चम्बल पुल पर हुआ हादसा ड्राइवर सहित बस में सवार सभी 90 बारातियों की मौत। ड्राइवर ने जानबूझकर सबको मार दिया। पत्रकार ने पूछा क्यों ? गलती दो तीन बारातियों ने की और मार सबको दिया। क्या ये उचित है...
मन को झकझोरती पूरी घटना समझिए।
90 के दशक में मुरैना से बारात आगरा शहर गई थी। ताशिर मोहम्मद के बेटे का निकाह बड़ी धूमधाम से हुआ। दोनों ही पक्ष रसूक एवम पैसे वाले थे। निकाह में एवम बारात में बड़ी संख्या में लोग उपस्थित हुए। बारात भोज में नॉनवेज (मासाहारी) भोजन बना था। लेकिन बस का ड्राइवर सोनकिया एक जनेऊ पहनने वाला ब्राह्मण था इसलिए उसने भोजन करने से इंकार कर दिया।लेकिन बारात के कुछ मनचलों द्वारा बस ड्राइवर को जबरजस्ती नॉनवेज खिलाया गया। उसका धर्म भ्रष्ठ कर दिया। इसलिए लौटते समय चम्बल नदी में ड्राइवर ने घटना को अंजाम दिया। ड्राइवर समेत सभी बाराती मारे गए थे केवल एक कंडक्टर ही जीवित रहा था क्योंकि ड्राइवर ने उतरने के लिए कहा था...
कंडक्टर की पत्रकारों से चर्चा के दौरान एक पत्रकार ने पूछा कि गलती कुछ 2 या 3 लोग की थी लेकिन इसके लिए सभी बारातियों का मारना तो अनुचित है।
कंडक्टर ने कहा जब कुछ मनचले असामाजिक तत्व एक जनेऊधारी ब्राह्मण का धर्म भ्रष्ठ कर रहे थे उस समय सभी बाराती उपस्थित थे लेकिन किसी ने रोका नहीं। यानी कि मौन स्वीकृति दी तो फिर वो भी उक्त दुराचार के बराबर दोषी थे इसलिए सबको सजा ये मौत मिलनी थी और मिली भी।
चाहे वो आतंकवादी हो या देशद्रोही, चाहे वो बलात्कारी हो या लुटेरा हिंसक घटनाओं को अंजाम देने वाला !!!!!
अगर गलत काम करने वालों को विरोध नहीँ कर रहे हो तो आप उन गलत काम करने वाले लोगों को मौन स्वीकृति प्रदान कर रहे हो। आप उन असामाजिक तत्वों को मौन समर्थन दे रहे हो।
धन्य है वो मेरे वीर भाई जिन्होंने आत्मग्लानि में स्वंय स्वर्ग सिधार गए , लेकिन गर्व हैं उनके द्वारा विधर्मी आततायी का नाश करने पर । ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे और हमे धर्म रक्षा हेतु प्रेरणा मिले ।
ब्रम्ह वीर , सर्वस्व त्यागी ऋषि दधीचि ने धर्म रक्षार्थ दैत्य विनाश हेतु अपने मानव शरीर का दान कर दिया था ।
हिन्दू वीरों उठो , जागो धर्म युद्ध पुकार रहा है देश ।