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ख़ामोशी से उदासी धिक् जाती है
जोश में बदमाशी हो जाती है
बचती है वोही प्रजाति
जिस्मे मर्दानगी रेह जाती है।
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दिल की धडकनों ने आवाज लगाई है ....
अज अंग्रेजो से ना मुगलों से ,
आज अपनों से लडाई हे।
सहेंगे हम आखिर तक ,
लडेंगे हम आखिर तक ,
हम्मे गर्वे है हम हिन्दू है,
क्युकि हमे माँ ने एक बात सिखाई हे ,
कि , ज़ख्म से बड़ा दवाई हे।
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हर वक़्त तंहाई है ,
तो गम ना करो ,
हो कमजोर लाख्होसे ,
तो सर्म न करो,
है मुट्ठी बंद आज तो क्या ,
मुस्कुराना बंद ना करो,
हर दिन अलग होता है सबका,
अपनी ईछा को कम न करो,
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