Tuesday, April 20, 2021

ऐमप्लीफाईड ग्लोबल 5G इलैक्ट्रोमैगनेटिक रेडिएशन


दुनिया की बड़ी खबर, 
इटली ने किया मृत कोरोना मरीज का पोस्टमार्टम,
हुआ बड़ा खुलासा
इटली विश्व का पहला देश बन गया है जिसनें एक कोविड-19 से मृत शरीर पर अटोप्सी  (पोस्टमार्टम) किया और एक व्यापक जाँच करने के बाद पता लगाया है कि वायरस के रूप में कोविड-19 मौजूद नहीं है, बल्कि यह सब एक बहुत बड़ा ग्लोबल घोटाला है। लोग असल में “ऐमप्लीफाईड ग्लोबल 5G इलैक्ट्रोमैगनेटिक रेडिएशन (ज़हर)” के कारण मर रहे हैं।

इटली के डॉक्टरों ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के कानून का उल्लंघन किया है, जो कि करोना वायरस से मरने वाले लोगों के मृत शरीर पर आटोप्सी (पोस्टमार्टम) करने की आज्ञा नहीं देता ताकि किसी तरह की वैज्ञानिक खोज व पड़ताल के बाद ये पता ना लगाया जा सके कि यह एक वायरस नहीं है, बल्कि एक बैक्टीरिया है जो मौत का कारण बनता है, जिस की वजह से नसों में ख़ून की गाँठें बन जाती हैं यानि इस बैक्टीरिया के कारण ख़ून नसों व नाड़ियों में जम जाता है और यही मरीज़ की मौत का कारण बन जाता है।
इटली ने इस वायरस को हराया है, ओर कहा है कि “फैलीआ- इंट्रावासकूलर कोगूलेशन (थ्रोम्बोसिस) के इलावा और कुछ नहीं है और इस का मुक़ाबला करने का तरीका आर्थात इलाज़ यह बताया है……..
ऐंटीबायोटिकस (Antibiotics tablets}
ऐंटी-इंनफ्लेमटरी ( Anti-inflamentry) और
ऐंटीकोआगूलैटस ( Aspirin) को लेने से यह ठीक हो जाता है।
ओर यह संकेत करते हुए कि इस बीमारी का इलाज़ सम्भव है, विश्व के लिए यह संनसनीख़ेज़  ख़बर इटालियन डाक्टरों द्वारा कोविड-19 वायरस से मृत लाशों की आटोप्सीज़ (पोस्टमार्टम) कर तैयार की गई है। कुछ और इतालवी वैज्ञानिकों के अनुसार वेन्टीलेटर्स और इंसैसिव केयर यूनिट (ICU) की कभी ज़रूरत ही नहीं थी। इस के लिए इटली में अब नए शीरे से प्रोटोकॉल जारी किए गए है ।
CHINA इसके बारे में पहले से ही जानता था मगर इसकी रिपोर्ट कभी किसी के सामने उसने सार्वजनिक नहीं की ।
कृपया इस जानकारी को अपने सारे परिवार, पड़ोसियों, जानकारों, मित्रों, सहकर्मीओं को साझा करें ताकि वो कोविड-19 के डर से बाहर निकल सकें ओर उनकी यह समझ मे आये कि यह वायरस बिल्कुल नहीं है बल्कि एक बैक्टीरिया मात्र है जो 5G रेडियेशन के कारण उन लोगो को नुकसान पहुँचा रहा है जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत कम है। यह रेडियेशन इंफलामेशन और हाईपौकसीया भी पैदा करता है। जो लोग भी इस की जद में आ जायें उन्हें Asprin-100mg और ऐप्रोनिकस या पैरासिटामोल 650mg लेनी चाहिए । क्यों…??? ….क्योंकि यह सामने आया है कि कोविड-19 ख़ून को जमा देता है जिससे व्यक्ति को थ्रोमोबसिस पैदा होता है और जिसके कारण ख़ून नसों में जम जाता है और इस कारण दिमाग, दिल व फेफड़ों को ऑक्सीजन नहीं मिल पाती जिसके कारण से व्यक्ति को सांस लेने में दिक्कत होने लगती है और सांस ना आने के कारण व्यक्ति की तेज़ी से मौत हो जाती है।
इटली के डॉक्टर्स ने WHO के प्रोटोकॉल को नहीं माना और उन लाशों पर आटोप्सीज़ किया जिनकी मौत कोविड-19 की वजह से हुई थी। डॉक्टरों ने उन लाशो की भुजाओं, टांगों ओर शरीर के दूसरे हिस्सों को खोल कर सही से देखने व परखने के बाद महसूस किया कि ख़ून की नस-नाड़ियां फैली हुई हैं और नसें थ्रोम्बी से भरी हुई थी, जो ख़ून को आमतौर पर बहने से रोकती है और आकसीजन के शरीर में प्रवाह को भी कम करती है जिस कारण रोगी की मौत हो जाती है। इस रिसर्च को जान लेने के बाद इटली के स्वास्थ्य-मंत्रालय ने तुरंत कोविड-19 के इलाज़ प्रोटोकॉल को बदल दिया और अपने पोज़िटिव मरीज़ो को एस्पिरिन 100mg और एंप्रोमैकस देना शुरू कर दिया। जिससे मरीज़ ठीक होने लगे और उनकी सेहत में सुधार नज़र आने लगा। इटली स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक ही दिन में 14000 से भी ज्यादा मरीज़ों की छुट्टी कर दी और उन्हें अपने अपने घरों को भेज दिया।
स्रोत: *इटली स्वास्थ्य मंत्रालय*

#SLMf

Tuesday, April 6, 2021

राजपूत और मांसाहार


राजपूतों ने जब से मांसाहार और शराब को अपनाया तभी से मुगल से पराजित होना शुरू हुआ…
राजपूतों का सिर धड से अलग होने के बाद कुल देवी युद्ध लडा करती थी…
“एक षड्यंत्र और माँस और शराब की घातकता….”
हिंदू धर्म ग्रंथ नहीँ कहते कि देवी को शराब चढ़ाई जाये..,
ग्रंथ नहीँ कहते की शराब पीना ही क्षत्रिय धर्म है.........
ये सिर्फ़ एक मुग़लों का षड्यंत्र था हिंदुओं को कमजोर करने का !
जानिये एक सच्ची ऐतिहासिक घटना…
“एक षड्यंत्र और शराब की घातकता….”
कैसे हिंदुओं की सुरक्षा प्राचीर को ध्वस्त किया मुग़लों ने ??
जानिये और फिर सुधार कीजिये !!
             मुगल का दिल्ली में दरबार लगा था और हिंदुस्तान के दूर दूर के राजा महाराजा दरबार में हाजिर थे ।
            उसी दौरान मुगल बादशाह ने एक दम्भोक्ति की “है कोई हमसे बहादुर इस दुनिया में ?”
              सभा में सन्नाटा सा पसर गया ,एक बार फिर वही दोहराया गया !
               तीसरी बार फिर उसने ख़ुशी से चिल्ला कर कहा “है कोई हमसे बहादुर जो हिंदुस्तान पर सल्तनत कायम कर सके ??
                 सभा की खामोशी तोड़ती एक बुलन्द शेर सी दहाड़ गूंजी तो सबका ध्यान उस शख्स की और गया !
वो जोधपुर के महाराजा राव रिड़मल थे !
रिड़मल जी ने कहा, “मुग़लों में बहादुरी नहीँ कुटिलता है…, सबसे बहादुर तो राजपूत है दुनियाँ में !
                 मुगलो ने राजपूतो को आपस में लड़वा कर हिंदुस्तान पर राज किया !
कभी सिसोदिया राणा वंश को कछावा जयपुर से
तो कभी राठोड़ो को दूसरे राजपूतो से…।
बादशाह का मुँह देखने लायक था ,
ऐसा लगा जैसे किसी ने चोरी करते रंगे हाथो पकड़ लिया हो।
“बाते मत करो राव…उदाहरण दो वीरता का।”
रिड़मल ने कहा “क्या किसी कौम में देखा है किसी को सिर कटने के बाद भी लड़ते हुए ??”
बादशाह बोला ये तो सुनी हुई बात है देखा तो नही ,
रिड़मल बोले ” इतिहास उठाकर देख लो कितने वीरो की कहानिया है सिर कटने के बाद भी लड़ने की ….......!! ”
बादशाह हंसा और दरबार में बेठे कवियों की और देखकर बोला
“इतिहास लिखने वाले तो मंगते होते है । मैं भी १०० मुगलो के नाम लिखवा दूँ इसमें क्या ?
               मुझे तो जिन्दा ऐसा राजपूत बताओ जो कहे की मेरा सिर काट दो में फिर भी लड़ूंगा।”
राव रिड़मल निरुत्तर हो गए और गहरे सोच में डूब गए।
              रात को सोचते सोचते अचानक उनको रोहणी ठिकाने के जागीरदार का ख्याल आया।
              रात को ११ बजे रोहणी ठिकाना (जो की जेतारण कस्बे जोधपुर रियासत) में दो घुड़सवार बुजुर्ग जागीरदार के पोल पर पहुंचे और मिलने की इजाजत मांगी।
              ठाकुर साहब काफी वृद्ध अवस्था में थे फिर भी उठ कर मेहमान की आवभगत के लिए बाहर पोल पर आये ,,
             घुड़सवारों ने प्रणाम किया और वृद्ध ठाकुर की आँखों में चमक सी उभरी और मुस्कराते हुए बोले
              ” जोधपुर महाराज… आपको मैंने गोद में खिलाया है और अस्त्र शस्त्र की शिक्षा दी है.. इस तरह भेष बदलने पर भी में आपको आवाज से पहचान गया हूँ।
              हुकम आप अंदर पधारो…मैं आपकी रियासत का छोटा सा जागीरदार, आपने मुझे ही बुलवा लिया होता।
              राव रिड़मल ने उनको झुककर प्रणाम किया और बोले एक समस्या है , और बादशाह के दरबार की पूरी कहानी सुना दी
              अब आप ही बताये कि जीवित योद्धा का कैसे पता चले की ये लड़ाई में सिर कटने के बाद भी लड़ेगा ?
         रोहणी जागीदार बोले ,” बस इतनी सी बात..
             मेरे दोनों बच्चे सिर कटने के बाद भी लड़ेंगे और आप दोनों को ले जाओ दिल्ली दरबार में ये आपकी और राजपूती की लाज जरूर रखेंगे ”
                राव रिड़मल को घोर आश्चर्य हुआ कि एक पिता को कितना विश्वास है अपने बच्चो पर.. , मान गए राजपूती धर्म को।
              सुबह जल्दी दोनों बच्चे अपने अपने घोड़ो के साथ तैयार थे!
               उसी समय ठाकुर साहब ने कहा ,” महाराज थोडा रुकिए !!
मैं एक बार इनकी माँ से भी कुछ चर्चा कर लूँ इस बारे में।”
              राव रिड़मल ने सोचा आखिर पिता का ह्रदय है कैसे मानेगा ! अपने दोनों जवान बच्चो के सिर कटवाने को ,
              एक बार रिड़मल जी ने सोचा की मुझे दोनों बच्चो को यही छोड़कर चले जाना चाहिए।
               ठाकुर साहब ने ठकुरानी जी को कहा........
” आपके दोनों बच्चो को दिल्ली मुगल बादशाह के दरबार में भेज रहा हूँ सिर कटवाने को........ ,
दोनों में से कौनसा सिर कटने के बाद भी लड़ सकता है........ ?
आप माँ हो आपको ज्यादा पता होगा....... !
ठकुरानी जी ने कहा.......
“बड़ा लड़का तो क़िले और क़िले के बाहर तक भी लड़ लेगा पर
छोटा केवल परकोटे में ही लड़ सकता है क्योंकि पैदा होते ही इसको मेरा दूध नही मिला था। लड़ दोनों ही सकते है, आप निश्चित् होकर भेज दो”
            दिल्ली के दरबार में आज कुछ विशेष भीड़ थी और हजारो लोग इस दृश्य को देखने जमा थे।
             बड़े लड़के को मैदान में लाया गया और मुगल बादशाह ने जल्लादो को आदेश दिया की इसकी गर्दन उड़ा दो..
            तभी बीकानेर महाराजा बोले “ये क्या तमाशा है ?
              राजपूती इतनी भी सस्ती नही हुई है , लड़ाई का मौका दो और फिर देखो कौन बहादुर है ?
               बादशाह ने खुद के सबसे मजबूत और कुशल योद्धा बुलाये और कहा ये जो घुड़सवार मैदान में खड़ा है उसका सिर् काट दो…
               २० घुड़सवारों को दल रोहणी ठाकुर के बड़े लड़के का सिर उतारने को लपका और देखते ही देखते उन २० घुड़सवारों की लाशें मैदान में बिछ गयी।
           दूसरा दस्ता आगे बढ़ा और उसका भी वही हाल हुआ ,
            मुगलो में घबराहट और झुरझरि फेल गयी ,
             इसी तरह बादशाह के ५०० सबसे ख़ास योद्धाओ की लाशें मैदान में पड़ी थी और उस वीर राजपूत योद्धा के तलवार की खरोंच भी नही आई।
           ये देख कर मुगल सेनापति ने कहा.......” ५०० मुगल बीबियाँ विधवा कर दी आपकी इस परीक्षा ने अब और मत कीजिये हजुर , इस काफ़िर को गोली मरवाईए हजुर…तलवार से ये नही मरेगा…
            कुटिलता और मक्कारी से भरे मुगलो ने उस वीर के सिर में गोलिया मार दी।
               सिर के परखचे उड़ चुके थे पर धड़ ने तलवार की मजबूती कम नही करी और मुगलो का कत्लेआम खतरनाक रूप से चलते रहा।
              बादशाह ने छोटे भाई को अपने पास निहत्थे बैठा रखा था
               ये सोच कर की ये बड़ा यदि बहादुर निकला तो इस छोटे को कोई जागीर दे कर अपनी सेना में भर्ती कर लूंगा
              लेकिन जब छोटे ने ये अंन्याय देखा तो उसने झपटकर बादशाह की तलवार निकाल ली।
               उसी समय बादशाह के अंगरक्षकों ने उनकी गर्दन काट दी फिर भी धड़ तलवार चलाता गया और अंगरक्षकों समेत मुगलो का काल बन गए।
               बादशाह भाग कर कमरे में छुप गया और बाहर मैदान में बड़े भाई और अंदर परकोटे में छोटे भाई का पराक्रम देखते ही बनता था।
            हजारो की संख्या में मुगल हताहत हो चुके थे और आगे का कुछ पता नही था।
             बादशाह ने चिल्ला कर कहा अरे कोई रोको इनको..।
            एक मौलवी आगे आया और बोला इन पर शराब छिड़क दो।
            राजपूत का इष्ट कमजोर करना हो तो शराब का उपयोग करो।
             दोनों भाइयो पर शराब छिड़की गयी ऐसा करते ही दोनों के शरीर ठन्डे पड़ गए।
              मौलवी ने बादशाह को कहा ” हजुर ये लड़ने वाला इनका शरीर नही बल्कि इनकी कुल देवी है और ये राजपूत शराब से दूर रहते है और अपने धर्म और इष्ट को मजबूत रखते है।
              यदि मुगलो को हिन्दुस्तान पर शासन करना है तो इनका इष्ट और धर्म भ्रष्ट करो और इनमे दारु शराब की लत लगाओ।
             यदि मुगलो में ये कमियां हटा दे तो मुगल भी मजबूत बन जाएंगे।
                उसके बाद से ही राजपूतो में मुगलो ने शराब का प्रचलन चलाया और धीरे धीरे राजपूत शराब में डूबते गए और अपनी इष्ट देवी को आराधक से खुद को भ्रष्ट करते गए।
           और मुगलो ने मुसलमानो को कसम खिलवाई की शराब पीने के बाद नमाज नही पढ़ी जा सकती। इसलिए इससे दूर रहिये।
            माँसाहार जैसी राक्षसी प्रवृत्ति पर गर्व करने वाले राजपूतों को यदि ज्ञात हो तो बताएं और आत्म मंथन करें कि महाराणा प्रताप की बेटी की मृत्यु जंगल में भूख से हुई थी क्यों …?
            यदि वो मांसाहारी होते तो जंगल में उन्हें जानवरों की कमी थी क्या मार खाने के लिए…?
             इसका तात्पर्य यह है कि राजपूत हमेशा शाकाहारी थे केवल कुछ स्वार्थी राजपूतों ने जिन्होंने मुगलों की आधिनता स्वीकार कर ली थी वे मुगलों को खुश करने के लिए उनके साथ मांसाहार करने लगे और अपने आप को मुगलों का विश्वासपात्र साबित करने की होड़ में गिरते चले गये राजपूत भाइयो ये सच्ची घटना है और हमे राजपूत समाज को इस कुरीति से दूर करना होगा।
          तब ही हम पुनः खोया वैभव पा सकेंगे और हिन्दू धर्म की रक्षा कर सकेंगे।
🙏🏻नमन ऐसी वीर परंपरा को ।🙏🏻 
🙏🏻एक क्षत्रिय की कलम से...🙏🏻
🙏🏻जय श्री राम🙏🏻
🙏🏻जय माँ भवानी🙏🏻

सभी से निवेदन है कि वे अपने सभी परिचितों को,  चाहे उनके पास Whatsapp ना हो, उन्हे मौखिक रूप से  इस शर्मनाक घटना की सच्चाई से अवगत करावैं 

🙏🏻भारत माता की जय🙏🏻

*🙏🏻भँवर हैमेन्द्र प्रताप सिंह परमार🙏🏻*
*🙏🏻विधानसभा संयोजक आईटी🙏🏻*
*🚩भारतीय जनता पार्टी, विधानसभा बसेड़ी,जिला धौलपुर (राज)🚩*
*🚩जिला प्रभारी धौलपुर:- टीम मोदी सपोर्टर,जिला धौलपुर(राज)🚩*

दुर्लभ मनुष्य जीवन

रेलवे स्टेशन के बाहर सड़क के किनारे कटोरा लिए एक भिखारी लोगों का ध्यान आकर्षित करने के लिए अपने कटोरे में पड़े सिक्कों को हिलाता रहता और साथ-साथ यह गाना भी गाता जाता*
*गरीबों की सुनो वो तुम्हारी सुनेगा -२ तुम एक पैसा दोगे वो दस लाख देगा गरीबों की सुनो..."*

*कटोरे से पैदा हुई ध्वनि व उसके गीत को सुन आते-जाते मुसाफ़िर उसके कटोरे में सिक्के डाल देते।*

*सुना था, इस भिखारी के पुरखे शहर के नामचीन लोग थे! इसकी ऐसी हालत कैसे हुई यह अपने आप में शायद एक अलग कहानी हो!*

*आज भी हमेशा की तरह वह अपने कटोरे में पड़ी चिल्हर को हिलाते हुए, 'ग़रीबों की सुनो वो तुम्हारी सुनेगा....' वाला गीत गा रहा था।*

*तभी एक व्यक्ति भिखारी के पास आकर एक पल के लिए ठिठकर रुक गया। उसकी नजर भिखारी के कटोरे पर थी फिर उसने अपनी जेब में हाथ डाल कुछ सौ-सौ के नोट गिने। भिखारी उस व्यक्ति को इतने सारे नोट गिनता देख उसकी तरफ टकटकी बाँधे देख रहा था कि शायद कोई एक छोटा नोट उसे भी मिल जाए।*

*तभी उस व्यक्ति ने भिखारी को संबोधित करते हुए कहा, "अगर मैं तुम्हें हजार रुपये दूं तो क्या तुम अपना कटोरा मुझे दे सकते हो?"*

*भिखारी अभी सोच ही रहा था कि वह व्यक्ति बोला, "अच्छा चलो मैं तुम्हें दो हजार देता हूँ!"*

*भिखारी ने अचंभित होते हुए अपना कटोरा उस व्यक्ति की ओर बढ़ा दिया और वह व्यक्ति कुछ सौ-सौ के नोट उस भिखारी को थमा उससे कटोरा ले अपने बैग में डाल तेज कदमों से स्टेशन की ओर बढ़ गया।*

*इधर भिखारी भी अपना गीत बंद कर वहां से ये सोच कर अपने रास्ते हो लिया कि कहीं वह व्यक्ति अपना मन न बदल ले और हाथ आया इतना पैसा हाथ से निकल जाए और भिखारी ने इसी डर से फैसला लिया अब वह इस स्टेशन पर कभी नहीं आएगा - कहीं और जाएगा!*

*रास्ते भर भिखारी खुश होकर  यही सोच रहा था कि 'लोग हर रोज आकर सिक्के डालते थे, पर आज दो हजार में कटोरा! वह कटोरे का क्या करेगा?' भिखारी सोच रहा था?*

*उधर दो हजार में कटोरा खरीदने वाला व्यक्ति अब रेलगाड़ी में सवार हो चुका था। उसने धीरे से बैग की ज़िप्प खोल कर कटोरा टटोला - सब सुरक्षित था। वह पीछे छुटते नगर और स्टेशन को देख रहा था। उसने एक बार फिर बैग में हाथ डाल कटोरे का वजन भांपने की कोशिश की। कम से कम आधा किलो का तो होगा!*

*उसने जीवन भर धातुओं का काम किया था। भिखारी के हाथ में वह कटोरा देख वह हैरान हो गया था। सोने का कटोरा! .....और लोग डाल रहे थे उसमें एक-दो के सिक्के!*

*उसकी सुनार वाली आँख ने धूल में सने उस कटोरे को पहचान लिया था। ना भिखारी को उसकी कीमत पता थी और न सिक्का डालने वालों को पर वह तो जौहरी था, सुनार था।*

*भिखारी दो हजार में खुश था और जौहरी कटोरा पाकर! उसने लाखों की कीमत का कटोरा दो हजार में जो खरीद लिया था।*

*इसी तरह हम भी अपने अनमोल काया की उपयोगिता को भूले बैठे है और उसे एक सामान्य कटोरे की भाँति समझ कर कौड़ियां इक्कट्ठे करने में लगे हुए हैं।*

*ये इंसानी जन्म 84 लाख योनियों के बाद मिला है। इसे ऐसे ही ना गवाएं। भगवान की भक्ति कर के अपना जीवन सफल बनायें!*

*यह मानव जीवन बहुत ही दुर्लभ है, दुर्लभ होने के साथ-साथ क्षणभंगुर भी है। इसीलिए हमेँ यह अवसर बहुत जन्मों के बाद प्राप्त हुआ है और इस मनुष्य योनि के अवसर को हम चूक न जाए, हमेँ ऐसी सतर्कता रखनी चाहिए।*

*संत और महात्मा लोग यह कहते हैं कि येन केन प्रकारेण मन: कृष्णे निवेशयेत्। हम हमेशा प्रयत्न करें कि किसी न किसी प्रकार से हमारा मन उस प्रभु से जुड़ जायें। यह सुअवसर इस मनुष्य योनि मेँ ही प्राप्त होता है कि किसी न किसी प्रकार परम पुरुषोत्तम भगवान श्री कृष्ण की हम भक्ति करें। यह भगवदभक्ति हमेँ तभी प्राप्त हो सकती है जब हम भक्तों की सगंति करें और शास्त्रों का पठन पाठन करें। हरिनाम संकीर्तन एवं गीता-भागवत आदि शास्त्रों का अध्ययन ही हमेँ इस भवसागर से पार कर सकता है।*

*मंगलमय प्रभात*
    *स्नेह वंदन*
       *प्रणाम*

Friday, April 2, 2021

Comparison between Shankaracharya and quantum physics



*Adi Shankaracharya*
This world is  (maya) an illusion.
*Quantum Physics*
The world we see and perceive are not real, they are just 3D projections of mind.

*Adi Shankaracharya*
Brahma sathya jagan mithya --Only the Brahman is the absulote reality
*Quantum Physics*
Only that conciousness is reality

*Adi Shankaracharya*
The Brahanda is created and dissolved again in to the para -brahman.
*Quantum Physics*
The atoms bind together to make planets, stars ,comets and at some time later they dis-integrate and merge with conciousness.

*Adi Shankaracharya*
Jivatma is nothing but a seperated soul from Brahman. and has to strive to merge with Brahman called moksha
*Quantum Physics*
Everyone was once part of one conciousness  later seperated. And has to merge back to that consciousness.

*Adi Shankaracharya*
when the Jiva becomes realised then it is the state of nirvana, the jiva beyond - time , space and mind.
*Quantum Physics*
when someone deeply understands that consciousness then there is no time, no space and no mind.

*Adi Shankaracharya*
Jiva feels he is real because of the presence of mind.
*Quantum Physics*
Individuality is an illusion that is caused by mind.

*Adi Shankaracharya*
Brahman cannot be realised through senses,because they are limited.
*Quantum Physics*
Infinity cannot be understood with finite mediums.

*Adi Shankaracharya and Quantum Physics* ---
We are all one consciousness experiencing differently subjectively (because of different karma). There is no such thing as death, life is just a dream. we are eternal beings. The reality as you know does not exist.

What the entire Quantum physicists have understood is just a part of Advaita Philosophy of Adi Shankaracharya which is purely derieved from the Vedas. There exists none greater a scientist than Adi Shankaracharya .

The  unchanging reality is called God by common people, called consciousness by scientists, called energy by believers.

we are all the same consciousness but appear differently because of our own actions. With a single line stated by Shankara "ब्रह्मा सत्य जगन मिथ्या, जीवो ब्रह्मैव न अपरह Brahman is the only reality , the living entity is not different from Brahman" that has revealed the inner most knowledge.

 *Nothing can match Adi  Shankara' s selfless service in the field of science and contributions to the world*