धरा पे सब से किमती।
जिसे प्रेम, भाव, ज्ञान, मर्यादा व सब से अधिक त्याग की आहुति लगती है।
परिवार की परिभाषा को समझाने हेतु खुद विष्णुजी को अवतार लेना पड़ा था।
प्रभु *श्री रामजी* के रूप में।
जिसने *परिवार* पाया, वह धरा का सब से धनवान मनुष्य होता है।
परिवार! " *त्याग* " के महायज्ञ से चलता है और *उमीद* इसका दुश्मन होता है।
परिवार खुद ब खुद अनमोल फल देता है, जब इंसान को उसकी सब से अधिक जरूरत होती है।
परिवार क्या होता है?
छत, ममता, प्रेम, दुलार, माया, मित्र और उपचार।
किस्से, कहानी, नया और पुराना। खर्च, लगाम, लगन और लगान!
वस्त्र, रुमाल, बैसाकि और भोजन।
इज्जत, इंसाफ, ईमान का मंदिर,
नींद, सुकून, आंसू , दर्द !
भजन, रास, हवन और यौवन !
त्याग, तपस्या, तंत्र मंत्र और धन।
अनंत, सरल, जटिल, समस्या ,
आदि है! अंत जिसका!!
धैर्य, ज्ञान, सलाह उपाय है।।
प्रचंड स्वयमभू दुनिया है! ये माया ही मुक्ति का द्वार है। ये ही राम है। ये ही संसार है।
भागी नर तन जिसके संग परिवार है।
फिर से एक बार बतादे!
त्याग ईंधन है, उमीद दुश्मन।
देखिये ये ही मेरा प्यारा सा संसार है!
*ना में कवि हु ना में विदवान
मेरी भाषा प्रेम है! टूटी हिन्दी की माफी है मेरा सम्मान🙏🏻
*।।राम राम।।*
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