एक बेहतरीन इंसान अपनी ज़ुबान से ही पहचाना जाता है,
वरना अच्छी बातें तो दीवारों पे भी लिखी होती है,
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जब मेहनत करने के बाद भी सपने पूरे नहीं होते;
तो रास्ते बदलिए , "सिंद्धात नहीं"....
क्योंकि पेड़ भी हमेशा पत्ते बदलता हैं जड़ नहीं.....!!
" गीता " मे साफ शब्दो मे लिखा है , निराश मत होना कमजोर तेरा वक्त है " तु " नही !
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उपकारोऽपि नीचानाम् अपकारो ही जायते |
पयः पानं भुजङ्गानाम् केवलं विषवर्धनम् ||
भावार्थ-- दुष्ट व्यक्ति का भला करने पर भी स्वयं को ठीक उसी प्रकार क्षति ही पहुँचती है, जिस प्रकार सर्प को दूध पिलाने से केवल उसका विष बढ़ता है।
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आंखे कितनी भी छोटी क्यो ना हो !!
ताकत तो उसमे सारा
आसमान देखने
की होती है
ज़िन्दगी एक हसीन
ख़्वाब है ,, ,, जिसमें जीने
की चाहत होनी चाहिये
ग़म खुद ही ख़ुशी
में बदल जायेंगे
सिर्फ
मुस्कुराने
की
आदत
होनी चाहिये!!
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घर में एक चलती बोलती लक्ष्मी पानी भरती है
अन्नपूर्णा बनके भोजन बनाती है
गृहलक्ष्मी बन कर कुटुम्ब सम्भालती है
सरस्वती बन कर बच्चों को शिक्षा देती है
दुर्गा बनकर संकटों का सामना करती है
कालिका, चण्डी बन कर घर का रक्षण करती है
उसकी पूजा ना सही परंतु स्त्री होने का सम्मान ज़रूरी है
देवी को मंदिर में ही नहीं अपने मन में भी बसाइए
मूर्ति के साथ जीवित स्त्री का भी आदर करें इसी में नवरात्रि उत्सव का सही सार है.
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इंसान की अच्छाई पर,
सब खामोश रहते हैं...
चर्चा अगर उसकी बुराई पर हो,
तो गूँगे भी बोल पड़ते हैं..!!!
जो आनंद अपनी
छोटी पहचान बनाने मे है,
वो किसी बड़े की
परछाई बनने मे नही है.
संघर्ष पिता से सीखे...!
संस्कार माँ से सीखे...!!
बाकी सब कुछ दुनिया सिखा देगी...!!!
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