अंबेडकर को लेकर बहुत से मिथक हैं जिन्हें सच माना जाता है। कल एंड टीवी पर शुरू होने वाले अंबेडकर पर आधारित शो का टीज़र मित्र ने भेजा। कल उस मित्र से इस संदर्भ में बात हो रही थी तो सोचा क्यों न उन मिथकों और उनकी सच्चाई पर एक सार्वजनिक पोस्ट की जाए। आइए जानते हैं क्या हैं वो मिथक और क्या है सच्चाई-
●मिथक- अंबेडकर बहुत मेधावी थे।
सच्चाई- अंबेडकर ने अपनी सारी शैक्षणिक डिग्रियाँ तीसरी श्रेणी में पास की।
●मिथक- अंबेडकर बहुत गरीब थे।
सच्चाई- जिस ज़माने में लोग फोटो तक नहीं खींचा पाते थे उस ज़माने में अंबेडकर की बचपन की बहुत सी फोटो हैं वह भी कोट पैंट में!
●मिथक- अंबेडकर ने शूद्रों को पढ़ने का अधिकार दिया।
सच्चाई- अंबेडकर के पिता जी ख़ुद उस ज़माने में आर्मी में सूबेदार मेजर थे जो यह बताता है कि उस समय पढ़ने का अधिकार शूद्रों के पास था।
●मिथक- अंबेडकर को पढ़ने नहीं दिया गया।
सच्चाई- उस ज़माने में अंबेडकर को गुजरात वडोदरा के क्षत्रिय राजा सीयाजी गायकवाड़ ने स्कॉलरशिप दी और विदेश पढ़ने तक भेजा और ब्राह्मण गुरु जी ने अपना नाम अंबेडकर भी दिया।
●मिथक- अंबेडकर ने नारियों को पढ़ने का अधिकार दिया।
सच्चाई- अंबेडकर के समय ही 20 पढ़ी लिखी औरतों ने संविधान लिखने में महत्वपूर्ण योगदान दिया!
●मिथक- अंबेडकर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे।
सच्चाई- अंबेडकर ने सदैव अंग्रेजों का साथ दिया।भारत छोड़ो आंदोलन की जम कर खिलाफत की। अंग्रेजों को पत्र लिखकर बोला कि आप और दिन तक देश में राज करिए। उन्होंने जीवन भर हर जगह आजादी की लड़ाई का विरोध किया।
●मिथक- अम्बेडकर बड़े शक्तिशाली थे।
सच्चाई- 1946 के चुनाव में पूरे भारत भर में अंबेडकर की पार्टी की जमानत जप्त हुई थी।
●मिथक- अंबेडकर ने अकेले आरक्षण दिया।
सच्चाई- आरक्षण संविधान सभा ने दिया जिसमें कुल 389 लोग थे।अंबेडकर का उसमें सिर्फ एक वोट था। आरक्षण सब के वोट से दिया गया था।
●मिथक- अंबेडकर राष्ट्रवादी थे।
सच्चाई- 1931 में गोलमेज सम्मेलन में गाँधी जी के भारत के टुकड़े करने की बात कर दलितों के लिए अलग दलितस्तान की माँग अंबेडकर ने की थी।
●मिथक- अंबेडकर ने भारत का संविधान लिखा।
सच्चाई- जो संविधान अंग्रेजों के 1935 के मैग्नाकार्टा से लिया गया हो और विश्व के 12 देशों से चुराया गया है। उसे आप मौलिक संविधान कैसे कह सकते हैं? अभी भी सोसायटी एक्ट में 1860 लिखा जाता है।
●मिथक- आरक्षण को लेकर संविधान सभा के सभी सदस्य सहमत थे।
सच्चाई- इसी आरक्षण को लेकर सरदार पटेल से अंबेडकर की कहा सुनी हो गई थी। पटेल संविधान सभा की मीटिंग छोड़कर बाहर चले गये थे, बाद में नेहरू के कहने पर पटेल वापस आये थे।
सरदार पटेल ने कहा कि जिस भारत को अखण्ड भारत बनाने के लिए भारतीय देशी राजाओं, महराजाओं, रियासतदारों, तालुकेदारों ने अपनी 546 रियासतों को भारत में विलय कर दिया जिसमें 513 रियासतें क्षत्रिय राजाओं की थी। इस आरक्षण के विष से भारत भविष्य में खण्डित होने के कगार पर पहुँच जाएगा और आज हम वैसा होते देख भी रहे हैं।
●मिथक- अंबेडकर स्वेदशी विचारधारा के थे।
सच्चाई- देश के सभी नेताओं का तत्कालीन पहनावा भारतीय पोशाक धोती -कुर्ता, पैजामा-कुर्ता, सदरी व टोपी,पगड़ी, साफा, आदि हुआ करता था। गाँधी जी ने विदेशी पहनावा व वस्तुओं की होली जलवाई थी। यद्यपि नेहरू, गाँधी व अन्य नेता विदेशी विश्वविद्यालय व विदेशों में रहे भी थे फिर भी स्वदेशी आंदोलन से जुड़े रहे। वहीं अंबेडकर की कोई भी तस्वीर भारतीय पहनावे में देखने को नहीं मिलती है। अंबेडकर अंग्रेजियत के हिमायती थे।
नोट- मेरा उद्देश्य किसी की भावनाओं को ठेस पहुचाना नहीं है बल्कि सच्चाई बयां करने की कोशिश करना है।तथ्यों की जानकारी आप स्वयं भी प्राप्त कर सकते हैं।
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