ जी घर से बाहर गये थे कि, तभी उनका दामाद घर आ गया.
सास ने दामाद का आदर-सत्कार किया और बेटी की मदद करने का विचार उसके मन में आया कि क्यों न मोतीचूर के लड्डूओं में अर्शफिया रख दी जाये...
यह सोचकर सास ने लड्डूओ के बीच में अर्शफिया दबा कर रख दी और दामाद को टीका लगा कर विदा करते समय पांच किलों शुद्ध देशी घी के लड्डू, जिनमे अर्शफिया थी, दिये...
दामाद लड्डू लेकर घर से चला,
दामाद ने सोचा कि इतना वजन कौन लेकर जाये क्यों न यहीं मिठाई की दुकान पर बेच दिये जायें और दामाद ने वह लड्डुयों का पैकेट मिठाई वाले को बेच दिया और पैसे जेब में डालकर चला गया.
उधर सेठ जी बाहर से आये तो उन्होंने सोचा घर के लिये मिठाई की दुकान से मोतीचूर के लड्डू लेता चलू और सेठ जी ने दुकानदार से लड्डू मांगे...मिठाई वाले ने वही लड्डू का पैकेट सेठ जी को वापिस बेच दिया.
सेठ जी लड्डू लेकर घर आये.. सेठानी ने जब लड्डूओ का वही पैकेट देखा तो सेठानी ने लड्डू फोडकर देखे, अर्शफिया देख कर अपना माथा पीट लिया.
सेठानी ने सेठ जी को दामाद के आने से लेकर जाने तक और लड्डुओं में अर्शफिया छिपाने की बात कह डाली...
सेठ जी बोले कि भाग्यवान मैंनें पहले ही समझाया था कि अभी उनका भाग्य नहीं जागा...
देखा मोहरें ना तो दामाद के भाग्य में थी और न ही मिठाई वाले के भाग्य में...
इसलिये कहते हैं कि भाग्य से
ज्यादा
और...
समय
से पहले न किसी को कुछ मिला है और न मीलेगा!ईसी लिये ईशवर जितना दे उसी मै संतोष करो...
झूला जितना पीछे जाता है, उतना ही आगे आता है।एकदम बराबर।
सुख और दुख दोनों ही जीवन में बराबर आते हैं।
जिंदगी का झूला पीछे जाए, तो डरो मत, वह आगे भी आएगा।
बहुत ही खूबसूरत लाईनें.
.किसी की मजबूरियाँ पे न हँसिये,
कोई मजबूरियाँ ख़रीद कर नहीं लाता..!
डरिये वक़्त की मार से,बुरा वक़्त किसीको बताकर नही आता..!
अकल कितनी भी तेज ह़ो,नसीब के बिना नही जीत सकती..!
बीरबल अकलमंद होने के बावजूद,कभी बादशाह नही बन सका...!!
""ना तुम अपने आप को गले लगा सकते हो, ना ही तुम अपने कंधे पर सर रखकर रो सकते हो एक दूसरे के लिये जीने का नाम ही जिंदगी है!
इसलिये वक़्त उन्हें दो जो तुम्हे चाहते हों दिल से!
रिश्ते पैसो के मोहताज़ नहीं होते क्योकि कुछ रिश्ते मुनाफा नहीं देते पर जीवन अमीर जरूर बना देते है !!! "☝☝
SLM
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एक विदेशी महिला ने विवेकानंद से कहा - मैं आपसे शादी करना चाहती
हूँ"।
विवेकानंद ने पूछा- "क्यों देवी ? पर मैं तो ब्रह्मचारी
हूँ"।
महिला ने जवाब दिया -"क्योंकि मुझे आपके जैसा
ही एक पुत्र चाहिए, जो पूरी दुनिया में मेरा नाम रौशन करे और वो केवल आपसे शादी
करके ही मिल सकता है मुझे"।
विवेकानंद कहते हैं - "इसका और एक उपाय है"
विदेशी महिला पूछती है -"क्या"?
विवेकानंद ने मुस्कुराते हुए कहा -"आप मुझे ही अपना
पुत्र मान लीजिये और आप मेरी माँ बन जाइए ऐसे में आपको मेरे जैसा पुत्र भी मिल
जाएगा और मुझे अपना ब्रह्मचर्य भी नही तोड़ना
पड़ेगा"
महिला हतप्रभ होकर विवेकानंद को ताकने लगी
और रोने लग गयी,
ये होती है महान आत्माओ की विचार धारा ।
"पूरे समुंद्र का पानी भी एक जहाज को नहीं डुबा सकता, जब तक पानी को जहाज अन्दर न आने दे।
इसी तरह दुनिया का कोई भी नकारात्मक विचार आपको नीचे नहीं गिरा सकता, जब तक आप उसे अपने
अंदर आने की अनुमति न दें।"
"अंदाज़ कुछ अलग हैं मेरे सोचने का,,
सब को मंजिल का शौक है और मुझे रास्तों का...
ये दुनिया इसलिए बुरी नही के यहाँ बुरे लोग ज्यादा है।
बल्कि इसलिए बुरी है कि यहाँ अच्छे
लोग खामोश है..!!!
अच्छा लगा हो तो शेयर जरुर कीजिएगा...🙏
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सब्र कर बन्दे ..
मुसीबत के दिन गुजर जायेंगे !!
आज जो तुझे देख के हंसते है ,
वो कल तुझे देखते रह जायेंगे !!
त्याग दे सब ख्वाहिशे ..
कुछ अलग करने के लिए !!
" राम " ने भी खोया बहुत कुछ ,
" श्री राम " बनने के लिए ..!🙏🏽🙏🏽
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गुरू से शिष्य ने कहा: गुरूदेव ! एक व्यक्ति ने आश्रम के लिये गाय भेंट की है।
गुरू ने कहा - अच्छा हुआ । दूध पीने को मिलेगा।
एक सप्ताह बाद शिष्य ने आकर गुरू से कहा: गुरू ! जिस व्यक्ति ने गाय दी थी, आज वह अपनी गाय वापिस ले गया ।
गुरू ने कहा - अच्छा हुआ ! गोबर उठाने की झंझट से मुक्ति मिली।
'परिस्थिति' बदले तो अपनी 'मनस्थिति' बदल लो । बस दुख सुख में बदल जायेगा.।
"सुख दुख आख़िर दोनों
मन के ही तो समीकरण हैं।"
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🌹🌀🌹🌀🌹🌀🌹🌀🌹🌀🌹किसी कवि ने क्या खूब लिखा है।
बिक रहा है पानी,पवन बिक न जाए ,
बिक गयी है धरती, गगन बिक न जाए
चाँद पर भी बिकने लगी है जमीं .,
डर है की सूरज की तपन बिक न जाए ,
हर जगह बिकने लगी है स्वार्थ नीति,
डर है की कहीं धर्म बिक न जाए ,
देकर दहॆज ख़रीदा गया है अब दुल्हे को ,
कही उसी के हाथों दुल्हन बिक न जाए ,
हर काम की रिश्वत ले रहे अब ये नेता ,
कही इन्ही के हाथों वतन बिक न जाए ,
सरे आम बिकने लगे अब तो सांसद ,
डर है की कहीं संसद भवन बिक न जाए ,
आदमी मरा तो भी आँखें खुली हुई हैं
डरता है मुर्दा , कहीं कफ़न बिक न जाए।
🌀🌹🌀🌹🌀🌹🌀🌹🌀🌹🌀🌹🌀🌹🌀🌹🌀🌹
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अंधे को मंदिर आया देख
लोग हँसकर बोले -
"मंदिर में दर्शन के लिए आए तो हो,
पर क्या भगवान को देख पाओगे?"
अंधे ने कहा -"क्या फर्क पड़ता है,
मेरा भगवान तो
मुझे देख लेगा."
द्रष्टि नहीं द्रष्टिकोण सकारात्मक होना चाहिए।-🙏
🙏🏻🌞
--------///-------
इस युग में!, मंदिर जाने का समय मिले या ना,
मधुशाला कंपलसरी है!!🍻🍗
और हां ! चिडियो को दाना खिलाते तो है,
कुछ लोग तो चिड़िया ही खा जाते है!!
हम इंसान है!!
और इंसानियत हमारा धर्म!🙏🏻
सुबह जल्दी जागो, और दिन भर भागो
राम🙏🏻 राम
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👭 🙏रAम रAम 🙏 👭
👭 ⚓ जमीन अच्छी हो 👭
👭 खाद अच्छा हो 👭
👭 परंतु 'पानी' अगर 👭
👭 'खारा' हो तो 👭
👭 फूल खिलते नहीं । 👭
👭 ⚓ भाव अच्छे हो 👭
👭 कर्म भी अच्छे हो 👭
👭 मगर 'वाणी' खराब हो तो 👭
👭 'सम्बन्ध' कभी टिकते नहीं। 👭
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वक्त की एक आदत बहुत
अच्छी है,
जैसा भी हो,
गुजर जाता है..!
“कामयाब इंसान खुश
रहे ना रहे.......
खुश रहने वाला इंसान .
कामयाब जरूर हो जाता..
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''इंसान ने वक़्त से पूछा...
"मै हार क्यूं जाता हूँ ?"
वक़्त ने कहा..
धूप हो या छाँव हो,
काली रात हो या बरसात हो,
चाहे कितने भी बुरे हालात हो,
मै हर वक़्त चलता रहता हूँ,
इसीलिये मैं जीत जाता हूँ,
तू भी मेरे साथ चल,
कभी नहीं हारेगा............."
🙏 जय गुरुदेव 🙏
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