सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड की तरफ़ से पेश 15 इतिहासकारों में से 12 #हिन्दू थे। इनका कहना था कि #अयोध्या में राममंदिर कभी था ही नहीं।
गवाह नं 63 आर एस शर्मा
गवाह नं 64 सूरज भान
गवाह नं 65 डी एन झा
गवाह नं 66 रोमिला थापर
गवाह नं 72 बी एन पाण्डेय
गवाह नं 74 आर एल शुक्ला
गवाह नं 82 सुशील श्रीवास्तव
गवाह नं 95 के एम श्री माली
गवाह नं 96 सुधीर जायसवाल
गवाह नं 99 सतीश चंद्रा
गवाह नं 101 सुमित सरकार
गवाह नं 102 ज्ञानेन्द्र पांडेय
हलांकि #आर्केओलोजिकल_सर्वे_ऑफ़ इंडिया के रिपोर्ट के समय ही झूठ का #पोल खुल गया था और इन्होने इलाहबाद हाईकोर्ट में #स्वीकार किया था कि ये अपने #एसी रूम में बैठकर रामजन्मभूमि का इतिहास अपनी कल्पना से लिखा था न कि तथ्यों पर, फिर भी अब सच पूरी तरह सामने आ चुका है।
मजेदार बात यह है कि इन्ही सरकारी इतिहासकारों को पढ़कर कर और रटकर मानकर हमारे यहाँ लोग #आईएएस बने। अंदाजा लगाइए #संस्कृति विरोधी इतिहास से प्राप्त ज्ञान से वे समाज को क्या परोसते रहे हैं। मास्टर कक्षा में भारत भविष्य को क्या बात रहे होंगे। भारतीय मूल्य को संकट अपने देश के भारतद्रोही, हिंदूद्रोही गुलाम बौद्धिकों ने पहुंचाई है।
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