"राजा भोज ही हैं भोपाल के प्रतीक पुरुष
भोपाल नगर निगम के प्रतीक चिन्ह में मछली है, जो नबाबी काल में भी था, वह अब तक चल रहा था....
आज उसकी जगह राजाभोज को प्रतीक रखने का प्रस्ताव आया तो नगर निगम के नेता प्रतिपक्ष कांग्रेस पार्षद सगीर ने न केवल इसका विरोध किया बल्कि राजा भोज को लुटेरा तक कहा ....
इतिहास यह है कि गौंड राजा की सेवा मेें किराए की सेना का सूबेदार दोस्त मोहम्मद अफगानिस्तान से आया था और उसने दगाकर सत्ता हथिया ली और जगदीशपुर को इस्लामनगर बना दिया और भोपाल के किले को फतेहगढ़....
दोस्त मोहोम्मद के वशंज आखिरी नबाब हमीदुल्ला ने 1947 में भारत के खिलाफ षडयंत्र रचा और हैदराबाद के निजाम के साथ पाकिस्तान में शामिल होने के लिए इंदौर के होल्कर और जोधपुर के बालक राजा को मिला लिया था...
सरदार पटेल ने उसे भोपाल में ही नजरबंद कर भारत संघ में शामिल होने के लिए दस्तखत करने पर विवश कर दिया। इसके बावजूद भोपाल रियासत के भारत संघ में विलय के लिए विलीनीकरण आंदोलन चलाना पड़ा।
भोपाल आबादी का एक हिस्सा अब भी भोपाल को नबाबी काल से ही शुरू होना मानता है और आखिरी नबाब के कई परिजन पाकिस्तान चले गए... जो यहां रह गए वे भी राजा भोज से लेकर रानी कमलापत तक को भोपाल का नहीं मानते....
हकीकत यह है कि राजा भोज न्याय, कला, साहित्य, कीर्ति और शानदार अतीत के प्रतीक हैं, वही भोपाल के असली प्रतीक पुरुष हैं"
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