Thursday, September 28, 2017

गौरी लंकेश बन गई सच लिखने वाली


ये किसे नहीं पता गौरी लंकेश हिंदुत्व की पुरजोर विरोधी थी,
जिसके निशाने पर संघ, भाजपा और सभी सभी हिन्दू संगठन
रहते थे, जो नक्सली क़त्ल-ए-आम की घोर समर्थक थी और
देश के टुकड़े टुकड़े करने वालों और देश की बर्बादी के
नारे लगाने वाले कनहिया कुमार और उमर खालिद को अपना
बेटा कहती थी --उसे आज सत्य लिखने वाली सिपाही कहा
जा रहा है --

राहुल गाँधी और सीताराम येचुरी संघ और भाजपा को उसकी
हत्या का दोषी बता रहे हैं --बिना किसी सबूत के --क्यूंकि उसकी
मौत के बाद की पटकथा पहले से लिखी जा चुकी थी और शायद
मौत की भी पटकथा --

राहुल गाँधी ने कहा है जो भाजपा और आरएसएस की विचारधारा
का विरोध करेगा, उसके खिलाफ बोलेगा या लिखेगा उसे मार दिया
जायेगा --मैंने मंद-बुद्धि राहुल से कहा है कि बस इतना बता दो कि
इंदिरा गाँधी और राजीव गाँधी कौन से संघ और भाजपा की विचारधारा
का विरोध कर रहे थे जो उनकी हत्या कर दी गई --

आज पत्रकार जगत इस बात से क्षुब्ध है कि भाजपा और संघ समर्थक
गौरी की हत्या पर दुखी ना हो कर खुश क्यों हैं और इसके लिए वो
पत्रकार ऐसे लोगो को भाजपा के कुत्तें, गुंडे और ना जाने क्या क्या कह
रहे हैं --जबकि वो पत्रकार ही इस जमात के लोग हैं --सीताराम येचुरी
और बृंदा करात जैसे वामपंथी पगला गए हैं --

अब ऐसे पत्रकारों से मैं पूछता हूँ कि जब केरल में हो रही संघ के लोगों
की हत्या पर गौरी शांत रहती है और 76 जवानों के छत्तिश्गढ़ में नक्सलियों
द्वारा क़त्ल करने पर जश्न मनाने वालो का ये साथ देती थी तो उसकी मौत/
हत्या पर कोई देशप्रेमी क्यों और कैसे दुखी हो सकता है --ये देश तोड़ने
वालों का साथ दे और देशप्रेमी इसकी हत्या पर दुखी हों ये कैसे हो सकता
है --

राहुल गांधी को इतना भी ख्याल नहीं है कि कर्नाटक में कांग्रेस की ही
सरकार है और 24 घंटे से कोई नहीं पकड़ा गया --अगर ये हत्या भाजपा
के किसी राज्य में हो गई होती तो अब तक तो पता नहीं कितना कोहराम
हो गया होता --

राहुल गाँधी सिद्धरामैहय से क्यों नहीं कहता कि सी बी आई जांच के लिए
संतुति करे जबकि भाजपा मांग कर रही है --मजे की बात है सी बी आई
जांच की मांग गौरी का भाई कर रहा है इंद्रजीत लंकेश जो 2001से 2005
की बीच गौरी से अलग हो गया था और ऐसा होने से पहले दोनों भाई
बहनों ने एक दूसरे के खिलाफ पुलिस में शिकायत की थी --

इंद्रजीत का गौरी से अलग होने का कारण था गौरी का नक्सल प्रेम और
वो हर तरह नक्सलियों को समर्थन दे रही थी -- सिध्दरामहिया ने कहा
है एस आई टी बना दी गई है --क्यों भाई सी बी आई जांच क्यों नहीं मांगते,
क्या किसी के फसने का डर है --वैसे वो डी के शिवकुमार के खिलाफ भी
काफी कुछ लिख चुकी थी जिसके रिसोर्ट में अभी गुजरात काण्ड में छापा
पड़ा था और 300 करोड़ निकले थे --

इतना नहीं सिद्धरामहिया का गृहमंत्री कह रहा है कि हत्या में नक्सलियों के
हाथ होने की भी जांच हो रही है --अब बोलो राहुल गाँधी और येचुरी जी,
कहाँ खड़े होते हो संघ और भाजपा के खिलाफ -- वैसे येचुरी जी को हिंसा
और क़त्ल-ए-आम के समर्थन हैं ही क्यूंकि ये तो वामपंथ का आधार है --
उनके चीन में क्रांति के नाम पर 5 करोड़ लोगो मौत के घाट उतार कर
वामपंथ का पदार्पण हुआ था --

कांग्रेस ये ना सोचे कि गौरी की हत्या से उन्हें कर्नाटक में सत्ता बचाने में
कोई लाभ होगा --वो तो जाएगी ही और फिर सी बी आई जांच होगी जिसमे
सब नंगे होंगे --

(सुभाष चन्द्र)
06/09/2017

नीतिवान लभते  सुखं |


उस पांच सितारा ऑडिटोरियम के बाहर प्रोफेसर साहब की आलीशान कार आकर रुकी , प्रोफेसर बैठने को हुए ही थे कि एक सभ्य सा युगल याचक दृष्टि से उन्हें देखता हुआ पास आया और बोला ," साहब , यहां से मुख्य सड़क तक कोई साधन उपलब्ध नही है , मेहरबानी करके वहां तक लिफ्ट दे दीजिए आगे हम बस पकड़ लेंगे । "

  रात के साढ़े ग्यारह बजे प्रोफेसर साहब ने गोद मे बच्चा उठाये इस युगल को देख अपने "तात्कालिक कालजयी"  भाषण के प्रभाव में उन्हें अपनी कार में बिठा लिया । ड्राइवर कार दौड़ाने लगा ।

    याचक जैसा वह कपल अब कुटिलतापूर्ण मुस्कुराहट से एक दूसरे की आंखों में देख अपना प्लान एक्सीक्यूट करने लगा । पुरुष ने सीट के पॉकेट मे रखे मूंगफली के पाउच निकालकर खाना शुरू कर दिया बिना प्रोफेसर से पूछे /मांगे ।
लड़की भी बच्चे को छोड़ कार की तलाशी लेने लगी ।एक शानदार ड्रेस दिखी तो उसने झट से उठा ली और अपने पर लगा कर देखने लगी ।
  प्रोफेसर साहब अब सहन नही कर सकते थे ड्राइवर से बोले गाड़ी रोको ,लेकिन ड्राइवर ने गाड़ी नही रोकी बस एक बार पीछे पलटकर देखा , प्रोफेसर को झटका लगा ,अरे ये कौन है उनके ड्राइवर के वेश में ?? वे तीनों वहशियाना तरीके से हंसने लगे , प्रोफेसर साहब को अपने इष्टदेव याद आने लगे ,थोड़ा साहस एकत्रित करके प्रोफेसर साहब ने शक्ति प्रयोग का "अभ्यासहीन " प्रयास करने का विचार किया लेकिन तब तक वह पुरुष अपनी जेब से एक लाइटर जैसा पदार्थ निकाल चुका था और उसका एक बटन दबाते ही 4 इंच का धारदार चाकू बाहर आ चुका था प्रोफेसर साहब की क्रांति समयपूर्व ही गर्भपात को प्राप्त हुई ।

         प्रोफेसर साहब समझ चुके थे कि आज कोई बड़ी अनहोनी निश्चित है उन्होंने खुद ही अपना पर्स निकालकर सारे पैसे उस व्यक्ति के हाथ में थमा दिये  लेकिन वह व्यक्ति अब उनके आभूषणों की तरफ देखने लगा, दुखी मन से प्रोफेसर साहब ने अपनी अंगूठियां ,ब्रेसलेट और सोने के चेन उतार के उसके हाथ में धर दिए , अब वह व्यक्ति उनके गले में एक और लॉकेट युक्त चैन की तरफ हाथ बढ़ाने लगा । प्रोफेसर साहब याचना पूर्वक बोले - इसे छोड़ दो प्लीज यह मेरे "पुरुखों की निशानी " है जो कुल परंपरा से मुझ तक आई है , इसकी मेरे लिए अत्यंत भावनात्मक महत्ता है । लेकिन वह लुटेरा कहां मानने वाला था उसने आखिर वह निशानी भी उतार ही ली ।
                   बिना प्रोफ़ेसर साहब के पता बताएं वे  लोग उनके आलीशान बंगले के बाहर तक पहुंच गए थे ।
  युवक बोला ," लो आ गया घर , ऐसे ढेर सूखे मेवे , कपड़े , पैसा  और  प्रोफेसर  साहब की ल.......
        उसकी आँखों मे आई धूर्ततापूर्ण बेशर्म चमक ने शब्द के अधूरेपन को पूर्णता दे दी ।

      प्रोफेसर साहब अब पूरे परिवार की सुरक्षा एवं घर पर पड़े अथाह धन-धान्य को लेकर भी चिंतित हो गये उनका रक्तचाप उछाले मारने लगा लेकिन करें भी तो क्या ??
        लगे गिड़गिड़ाने ,"  भैया मैंने आपको आपत्ती में देखकर शरण दी और आप मेरा ही इस तरह शोषण कर रहे हैं यह अनुचित है । ईश्वर का भय मानिए यह निर्दयता की पराकाष्ठा है ।अब तो छोड़ दीजिए मुझे भगवान के लिए ।
     प्रोफेसर फूट फूट कर रोने लगे ।।

              वे पति पत्नी अपना बच्चा लेकर कार से उतर गये  और वह ड्राइवर भी , उनके द्वारा लिया गया सारा सामान उन्होंने वापस प्रोफेसर साहब के हाथ में पकड़ाया और  बोले
      
" क्षमा कीजिएगा सर ! रोहिंग्या मुसलमानों के विषय मे शरणागत वत्सलता पर आज आपके द्वारा उस ऑडिटोरियम मे  दिए गए "अति भावुक व्याख्यान"  का तर्कसंगत शास्त्रीय निराकरण करने की योग्यता हममें नहीं थी अतः हमें यह स्वांग रचना पड़ा  ।
  "आप जरा खुद को भारतवर्ष और हमें रोहिंग्या समझ कर इस पूरी घटना पर विचार कीजिए और सोचिये की  आपको अब क्या करना चाहिए इस विषय पर । "

   वो मूंगफली नही इस देश का अथाह प्राकृतिक संसाधन है जिसकी रक्षार्थ यंहा के सैनिक अपना उष्ण लाल लहू बहाकर करते है सर , मुफ्त नही है यह ।
   वो आपकी बेटी/बेटे की ड्रेस मात्र कपड़ा नही है इस देश के नागरिकों के स्वप्न है भविष्य के जिसके लिए यंहा के युवा परिश्रम का पुरुषार्थ करते है ,मुफ्त नही है यह ।
    आपकी बेटी / पत्नी मात्र नारी नही है देश की अस्मिता है सर जिसे हमारे पुरुखों ने खून के सागर बहा के सुरक्षित रखा है , खैरात में बांटने के लिए नही है यह ।
    आपका ये पर्स अर्थव्यवस्था है सर इस देश की जिसे करोड़ो लोग अपने पसीने से सींचते है , मुफ्त नही है यह ।

  और आपके पुरुखों की निशानी यह चैन मात्र सोने का टुकड़ा नही है सर , अस्तित्व है हमारा , इतिहास है इस महान राष्ट्र का जिसे असंख्य योद्धाओ ने मृत्यु की बलिवेदी पर ढेर लगाकर जीवित रखा है , मुफ्त तो छोड़िए इसे किसी ग्रह पर कोई वैज्ञानिक भी उत्पन्न नही कर सकते ।

   कुछ विचार कीजिये सर ! कौन है जो खून चूसने वाली जोंक को अपने शरीर पर रहने की अनुमति देता है , एक बुद्धिहीन चौपाया भी तत्काल उसे पेड़ के तने से रगड़ कर उससे मुक्ति पा लेता है ।

           उस युवक ने वह लाइटर जैसा रामपुरी चाकू  प्रोफेसर साहब के हाथ में देते हुए कहा यह मेरी प्यारी बहन जो आपकी पुत्री है उसे दे दीजिएगा सर क्योंकि अगर आप जैसे लोग रोहिंग्या को सपोर्ट देकर इस देश में बसाते रहे तो किसी न किसी दिन ऐसी ही किसी कार में आपकी बेटी को इसकी आवश्यकता जरूर पड़ेगी।

                 सर ज्ञान के विषय मे तो हम आपको क्या समझा सकते हैं लेकिन एक कहानी जरूर सुनिए ,

   "  लाक्षाग्रह के बाद बच निकले पांडव एकचक्रा नगरी में गए थे तब वहा कोई सराय वगैरह तो थी नहीं तो वे लोग एक ब्राह्मणि के घर पहुंचे और उन्हें शरण देने के लिए याचना की ।
         शरणागत धर्म के चलते हैं उस ब्राह्मणि ने उन्हें  शरण दी ,शीघ्र ही उन्हें (पांडवो) को पता चला कि यहां एक बकासुर नामक राक्षस प्रत्येक पक्षांत पर  एक व्यक्ति को बैलगाड़ी भरकर भोजन के साथ खा जाता है और इस बार उसी ब्राह्मणी के  इकलौते पुत्र की बारी थी , उस ब्राह्मणि के शरणागत धर्म के निष्काम पालन से प्रसन्न पांडवों ने धर्म की रक्षा के लिए , निर्बलों की सहायता के लिए और अपने शरण प्रदाता के ऋण से हल्के होने के लिए स्वयं भीम को उस ब्राह्मण के स्थान पर भेजा ।
       आगे सभी को पता ही है की भीम ने उस राक्षस कोे किस तरह पटक-पटक कर धोया था  लेकिन यह कहानी हमें सिखाती है की शरण किसे दी जाती है ??
         "जो आपके आपत्तिकाल मे आपके बेटे के बदले अपने बेटे को मृत्यु के सम्मुख प्रस्तुत कर सके वही शरण का सच्चा अधिकारी है । "

        उसी के लिए आप अपने संसाधन अपना हित अपना सर्वस्व त्याग करके उसे अपने भाई के समान शरण देते हैं और ऐसे कई उदाहरण इतिहास में उपलब्ध है ।

               प्रोफेसर साहब !  ज्ञान वह नहीं है जो किताबें पढ़कर आता है , सद्ज्ञान वह है जो ऐतिहासिक घटनाएं सबक के रूप में हमें सीखाती हैं और वही वरेण्य है ।
      वरना कई  पढ़े-लिखे महामूर्धन्य लोगों के मूर्खतापूर्ण निर्णयो का फल यह पुण्यभूमि आज भी भुगत ही रही है। आशा है आप हमारी इस धृष्टता को क्षमा करके हमारे संदेश को समझ सकेंगे ।

        प्रोफेसर साहब एक दीर्घनिश्वास के साथ उन्हें जाते हुए देख रहे थे  । आज वे ज्ञान का एक विशिष्ट प्रकाश अपने अंदर स्पष्ट देख पा रहे थे ।

जय हिंद ।।

#पुरोहितजी_कहिन

10 short stories with deep meanings.


Profound and heart rendering!

1) She was very excited
     today, after all the
     school was re-opening
     after a long summer
     break. Now, once
     again, she could start
     selling stationery at
     the traffic signal to
     feed her family.

2) She, a renowned artist
     and a strict mother,
     often scolded her 6-
     year-old son for he
     could never draw a
     line straight. As he
     breathed slowly into   
     the ventilator, she
     begged him to make
     one more crooked line
     on the ECG.

3) "Everyone goes with
      the flow… but the one 
     who goes against it
     becomes someone
     remarkable.” Before I
     could explain this to
     the traffic police, the
     man issued me a fine.

4) Their love was
     different. She was
     happy every time he
     kicked her in the
     stomach. Every time
     he kicked she loved
     him more. She waited
     for the time she would
     hold her baby for the
     first time.

5) All my toys are yours..!
     Read her brother’s   
     death note.

6) They took his father,
     and only returned a
     flag.

7) At 25, I became a
     mother of one; at 27 I
     became a mother of
     two; and today, at 55, I
     have become a
     mother of three!  My
     son got married today,
     and brought home his
     wife!

8) “Born to rich parents,
      this boy is so lucky,”
      exclaimed the
      neighbors!
      Somewhere in
      heaven, three unborn
      sisters cried.

9) “You ruined my career,
      I was supposed to be
      an Executive Director,”
      she thought to
      herself.  The little
      angel held her finger
      tightly and she forgot
      everything; A mother
      was born.

10) Once a 5-year-old boy
       was standing
       barefoot in the
       shallow water of the
       ocean. He was
       repeating the same
       sentence to the
       waves – “Even if you
       touch my feet a
       thousand times, I
       won’t forgive you for
       taking my parents   
       away.

Breath taking! Aren't they?