Sunday, January 28, 2018

क्यों भड़की कासगंज में हिंसा ?

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विशाल ठाकुर कई दिनों से इस तिरंगा यात्रा की तैयारी कर रहा था।300 बाइक्स इसका टारगेट था साथ ही वो इन बाइक्स के साथ पूरा शहर कवर करना चाहता था,ये उसकी राजनीतिक इच्छा हो सकती है।उसने कासगंज के बड्डू नगर जो कि मुस्लिम और क्रिमिनल जोन है उसमें भी अपनी यात्रा ले जाना प्लान कर रखा था।ये खबर पूरे शहर में थी।
बड्डू नगर का पढ़ा लिखा शातिर वकील मुनाजिर रफ़ी जो मुस्लिम लड़को में खासा चर्चित है,उसने इनको रोकने के लिए प्लान बनाया था।एक छोटा सा गणतंत्र दिवस का आयोजन अपनी गली में रख लिया साथ ही बड़ी संख्या में आ रहे लड़कों से मुकाबले के लिए मुस्लिम लड़को को तैयार भी कर लिया।
जब 26 जनवरी के दिन तिरंगा यात्रा मुनाजिर के इलाके में पहुँची तो वंहा बस 3 लड़को में जिनमे से एक मुनाजिर भी था 300 बाइक्स का रास्ता रोक लिया और उनको वापस जाने को कहने लगा।
वापस भेजने के लिए बस एक तर्क था कि आगे हमारा प्रोग्राम होना है तो तुम यंहा से नही जा सकते हो ।18 फ़ीट की गली से सभी का पीछे जाना भी संभव नही था और नई उम्र के लड़के इसके लिए तैयार भी नही थे।तकरीबन 12 मिनट की गहमा-गहमी के बाद अचानक सब्र जैसे ही टूटा, इन 3 लड़को को छतों से कवर कर रहे लड़कों ने ई ट, पत्थर,तेज़ाब की बोतल फैकने शुरू कर दिए।भगदड़ सी मच गई तभी कुछ फ़ायर हुए एक चंदन को और दूसरा राहुल  को लगा।उस छोटी से गली में 300 बाइक्स वाले तकरीबन 500 लड़के अपने को असुरक्षित महसूस करते हुए अपनी बाइक्स छोड़ कर भाग खड़े हुए।बड़ी मुश्किल से कुछ लड़के घायलों को विलराम गेट तक लाए।घटना के कुछ देर बाद जैसे ही शहर में ये खबर फैली तभी फोर्स और काफी हिन्दू घटना स्थल की तरफ भागे लेकिन अब गली में सन्नता फैला हुआ था।सड़क बाइक्स और ईट, पत्थर और टूटे शीशों से पटी पड़ी थी।
तिरंगा यात्रा लेकर चल रहे लड़के किसी धार्मिक जुलूस का हिस्सा नही थे जो उनको किसी गली मोहल्ले में जाने से पहले किसी की अनुमति की आवश्यकता हो ।
तिरंगा यात्रा में शामिल हुए लड़को के पास झंडा और उसमें लगा दंडा के अलावा कुछ भी न था और हमारे देश प्रेमी भाइयों के पास चंद मिनटों में ईंट,पत्थर, तेज़ाब की बोतलें और देसी कट्टे सब निकल आए।

सवाल-1-झंडा जब 8 बजे फहरा दिया जाता है तो इन मुस्लिम लड़कों ने किसके इंतज़ार में 10 बजे के बाद तक कार्यक्रम रोक कर रखा हुआ था।
2-रास्ता रोकने वाले 3 लड़को के एक इशारे पर 500 की भीड़ तितर-वितर कैसे कर दी गयी अगर पहले से कोई तैयारी नही थी ?
3-एबीपी चैनल ख़बर दिखा रहा है कि ये विवाद वंदेमातरम कहने के वजह से हुआ है तो भारत का कौन सा कानून मुस्लिमों को विरोध के लिए हिंसा की इजाज़त देता है ?
4-तिरंगा यात्रा में भगवा झंडा फहराना किसी को कैसे उत्तेजित कर सकता है ?
5-एक जिम्मेदार चैनल अपने मुस्लिम पत्रकार जो गलत सूचना दे रहा है कि "हॉट टॉक के बाद बाइक्स को वंहा से जाने दिया गया और उसके बाद सबको पता है कि कासगंज में क्या हुआ "......घटना के बाद का वीडियो जिसमे मुस्लिम युवक,पुलिस और हिन्दू सभी है ,साथ ही घटना स्थल पर 50 से ज्यादा बाइक्स गिरी पड़ी है।कैसे कह सकते है कि वंहा से बाइक्स को जाने दिया गया ।
में 2 वीडियो भी अटैच कर रहा हू, एक घटना से कुछ sec पहले का है जिसमे गले के मफलर ,आखों पर चश्मा लगाए मुनाजिर रफ़ी नाम का वकील दिख रहा है जो तिरंगा यात्रा का रास्ता रोक रहा है और जिसके एक इशारे पर पूरा बवाल हुआ।
दूसरे वीडियो घटना के बाद का है ।

कुछ घण्टे पहले की पोस्ट में एक एबीपी पर चली न्यूज़ का वीडियो है जिसमे पूरी खबर एक गैर जिम्मेदार पत्रकार जावेद मसूरी ने दी है।जावेद ने दंगे के आरोपियों की जुबानी पूरी खबर बुन दी ।उस खबर  को गलत कहने के सभी आधार मैन लिखे है अगर आप सहमत हो तो इस दिल्ली से आये इस पत्रकार को कासगंज में रिपोर्टिंग न करने दो,प्रशासन से शिकायत करो।

मैं एक पत्रकार होने के नाते, कासगंज से दिली जुड़ाव होने में नाते ,साथ ही गर्व से वंदेमातरम कहने के नाते एबीपी की खबर की निंदा करता हूं साथ ही इसकी शिकायत NBA से भी कर रहा हू ।

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