सुधार चाबुक से नही होता साहब। जिसके पास हेलमेट न हो हेल्मेट दो ,बीमा दो,लाइसेंस दो और तुरन्त उसके पैसे लो।।बात खत्म
ये हिंदुस्तान है साहब, यहां आज भी लाखों ऐसे गरीब हैं जो बमुश्किल सालाना 40,50 हजार ही कमा पाते हैं , सरकार के तो बाप के बस की बात नही है उपयुक्त रोजगार देने की।
140 करोड़ का देश होने वाला है, वोट बैंक के लिए फ्री की योजना क्यों चलाते हो।
हमे नही चाहिए कोई फ्री की योजना उसके बदले 18 साल की उम्र होने पर driving लाइसेंस बनवा के दो न।
हमे नही चाहिए 1 रुपये किलो गेंहू, उसके बदले दिनभर 300 रुपये का रोजगार दीजिये न।
हमे नही चाहिए मुफ्त का केरोसिन महीने भर बिना कटौती के बिजली दीजिये न।
हमे नही चाहिए वृद्धा वस्था पेंशन उसके बदले सरकार के किसी दफ्तर में चपरासी की नोकरी दीजिये न।
एक व्यक्ति परचून की दुकान पर ( जो कि दुकान उसके घर से 15 किलोमीटर दूर है!) काम करने जाता है उसकी वेतन 7000 रुपये है वह 12 बी तक पढ़ा हुआ है।
दुकान जाने के लिए उसने 15000 की एक पुरानी स्प्लेंडर गाड़ी लेली, मालिक से एडवांस लेकर 4,5 हजार का ड्राइविंग लाइसेंस बनवा लिया लेकिन समय पर बिमा नही करवा पाया पारिवारिक स्तिथि ठीक नही है घर मे पत्नी और 3 बेटियां हैं , उनका घर बसाना है और कोई कमाने वाला नही है।
अब वो सरकार को चालान भरे या घर चलाये , या फिर आत्म हत्या करे?
इस विषय पर सरकार को सोचना चाहिए, ऐसे डंडे मारकर देश को नही सुधारा जा सकता श्री मानों।
अरे जिस बजह से चालान कर रहे हो वो बजह ही खत्म कर दो ना, किसी के पास हेलमेट नही है तो 500 लेकर हेलमेट दो।
किसी का बीमा नही है तो on the spot bima करवाओ , ड्राइविंग लाइसेंस नही है तो on th spot बनाइये न सबके कागज भी पूरे होंगे और देश भी सुधरेगा।
जय हिंद जय भारत।
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