Saturday, March 28, 2020
एक मासूम बेटी की सच्ची कहानी जिसने मेरा जीवन बदल दिया।
मैं यति नरसिंहानंद सरस्वती डासना देवी मन्दिर का महंत हूँ।आज आप लोगो को वो कहानी सुनाना चाहता हूँ जिसने मुझे हिन्दू बनाया।
मेरे जैसे लोगो की कहानिया कभी पूरी नहीँ होती क्योंकि जीवन हम जैसो के लिए बहुत क्रूर होता है।मेरी बहुत इच्छा है कुछ किताबे लिखने की पर शायद ये कभी नहीँ हो सकेगा क्योंकि हमारे क्षेत्र के मुसलमानो ने जीवन को एक नर्क में परिवर्तित कर दिया है जिससे निकालने की संभावना केवल मृत्यु में है और किसी में नहीँ है।मैं धन्यवाद देता हूँ सोशल मीडिया को जिसने अपनी बात रखने के लिये मुझ जैसो को एक मंच दिया है और मैं अपने दर्द को आप लोगो तक पहुँचा पाता हूँ।आज मैं आपको अपने जीवन की वो घटना बताना चाहता हूँ जिसने मेरे जीवन को बदल दिया था।ये एक लड़की की दर्दनाक और सच्ची कहानी है जिसने बाद में शायद आत्महत्या कर ली थी।इस घटना ने मेरे जीवन पर इतना गहरा प्रभाव डाला की मेरा सब कुछ बदल दिया बल्कि मैं सच कहू तो मुझे ही बदल दिया।
बात 1997 की है,जब मैं विदेश से वापस अपने देश आया था।मैं कुछ बड़ा करना चाहता था और इसके लिये मुझे लगा की मुझे राजनीति करनी चाहिए।मेरा जन्म एक उच्च मध्यम वर्गीय किसान परिवार में हुआ था और मेरे बाबा जी आजादी से पहले बुलंदशहर जिले के कांग्रेस के पदाधिकारी थे और उन बहुत कम लोगों में से थे जिन्होंने पेंशन नहीँ ली आजादी के बाद स्वतंत्रता सेनानी के रूप में।मेरे पिताजी केंद्रीय सरकार के कर्मचारियों की यूनियन के एक राष्ट्रीय स्तर के नेता थे।मेरा जन्म क्योंकि एक त्यागी परिवार में हुआ तो मुझे बाहुबल की राजनीति पसंद थी और मेरे कुछ जानने वालो ने मुझे समाजवादी पार्टी की युथ ब्रिगेड का जिलाध्यक्ष भी बनवा दिया था।जैसा की राजनीति में सभी करते हैं, मैंने भी अपने बिरादरी के लोगो का एक गुट बनाया और कुछ त्यागी सम्मेलन आयोजित किये।
बहुत से त्यागी मेरे साथ हो गए और मुझे एक युवा नेता के तौर पर पहचाना जाने लगा।बाबा जी कांग्रेसी,पिता यूनियन लीडर और खुद समाजवादी पार्टी का नेता इसका मतलब है की हिंदुत्व के किसी भी विचार से कुछ भी लेना देना नहीँ था मेरा और वैसे भी पूरी जवानी विदेश में रहा और पढ़ा तो धार्मिक बातो को केवल अन्धविश्वास और ढोंग समझता था।मेरठ में रहने के कारण,विदेश में पढ़ने के कारण और अपनी सामजिक व राजनैतिक पृष्ठभूमि के कारण बहुत सारे मुसलमान मेरे दोस्त थे।
एक दिन अचानक मैं बीजेपी के संस्थापक सदस्यों में से एक,दिल्ली बीजेपी के भीष्म पितामह पूर्व सांसद श्री बैकुंठ लाल शर्मा"प्रेम"जी से मिला जिन्होंने तभी संसद की सदस्यता से इस्तीफा देकर हिंदुत्व जागरण का काम शुरू किया था।उन्होंने मुझे मुसलमानों के अत्याचार की ऐसी ऐसी कहानिया बताई की मेरा दिमाग घूम गया पर मुझे विश्वास नहीँ हुआ।तभी एक घटना मेरे साथ घटी।
मेरा अपना कार्यालय गाज़ियाबाद के शम्भू दयाल डिग्री कॉलेज के सामने था।उसी कॉलेज में पढ़ने वाली मेरी बिरादरी मतलब त्यागी परिवार की लड़की मेरे पास आई और उसने मुझसे कहा की उसे मुझसे कुछ काम है।जब मैंने उससे काम पूछा तो वो बोली की वो मुझे अकेले में बताएगी।मैंने अपने साथ बैठे लोगो को बाहर जाने को कहा।जब सब चले गए तो अचानक वो बच्ची रोने लगी और लगभग आधा घण्टा वो रोती ही रही।मैंने उसे पानी पिलाने की कोशिश की तो उसने पानी भी नहीँ पिया और उठ कर वहाँ से चली गयी।मुझे बहुत आश्चर्य हुआ।मैंने इस तरह किसी अनजान महिला को रोते हुए नहीँ देखा था।उस बच्ची का चेहरा बहुत मासूम का था और मुझे वो बहुत अपनी सी लगी।मुझे ऐसा लगा की कुछ मेरा उसका रिश्ता है।वो चली भी गयी पर मेरे दिमाग में रह गयी।कुछ दिन बाद मैं उसे लगभग भूल गया की अचानक वो फिर आई और उसने मुझसे कहा की वो मुझसे बात करना चाहती है।मैंने फिर अपने साथियों को बाहर भेजा और उसको बात बताने को कहा।उसने बात बताने की कोशिश की परन्तु वो फिर रोने लगी और उसका रोना इतना दारुण था की मुझ जैसे जल्लाद की भी आँखे भर आई,मैंने उसके लिये पानी मंगवाया और चाय मंगवाई।धीरे धीरे वो नॉर्मल हुयी और उसने मुझे बताया की एक साल पहले उसकी दोस्ती उसीकी क्लास की एक मुस्लिम लड़की से हो गयी थी जिसने उसकी दोस्ती एक मुस्लिम लड़के से करा दी।उन दोनों ने मिलकर उसके कुछ फोटो ले लिये थे और पुरे कॉलेज के जितने भी मुस्लिम लड़के थे उन सबके साथ उसको सम्बन्ध बनाने पड़े।अब हालत ये हो गयी थी की वो लोग उसका प्रयोग कॉलेज के प्रोफेसर्स को,अधिकारियो को,नेताओ को और शहर के गुंडों को खुश करने के लिये करते थे और इस तरह की वो अकेली लड़की नही थी बल्कि उसके जैसी पचासों लड़कियां उन लोगो के चंगुल में फसी हुयी थी।इसमें सबसे खास बात ये थी जो उसने मुझसे बताई की सारे मुस्लिम लड़के लड़कियां एकदम मिले हुए थे और बहुत से हिन्दू लड़के भी अपने अपने लालच में उनके साथ थे और सबका शिकार हिन्दू लड़कियां ही थी।मुझे बहुत आश्चर्य हुआ इन बातो को सुनकर।मैंने उससे पूछा की तुम ये बात मुझे क्यों बता रही हो तो उसने मुझसे जो कहा वो मैं कभी भूल नहीँ सकता।
उसने मुझसे कहा की वो सारे मुसलमान हमेशा मेरे साथ दिखाई पड़ते हैं।एक तरफ तो मैं त्यागियों के उत्थान की बात करता हूँ और दूसरी तरफ ऐसे लोगों के साथ रहता हूँ जो इस तरह से बहन बेटियो को बर्बाद कर रहे हैं।उसने कहा की उसकी बर्बादी के जिम्मेदार मेरे जैसे लोग हैं, मुझे ये बात बहुत बुरी लगी।मैंने कहा की मुझे तो इन बातो का पता ही नहीँ है तो उसने कहा की ऐसा नहीँ हो सकता।ये मुसलमान किसी के पास लड़कियां भेजते हैं, किसी को मीट खिलाते हैं और किसी को पैसा देते हैं,मुझे भी कुछ तो मिलता ही होगा।उसकी बातो ने मुझे अंदर तक झकझोर कर रख दिया था।
उसके आंसू मेरी सहनशक्ति से बाहर हो चुके थे।
उसने मुझसे कहा की मैं यदि सारे त्यागियों को अपना भाई बताता हूँ तो वो इस रिश्ते से मेरी बहन हुयी।उसने मुझसे कहा की एक दिन मेरी भी बेटी होगी और उसे भी डिग्री कॉलेज में जाना पड़ेगा और तब भी मुसलमान भेड़ियों की आँखे मेरी बेटी पर होगी।
मैंने कहा की इसमें हिन्दू मुसलमान की क्या बात है तो उसने कहा की ये भी जिहाद है।मैंने जिहाद शब्द उस दिन पहली बार सुना था।वो बच्ची मुसलमान लड़कियो में रहकर उनको अच्छी तरह समझ चुकी थी।उसने मुझे जिहाद का मतलब बताया।मैंने उस बच्ची का हाथ अपने हाथ में लिया और बहुत मुश्किल से कहा की इतना अन्याय होने के लिये बेटी का होना जरूरी नहीँ है बल्कि मेरी बेटी के साथ ये हो चूका है,आखिर तुम भी तो मेरी बेटी हो।वो बच्ची ये सुनकर बहुत जोर से रोई और धीरे से वहाँ से चली गयी।
वो चली गयी,मैं बैठ गया।मन के अंदर बहुत कुछ मर गया पर मैं अभी जिन्दा था।मन के भीषण संघर्ष ने बहुत कुछ नई भावनाओ को जन्म दिया।मेरा जीवन बदल गया था।मैंने इस पुरे मामले का पता किया।उस बच्ची की एक एक बात सच थी।मुझे प्रेम जी की बाते याद आई और मैंने इस्लाम की किताबो और इतिहास का अध्ययन किया और एक एक चीज को समझा।
मैंने जितना पढ़ा मुझे उस बच्ची की वेदना का उतना ही अहसास हुआ।मैंने लड़ने का फैसला किया और खुद लड़ने का फैसला किया।तभी मुझे पता चला की वो बच्ची मर गयी।वो मर गयी और हो सकता है की उसके माता पिता उसे भूल गए हो पर मेरे लिये वो आज भी जीवित है।वो आज भी मुझे सपनों में दिखाई देती है।आज भी उसकी वेदना,उसकी पीड़ा,उसके आंसू मुझे महसूस होते हैं।आज भी उसकी ये बात की जब तक ये भेड़िये रहेंगे तब तक एक भी हिन्दू की बेटी कॉलेज में सुरक्षित नहीँ रहेगी,मेरे कानों में गूंजती है।
मैंने उसको ठीक उसी तरह से श्रद्धांजलि दी जैसे एक बाप और एक भाई को देनी चाहिये।मैंने वो ही किया जो एक बाप और एक भाई को करना चाहिये।
आज जो कुछ भी हूँ अपनी उसी बेटी के कारण हूँ जिसे मैंने जन्म नही दिया पर जिसने मुझे वास्तव में जन्म दिया।मैं ये बात कभी किसी को नहीँ बताता पर आज ये बात सबकी बतानी जरूरी हो गयी है।
उस बच्ची ने मुझे वो बताया जिसे हिन्दू भूल चूका है,वो ये ही की बेटी किसी आदमी की नहीँ पूरी कौम की होती है और जब कौम कमजोर होती है तो उसका दंड बेटी को भुगतना पड़ता है।कौम की गलती कौम की हर बेटी को भुगतनी ही पड़ेगी।
आज हर हिन्दू की बेटी बर्बादी के उन्ही रास्तों पर चल पड़ी है और कोई भी बाप,कोई भी भाई आज उसे बचा नही पा रहा है।पता नहीँ क्या हो गया है हम सबकी बुद्धि को की विनाश की इतनी बड़ी तैयारी को हम देखना ही नहीँ चाहते हैं।हम सब जानते हैं की हम सब की बेटियो के साथ भी यही होगा पर फिर भी हमारा जमीर जागता नहीँ है।
शायद देवताओ ने हम सबकी बुद्धि को खराब कर दिया है।अब तो शायद भगवान भी हमारे मालिक नहीँ हैं।
आज मैं देखता हूँ की ऐसी घटनाएँ तो हमारे देश में रोज होती है और किसी को कोई फर्क नहीँ पड़ता।यहाँ तक की जिनकी बेटियो और बहनों के साथ ऐसा होता है उन्हें भी कोई फर्क नहीँ पड़ता पर मुझे पड़ा और मैं जानता हूँ की मैंने जो कुछ किया वो बहुत अच्छा किया।मुझे किसी बात का कोई अफ़सोस नहीँ है।मैं जो भी कर सकता था,मैंने किया और जो भी कर सकता हूँ, तब तक करूँगा जब तक जिन्दा हूँ।
दुःख है तो बस इतना है की मैं इस लड़ाई को जीत नहीँ सका।मैं अपनी बहनो को,अपनी बेटियो को इस्लामिक जिहाद के खुनी पंजे से बचा नहीँ सका।दुःख है तो बस इस बात का है की अपनी बेटियो को एक सुरक्षित देश बना कर नहीँ दे सका।दुःख इस बात का भी है की गद्दारो ने पूरी नस्ल को बर्बाद कर दिया और हम उफ़ तक भी नहीँ कर पाये।
वो बच्ची रो तो पायी,मैं तो रो भी नहीँ पाया।
आज हजारो हिन्दू बेटियो की बर्बादियों की कहानी मेरे सीने में दफन है,काश की कोई हिन्दू मेरे जख्मो को देखने का साहस भी करता।काश ये कायर और मुरदार कौम एक बार जाग जाती तो मैं अपने हाथो से अपना सीना चीरकर दिखा देता।काश इस कौम के रहनुमा एक बार कहते की वो बहनो,बेटियो को भेडियो का शिकार नहीँ बनने देंगे।काश ये कौम हिजड़ो को नेता मानना छोड़ कर खुद अपनी बेटियो की रक्षा करती।
काश...................................
बहुत दर्द है और इलाज कुछ दिख नहीँ रहा है,अब तो बस माँ से यही प्रार्थना है की जल्दी से जल्दी मुझे अपने पास बुला ले जिससे की मुझे अपनी बहनो,अपनी बेटियो की दुर्दशा और ज्यादा न देखनी पड़े।
मेरे बच्चों,मेरे शेरो इस msg में यदि आपको सच्चाई लगे तो इसे दुनिया के हर हिन्दू तक पहुँचा दो।हो सकता है की शायद मेरे दर्द से ही कौम का कोई नया रहनुमा जन्म ले और कौम की बहन बेटियां बच जाएँ।
Friday, March 27, 2020
Corona Jokes हिन्दी
हम चाइना की झालर,
पिचकारी बंद करने चले थे,
सालों ने हमारी कचौड़ी,जलेबी,छोले भटूरे,समोसे सब बंद करवा दिया,
🤨🤔😉😊
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Thursday, March 26, 2020
अफवा व झूठी खबरों से सावधान
1- कई लाशों वाली इटली शहर की तस्वीर।
सच्चाई - एक फिल्म कांटेजिअन का सीन है।
2- 498/- का जिओ का फ्री रीचार्ज।
सच्चाई - कंपनी ने ऐसा कोई दावा नहीं किया है।
3- केई लोग जमीन पर पडे सहायता के लिए चिल्ला रहे हैं।
सच्चाई - वर्ष 2014 के एक आर्ट प्रोजेक्ट की तस्वीर है।
4- डॉ रमेश गुप्ता की किताब जंतु विज्ञान में कोरोना का इलाज है।
सच्चाई - नहीं है।
5- मेदांता हास्पिटल के डाॅ नरेश त्रेहान की नेशनल इमर्जेंसी की अपील।
सच्चाई - डॉ त्रेहान ने कोई अपील नहीं की।
6- एक कपल की तस्वीर जो 134 पीड़ितों का इलाज करने के बाद संक्रमण का शिकार हो गए।
सच्चाई - तस्वीर किसी डॉक्टर कपल की नहीं है। एयरपोर्ट पर एक जोड़े की है।
7- कोविड 19 कोरोना की दवा।
सच्चाई - यह दवा नहीं, जांँच किट है।
8- कोरोना वायरस का जीवन 12 घंटे तक।
सच्चाई - 3 घंटे से 9 दिन तक।
9- रूस में 500 शेर सड़कों पर।
सच्चाई - एक फिल्म का सीन है।
10- इटली की ताबूत वाली तस्वीर।
सच्चाई - यह 7 वर्ष पुराने एक हादसे की तस्वीर है, कोरोना से इसका कोई संबंध नहीं है।
11- सनातन धर्म में श्री शिव पुराण में इस कोरोना वायरस से रक्षा कवचं पहले ही अंकित कर दिया गया था। इसकी ऑडियो भी है जो आपको भेज रहा हूँ। कृपा कर अधिक से अधिक समय तक इसका ध्वनि सेवन करें।
मित्रों झूठी अफवाहों के बहकावे में आकर अपना धैर्य न खोएं। पोस्ट को शेयर कर सभी तक सही जानकारी प्रेषित करैं। आपका विवेक और धैर्य ही आपका साथी है। ईश्वर और सरकार पर भरोसा रखें। घर में रहैं, सुरक्षित रहैं।
... शुभकामनाएंँ ।
क्या कोरोना धर्मियो को नहीं मरेगा!
Covid 19 मुकुटा सुर अति सुषम जीवाणु है।
प्रकृति में बढ़ रहे पाप से त्रस्त माँ प्राकृत का यह एक छोटा सा बचाव कर्मी है!
क्या ये धर्मियों को नहीं मरेगा?
धर्मी कौन है इस युग में?
जो दान करता है!
जो पूण्य करता है! ज्ञान बाटने वाला!
दावा बनाने वाला, इलाज करने वाला आदि... सब धर्म का ही काम है!
परंतु क्या यह लोगो ने पाप रोकने की कोशिश कि!?
जब जब इस धारा पे कोई निर्दोष इंसान, पशु व पेड़ पौधे! मारे या काटे जाते है तो क्या ये उन पापियों से संघठित हो कर लड़ते है? व कभीभी रोकने का प्रेयाश किया ! तब कैसे ये धर्म्मी हुुवे!
सावधान
पाप सेहेने वाला पाप करने वाले से बड़ा पापी है!
प्रकृति माँ के पास सब के कर्मो का लेखा जोखा है।
Monday, March 23, 2020
यासीन मलिक ने अफसर के सीने में 27 गोलियां मारी थी।
जम्मू-कश्मीर में आज टाडा कोर्ट ने आतंकी यासीन मलिक पर वायुसेना के अॉफिसर रवि खन्ना और 3 अन्य वायुसेना कर्मियो कि सन् 1990 में हुई हत्या के आरोप में मुकदमा चलाने के लिए पर्याप्त सबूत पाए हैं।
बहुत कम भारतीयों… अधिक को पता है कि यासीन मलिक ने उस निर्दोष अफसर के सीने में 27 गोलियां मारी थी और पूरी AK47 की मैगजीन खाली कर दी थी।
मारने के बाद इसने मोटरसाइकिल से हंसते हुए लाश के चक्कर लगाए और किसी को पास फटकने नहीं दिया। ऊपर से यासीन मलिक ने टीवी पर छाती ठोक कर कहा कि उसने वायुसेना के अफसर और हिंदुओं को मारा है।
30 साल तक यह हत्यारा आजाद घूमता रहा और बिशेष बात है कि इसको वार्ता हेतू कांग्रेस के नपुंसक प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 2006 में बुलाया था।
पर काल की अपनी गति हैं और वह संतुलन बना ही देता है।
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