Monday, May 2, 2011

कुछ दिल कहेता है ...


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ख़ामोशी से उदासी धिक् जाती है 
जोश में बदमाशी हो जाती है 
बचती है वोही प्रजाति 
जिस्मे मर्दानगी रेह जाती है। 
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 दिल की धडकनों ने आवाज लगाई  है .... 

अज अंग्रेजो से ना मुगलों से , 
आज अपनों से लडाई हे।
सहेंगे हम आखिर तक ,
लडेंगे हम आखिर तक ,
हम्मे गर्वे है हम हिन्दू है,
क्युकि हमे माँ ने एक बात सिखाई हे ,
कि , ज़ख्म से बड़ा दवाई हे। 


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हर वक़्त तंहाई है ,
तो गम ना करो ,
हो कमजोर लाख्होसे ,
तो सर्म न करो,
है मुट्ठी बंद आज तो क्या ,
मुस्कुराना बंद ना करो,
हर दिन अलग होता है सबका,
अपनी ईछा को कम न करो,

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