Wednesday, November 20, 2019

JNU बनेगा सौचालय।

कब तक वतन  के पैसे से  खर्चे चलायेगा,
और उसमें भी हर बात पे नखरे दिखायेगा!

माँ सोचती थी छाले का मरहम  बनेगा तू
क्या जानती थी धुएँ के छल्ले बनायेगा तू!

सैनिक की शहादत पर  मनायेगा जश्न  तू,
वर्ना कभी तू अफ़जल की बरसी मनायेगा!

बचपन गुज़र गया  जवानी  गुज़र गयी,
पढ़ते हुए क्या अपना बुढ़ापा बितायेगा!

हॉस्टल का एक रूम था पढ़ने  के वास्ते, 
हमको खबर थी नहीं तू दुनियां बसायेगा!

अय्याशियों से पैसे बचेंगे तभी  तो वो,
थोड़ी सी बड़ी फीस के पैसे चुकायेगा!

हम चाहते थे देश की आवाज़  बनों  तुम, 
पर तू भी सियासत के ही पाले में जायेगा!

#मयंक शर्मा
🧐🧐🧐😷😷😷😎😎😎😇

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