Saturday, December 12, 2020

एक पागल भिखारी


 जब बुढ़ापे में अकेला ही रहना है तो औलाद क्यों पैदा करें उन्हें क्यों काबिल बनाएं जो हमें बुढ़ापे में दर-दर के ठोकरें खाने  के लिए छोड़ दे ।

क्यों दुनिया मरती है औलाद के लिए, जरा सोचिए इस विषय पर।

मराठी भाषा से हिन्दी ट्रांसलेशन की गई ये सच्ची कथा है ।

जीवन के प्रति एक नया दृष्टिकोण आपको प्राप्त होगा।समय निकालकर अवश्य पढ़ें।
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हमेशा की तरह मैं आज भी, परिसर के बाहर बैठे भिखारियों की मुफ्त स्वास्थ्य जाँच में व्यस्त था। स्वास्थ्य जाँच और फिर मुफ्त मिलने वाली दवाओं के लिए सभी भीड़ लगाए कतार में खड़े थे।

अनायाश सहज ही मेरा ध्यान गया एक बुजुर्ग की तरफ गया, जो करीब ही एक पत्थर पर बैठे हुए थे। सीधी नाक, घुँघराले बाल, निस्तेज आँखे, जिस्म पर सादे, लेकिन साफ सुथरे कपड़े। 
कुछ देर तक उन्हें देखने के बाद मुझे यकीन हो गया कि, वो भिखारी नहीं हैं। उनका दाँया पैर टखने के पास से कटा हुआ था, और करीब ही उनकी बैसाखी रखी थी।

फिर मैंने देखा कि,आते जाते लोग उन्हें भी कुछ दे रहे थे और वे लेकर रख लेते थे। मैंने सोचा ! कि मेरा ही अंदाज गलत था, वो बुजुर्ग भिखारी ही हैं।

उत्सुकतावश मैं उनकी तरफ बढ़ा तो कुछ लोगों ने मझे आवाज लगाई : 
"उसके करीब ना जाएँ डॉक्टर साहब, 
वो बूढा तो पागल है । "

लेकिन मैं उन आवाजों को नजरअंदाज करता, मैं उनके पास गया। सोचा कि, जैसे दूसरों के सामने वे अपना हाथ फैला रहे थे, वैसे ही मेरे सामने भी हाथ करेंगे, लेकिन मेरा अंदाज फिर चूक गया। उन्होंने मेरे सामने हाथ नहीं फैलाया।

मैं उनसे बोला : "बाबा, आपको भी कोई शारीरिक परेशानी है क्या ? "

मेरे पूछने पर वे अपनी बैसाखी के सहारे धीरे से उठते हुए बोले : "Good afternoon doctor...... I think I may have some eye problem in my right eye .... "

इतनी बढ़िया अंग्रेजी सुन मैं अवाक रह गया। फिर मैंने उनकी आँखें देखीं। 
पका हुआ मोतियाबिंद था उनकी ऑखों में । 
मैंने कहा : " मोतियाबिंद है बाबा, ऑपरेशन करना होगा। "

बुजुर्ग बोले : "Oh, cataract ? 
I had cataract operation in 2014 for my left eye in Ruby Hospital."

मैंने पूछा : " बाबा, आप यहाँ क्या कर रहे हैं ? "

बुजुर्ग : " मैं तो यहाँ, रोज ही 2 घंटे भीख माँगता हूँ  सर" ।

मैं : " ठीक है, लेकिन क्यों बाबा ? मुझे तो लगता है, आप बहुत पढ़े लिखे हैं। "

बुजुर्ग हँसे और हँसते हुए ही बोले : "पढ़े लिखे ?? "

मैंने कहा : "आप मेरा मजाक उड़ा रहे हैं, बाबा। "

बाबा : " Oh no doc... Why would I ?... Sorry if I hurt you ! "

मैं : " हर्ट की बात नहीं है बाबा, लेकिन मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा है। "

बुजुर्ग : " समझकर भी, क्या करोगे डॉक्टर ? "
अच्छा "ओके, चलो हम, उधर बैठते हैं, वरना लोग तुम्हें भी पागल हो कहेंगे। "(और फिर बुजुर्ग हँसने लगे)

करीब ही एक वीरान टपरी थी। हम दोनों वहीं जाकर बैठ गए।

" Well Doctor, I am Mechanical Engineer...."--- बुजुर्ग ने अंग्रेजी में ही शुरुआत की--- " 
मैं, ***** कंपनी में सीनियर मशीन ऑपरेटर था।
एक नए ऑपरेटर को सिखाते हुए, मेरा पैर मशीन में फंस गया था, और ये बैसाखी हाथ में आ गई। कंपनी ने इलाज का सारा खर्चा किया, और बाद में  कुछ रकम और सौंपी, और घर पर बैठा दिया। क्योंकि लंगड़े बैल को कौन काम पर रखता है सर ? "
"फिर मैंने उस पैसे से अपना ही एक छोटा सा वर्कशॉप डाला। अच्छा घर लिया। बेटा भी मैकेनिकल इंजीनियर है। वर्कशॉप को आगे बढ़ाकर उसने एक छोटी कम्पनी और डाली। "

मैं चकराया, बोला : " बाबा, तो फिर आप यहाँ, इस हालत में कैसे ? "

बुजुर्ग : " मैं...? 
किस्मत का शिकार हूँ ...."
" बेटे ने अपना बिजनेस बढ़ाने के लिए, कम्पनी और घर दोनों बेच दिए। बेटे की तरक्की के लिए मैंने भी कुछ नहीं कहा। सब कुछ बेच बाचकर वो अपनी पत्नी और बच्चों के साथ जापान चला गया, और हम जापानी गुड्डे गुड़िया यहाँ रह गए। "
ऐसा कहकर बाबा हँसने लगे। हँसना भी इतना करुण हो सकता है, ये मैंने पहली बार अनुभव किया।

फिर बोला : " लेकिन बाबा, आपके पास तो इतना हुनर है कि जहाँ लात मारें वहाँ पानी निकाल दें। "

अपने कटे हुए पैर की ओर ताकते बुजुर्ग बोले : " लात ? कहाँ और कैसे मारूँ, बताओ मुझे  ? "

बाबा की बात सुन मैं खुद भी शर्मिंदा हो गया। मुझे खुद बहुत बुरा लगा।

प्रत्यक्षतः मैं बोला : "आई मीन बाबा, आज भी आपको कोई भी नौकरी दे देगा, क्योंकि अपने क्षेत्र में आपको इतने सालों का अनुभव जो है। "

बुजुर्ग : " Yes doctor, और इसी वजह से मैं एक वर्कशॉप में काम करता हूँ। 8000 रुपए तनख्वाह मिलती है मुझे। "

मेरी तो कुछ समझ ही नहीं आ रहा था। मैं बोला : 
"तो फिर आप यहाँ कैसे ? "

बुजुर्ग : "डॉक्टर, बेटे के जाने के बाद मैंने एक चॉल में एक टीन की छत वाला घर किराए पर लिया। वहाँ मैं और मेरी पत्नी रहते हैं। उसे Paralysis है, उठ बैठ भी नहीं सकती। "
" मैं 10 से 5 नौकरी करता हूँ । शाम 5 से 7 इधर भीख माँगता हूँ और फिर घर जाकर तीनों के लिए खाना बनाता हूँ। "

आश्चर्य से मैंने पूछा : " बाबा, अभी तो आपने बताया कि, घर में आप और आपकी पत्नी हैं। फिर ऐसा क्यों कहा कि, तीनों के लिए खाना बनाते हो ? "

बुजुर्ग : " डॉक्टर, मेरे बचपन में ही मेरी माँ का स्वर्गवास हो गया था। मेरा एक जिगरी दोस्त था, उसकी माँ ने अपने बेटे जैसे ही मुझे भी पाला पोसा। दो साल पहले मेरे उस जिगरी दोस्त का निधन हार्ट अटैक से हो गया तो उसकी 92 साल की माँ को मैं अपने साथ अपने घर ले आया तब से वो भी हमारे साथ ही रहती है। "

मैं अवाक रह गया। इन बाबा का तो खुद का भी हाल बुरा है। पत्नी अपंग है। खुद का एक पाँव नहीं, घरबार भी नहीं, 
जो था वो बेटा बेचकर चला गया, और ये आज भी अपने मित्र की माँ की देखभाल करते हैं। 
कैसे जीवट इंसान हैं ये ?

कुछ देर बाद मैंने समान्य स्वर में पूछा : " बाबा, बेटा आपको रास्ते पर ले आया, ठोकरें खाने को छोड़ गया। आपको गुस्सा नहीं आता उस पर ? "

बुजुर्ग : " No no डॉक्टर, अरे वो सब तो उसी के लिए कमाया था, जो उसी का था, उसने ले लिया। इसमें उसकी गलती कहाँ है ? "

" लेकिन बाबा "--- मैं बोला "लेने का ये कौन सा तरीका हुआ भला ? सब कुछ ले लिया। ये तो लूट हुई। "
" अब आपके यहाँ भीख माँगने का कारण भी मेरी समझ में आ गया है बाबा। आपकी तनख्वाह के 8000 रुपयों में आप तीनों का गुजारा नहीं हो पाता अतः इसीलिए आप यहाँ आते हो। "

बुजुर्ग : " No, you are wrong doctor. 8000 रुपए में मैं सब कुछ मैनेज कर लेता हूँ। लेकिन मेरे मित्र की जो माँ है, उन्हें, डाइबिटीज और ब्लडप्रेशर दोनों हैं। दोनों बीमारियों की दवाई चल रही है उनकी। बस 8000 रुपए में उनकी दवाईयां मैनेज नहीं हो पाती । "
" मैं 2 घंटे यहाँ बैठता हूँ लेकिन भीख में पैसों के अलावा कुछ भी स्वीकार नहीं करता। मेडिकल स्टोर वाला उनकी महीने भर की दवाएँ मुझे उधार दे देता है और यहाँ 2 घंटों में जो भी पैसे मुझे मिलते हैं वो मैं रोज मेडिकल स्टोर वाले को दे देता हूँ। "

मैंने अपलक उन्हें देखा और सोचा, इन बाबा का खुद का बेटा इन्हें छोड़कर चला गया है और ये खुद किसी और की माँ की देखभाल कर रहे हैं।
मैंने बहुत कोशिश की लेकिन खुद की आँखें भर आने से नहीं रोक पाया।

भरे गले से मैंने फिर कहा : "बाबा, किसी दूसरे की माँ के लिए, आप, यहाँ रोज भीख माँगने आते हो ? "

बुजुर्ग : " दूसरे की ? अरे, मेरे बचपन में उन्होंने बहुत कुछ किया मेरे लिए। अब मेरी बारी है। मैंने उन दोनों से कह रखा है कि, 5 से 7 मुझे एक काम और मिला है। "

मैं मुस्कुराया और बोला : " और अगर उन्हें पता लग गया कि, 5 से 7 आप यहाँ भीख माँगते हो, तो ? "

बुजुर्ग : " अरे कैसे पता लगेगा ? दोनों तो बिस्तर पर हैं। मेरी हेल्प के बिना वे करवट तक नहीं बदल पातीं। यहाँ कहाँ पता करने आएँगी.... हा....हा... हा...."

बाबा की बात पर मुझे भी हँसी आई। लेकिन मैं उसे छिपा गया और बोला : " बाबा, अगर मैं आपकी माँ जी को अपनी तरफ से नियमित दवाएँ दूँ तो ठीक रहेगा ना। फिर आपको भीख भी नहीं मांगनी पड़ेगी। "

बुजुर्ग : " No doctor, आप भिखारियों के लिए काम करते हैं। माजी के लिए आप दवाएँ देंगे तो माजी भी तो भिखारी कहलाएंगी। मैं अभी समर्थ हूँ डॉक्टर, उनका बेटा हूँ मैं। मुझे कोई भिखारी कहे तो चलेगा, लेकिन उन्हें भिखारी कहलवाना मुझे मंजूर नहीं। "
" OK Doctor, अब मैं चलता हूँ। घर पहुँचकर अभी खाना भी बनाना है मुझे। "

मैंने निवेदन स्वरूप बाबा का हाथ अपने हाथ में लिया और बोला : " बाबा, भिखारियों का डॉक्टर समझकर नहीं बल्कि अपना बेटा समझकर मेरी दादी के लिए दवाएँ स्वीकार कर लीजिए। "

अपना हाथ छुड़ाकर बाबा बोले : " डॉक्टर, अब इस रिश्ते में मुझे मत बांधो, please, एक गया है, हमें छोड़कर...."
" आज मुझे स्वप्न दिखाकर, कल तुम भी मुझे छोड़ गए तो ? अब सहन करने की मेरी ताकत नहीं रही...."

ऐसा कहकर बाबा ने अपनी बैसाखी सम्हाली। और जाने लगे, और जाते हुए अपना एक हाथ मेरे सिर पर रखा और भर भराई, ममता मयी आवाज में बोले : "अपना ध्यान रखना मेरे बच्चे..."

शब्दों से तो उन्होंने मेरे द्वारा पेश किए गए रिश्ते को ठुकरा दिया था लेकिन मेरे सिर पर रखे उनके हाथ के गर्म स्पर्श ने मुझे बताया कि, मन से उन्होंने इस रिश्ते को स्वीकारा था।

उस पागल कहे जाने वाले मनुष्य के पीठ फेरते ही मेरे हाथ अपने आप प्रणाम की मुद्रा में उनके लिए जुड़ गए।

हमसे भी अधिक दुःखी, अधिक विपरीत परिस्थितियों में जीने वाले ऐसे भी लोग हैं।
हो सकता है इन्हें देख हमें हमारे दु:ख कम प्रतीत हों, और दुनिया को देखने का हमारा नजरिया बदले....

हमेशा अच्छा सोचें, हालात का सामना करे...।

🙏🏻🌹🌹🙏🏻

Friday, November 27, 2020

डाकू भूपत सिंग

*कहानी  गुजरात के सौराष्ट्र इलाके के कुख्यात डाकू भूपत सिंह की  जिसे पाकिस्तान ने मुस्लिम बनने की शर्त पर अपने यहां शरण दे दिया था*

गुजरात के सौराष्ट्र इलाके के कुख्यात डकैत भूपत सिंह की कहानी बेहद दिलचस्प है।

सन 1939 में बड़ौदा के महाराजा थे प्रताप सिंह राव गायकवाड उन्होंने अपने यहां एक घुड़सवारी की प्रतियोगिता रखी जिसमें एक युवक भूपत सिंह ने इनाम जीता था।

भूपत सिंह अमरेली के एक रियासत के राज दरबार में घोड़ों की देखभाल करने का काम करता था और जब राजा शिकार पर जाते तब भूपत उनके साथ जाता था इसी तरह भूपत ने बचपन से ही बंदूक चलाना सीख लिया था और उसका निशाना अचूक हो गया था।
फिर देश आजाद हो गया और रजवाड़े खत्म हो गए उसी दौरान राजकोट के गोंडल कस्बे में एक अमीर मुस्लिम व्यापारी ने उस जमाने में 9 लाख रुपये खर्च करके अपना घर बनाया था और उस जमाने में इलाके के लोग उसे नौलखा घर करते थे क्योंकि यह नौ लाख में बना था।

और इस घर में डकैती पड़ी और इस डकैती का आरोप भूपत सिंह पर लगा और भूपत सिंह फरार हो गया और अपने कुछ साथियों को मिलाकर अपना एक गैंग बना लिया और फिर उसके बाद उसने कत्ल और डकैती की कई वारदातों को अंजाम दिया।

धीरे-धीरे उसके गैंग में 42 डकैत शामिल हो गए और एक के बाद एक भूपत गैंग ने 90 हत्याएं और उस जमाने में साढे आठ लाख की डकैती की जो उस जमाने में बहुत बड़ी रकम हुआ करती थी।

अपने इन कारनामों के चलते भूपत राष्ट्रीय अखबारों और विदेशी मीडिया में सुर्खी बन गया था और उस समय सौराष्ट्र के गृह मंत्री पुलिस की नाकामी से बहुत खफा हुए और उन्होंने यह घोषणा कर दिया कि जब तक भूपत सिंह पकड़ा नहीं जाएगा तब तक पुलिस के वेतन में 25% की कटौती कर दी जाएगी।

उस समय गुजरात मुंबई प्रेसीडेंसी राज्य का हिस्सा हुआ करता था फिर सरकार ने पुणे में काम कर रहे 1933 बैच के IPS अफसर विष्णु गोपाल कटिनकर को भूपत गैंग का खात्मा करने के लिए सौराष्ट्र भेजा और काटीनकर को आउट आफ टर्न प्रमोशन देकर राजकोट रेंज का आईजी बनाया गया।

पुलिस अधिकारी का काटिनकर साहब ने नए सिरे से भूपत गैंग को खत्म करने का प्लान रख रचा और पुलिस में कई विश्वसनीय मुखबीर भर्ती किए।

काटीनकर ने बहुत कोशिश किया लेकिन उन्हें भूपत गैंग का कोई सुराग नहीं मिल रहा था।

तभी राजकोट में लूट की एक वारदात हुई और पता चला कि इस लूट को भूपत गैंग ने अंजाम दिया है और डकैतों का यह दल कार से फरार हुआ है।

घटनास्थल पर एक गैराज की पर्ची मिली और इस पर्ची से पता चला कि वारदात में इस्तेमाल की गई कार एक भूतपूर्व राजकुमार की है कटिनकर साहब ने भूतपूर्व राजकुमार पर दबाव डाला और राजकुमार ने बता दिया कि उन्होंने भूपत के साथी डाकू कालू देवायत को पनाह दी है उसके बाद काटीनकर उस राजपरिवार के फार्म हाउस गए फिर गोलीबारी में भूपत के साथी डकैत कालू देवायत को गोली मार दी गई और गैंग के कई डकैत फरार हो गए ।

लेकिन पुलिस ने पीछा करते-करते उन्हें चारों तरफ से घेर लिया और पुलिस ने कई डकैतों को मार दिया हालांकि पुलिस के 2 जवान भी शहीद हुए थे

इस तरह एक के बाद एक भूपत गैंग के कई डकैतों को का खात्मा कर दिया गया।

उसी दरम्यान भूपत सिंह डकैत के सबसे भरोसेमंद साथी राणा किसी काम से बड़ोदरा गया पुलिस को सूचना मिली और 700 जवानों की मदद से राणा की घेराबंदी किया गया और राणा को गोली मार दी गई ।

अपने गैंग के सभी विश्वसनीय साथियों के खात्मे के बाद भूपत एकदम डर गया अब उसे भी एहसास हो गया था कि या तो उसका भी एनकाउंटर कर दिया जाएगा या यदि वह पकड़ा गया तो उसे फांसी होगी।

उसके बाद वह कच्छ की सीमा से पाकिस्तान भाग गया। पाकिस्तानी सुरक्षाबलों ने उसे पकड़ लिया और उसे गैरकानूनी तरीके से सीमा पार करने के जुर्म में 1 साल की कैद और ₹100 का जुर्माना हुआ।

मुकदमे के दौरान भूपत सिंह ने खुद को पाकिस्तान में शरण दिए जाने की अपील की। फिर पाकिस्तानी सरकार ने उसे इस शर्त पर पाकिस्तान में शरण देने की अर्जी स्वीकार की कि भूपत सिंह इस्लाम कुबूल कर लेगा उसके बाद भूपत सिंह ने इस्लाम कुबूल करने का वादा किया और कराची की एक मस्जिद में कलमा पढ़ कर मुसलमान बन गया और अपना नाम युसूफ रख लिया।

उस समय भारत के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू थे और कुख्यात डकैत भगत सिंह को पाकिस्तान से प्रत्यर्पण की कई कोशिशें हुई।

उस जमाने में पाकिस्तान में भारत के उच्चायुक्त रहे डॉक्टर पी सी ए राघवन बताते हैं कि खुद नेहरू भूपत सिंह के प्रत्यर्पण में काफी रूचि लिए लेकिन जब भारत सरकार भूपत डाकू को भारत वापस लाने में विफल रहे तब नेहरू ने भूपत का मुद्दा दूसरे देशों के सामने भी उठाये।

इधर गुजरात में गुजरात के नेताओं के दबाव की वजह से भूपत का मुद्दा लगातार मीडिया में चर्चा में बना हुआ था इतना ही नहीं कई विदेशी मीडिया जैसे न्यूयॉर्क टाइम्स और बीबीसी भी भूपत सिंह के मुद्दे पर खूब लिख रहा था।

उसके बाद जुलाई 1956 में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री मोहम्मद अली डोगरा के बीच भूपत के प्रत्यर्पण को लेकर बातचीत हुई, लेकिन पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने नेहरू को एकदम मना कर दिया कि भूपत को भारत के हवाले नहीं किया जाएगा ।

फिर उसी समय प्रख्यात अखबार ब्लिट्ज ने अप्रैल 1953 के अंक में एक स्टोरी छाप कर भारत को हिला दिया कि डकैत भूपत उर्फ यूसुफ को पाकिस्तानी सेना में भारतीय डाकुओं की भर्ती करने का काम सौंपा गया है और भूपत कई कुख्यात भारतीय डाकुओं के संपर्क में है जिन्हें पाकिस्तानी सेना में भर्ती करके भारत के खिलाफ इस्तेमाल किया जाएगा।

भूपत की पहली पत्नी गुजरात के सौराष्ट्र इलाके में रहती थी लेकिन पाकिस्तान जाने के बाद ऊपर इस्लाम कुबूल कर लिया तब पाकिस्तान में उसने दोबारा शादी की और उसके बच्चे भी हुए।

इस कुख्यात डकैत भूपत पर बहुत सी फिल्में बनी है जिसमें सबसे सुपरहिट फिल्म तेलुगू अभिनेता एनटी रामा राव ने बनाई थी जिसमें उन्होंने खुद अभिनय भी किया था। इसके अलावा भूपत पर बहुत सी किताबें लिखी गई है और भूपत गैंग का खात्मा करने वाले पुलिस अधिकारी 1933 बैच के आईपीएस ऑफिसर काटिनकर ने भी मराठी भाषा में एक किताब लिखी है।

भूपत का पाकिस्तान में बाद में बहुत बुरा हाल हो गया पाकिस्तानी फौज और पाकिस्तानी सरकार को जब लगा कि भूपत उसके लिए फायदेमंद नहीं है तब उन्होंने भूपत को उसके हाल पर छोड़ दिया।

बुढ़ापे में भूपत उर्फ यूसुफ दूध बेचकर गुजारा करता था और भारत आने की बहुत कोशिश किया लेकिन तब भारत सरकार ने ही मना कर दिया।

वह दो बार भारत की सीमा में घुसने की कोशिश किया लेकिन पाकिस्तानी रेंजरो ने उसे पकड़कर जेल में बंद कर दिया अंत में 2006 में बुढ़ापे में कई बीमारियों से पीड़ित कुख्यात डकैत भूपत सिंह उर्फ यूसुफ की पाकिस्तान में मौत हो गई और उसे कराची के कब्रिस्तान में दफना दिया गया

Thursday, May 28, 2020

This "Swara Sthambha" (Musical Pillar) of Hampi is not just a stone & Sculpture.

When you visit a temple each "Shila" has volumes of information to convey us.

This single amazing work on the hardest rock in the world has more than 30 elements of which I chose 8 to explain.

1) Bhitta - Base, with events related to trade, commerce & Military.
2) Jaadyakumbha - is the invertion of a Bud opening generally the Padma/Lotus.

3) Graasapatta - a band of Kirtimukhas, Simhamukhas, Asva or Gaja to avoid Drishti or Dosha.

4) Kapota - Usually birds like pigeons sit in this area, so the name.
5) Mancha Bhadra - Square shaped pedestal/base.
6) Swara Sthambha - the main part of pillar sculpted in to 12 different smaller pillars that produce music nodes

7) Seersha - the final or the head, with different yalis

8) Dandachadya - the Chajja/Eave. This Chajja is unique because the design that's only possible on wood construction is brought on to stone. "Mera Bharath Mahan"
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Monday, May 11, 2020

अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस (International Nurses Day)



वितरण नोबेल नर्सिंग सेवा की शुरुआत करने वाली "फ्लोरेंस नाइटइंगेल" के जन्म दिवस पर हर वर्ष पूरी दुनिया में 12 मई को अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस मनाया जाता है। 

जिसकी शुरुआत 1965 से हुई जिसका उद्देश्य इंटरनेशनल काउंसिल आफ नर्सेस, नर्सों के लिए  एक विषय की शैक्षिक और सार्वजनिक सूचना की जानकारी की सामग्री का निर्माण और वितरण करके इस दिन को याद करना। 

नर्सों को सराहनीय सेवा के लिए भारत सरकार के परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय फ्लोरेंस नाइटिंगल पुरस्कार की शुरुआत किया गया। यह पुरस्कार प्रतिवर्ष माननीय राष्ट्रपति के द्वारा प्रदान किया जाता है। 

जय हिंद
🙏🙏🙏🌹🌹🌹🙏🙏🙏

आम कि बात

बग में आम गिरे थे बहुत सारे,
मेने एक भी पत्थर नहीं मारे,
अंधी तूफ़ां का ये चपेट था,
प्रकृति माँ का दिया भेंट था,
बीन बीनकर, में थक सा गया था!
आम गिरेथे काफी वहा पर!! कोई ना था!

याद आ गई दो दिन पेहेले की बात
यू ही तूफा गर्जी थी! दीन की ये बात,
जमा थे काफि लोग पेड़ के नीचे,
में रह गया था सब से पीछे!
सब भर भर ले गये आम से थैली,
उदास रह गया था में! खाली झोली,
दिल ने बस कहीं इतनिसि बात! प्रकृति माँ से!
"मन मुझे भी था एक आम खाने का यहाँ से"
प्रकृति माँ ने सुन ली मेरी छोटी फरियाद!
पेहली वाली पंक्ति है, किस्सा! दो दीन बाद!!


||राम राम||
जय माँ प्रकृति
जय कलयुग

रामनामी जनजातियों कि राम नाम की श्रद्धा

ये है राम-नामी जनजाति.....जंगल में  रहने वाले ये लोग अपने लगभग पूरे शरीर पर भगवान राम का नाम गुदवाते हैं, वो भी स्थायी रूप से।

इस समुदाय को किसी पुराने समय में श्री राम में मन्दिर में नहीं जाने दिया गया था। तब इनके पूर्वजों ने कहा था कि राम को हमसे छीनकर बताओ तो जाने....राम को हमसे कोई अलग नहीं कर सकता।

इस तरह से जनजाति में पूरे शरीर पर राम का नाम गुदवाने की परंपरा चल बसी। आजतक ये जनजाति किसी दूसरे मनुष्य निर्मित तथाकथित धर्म में परिवर्तित न हो सकी।

ये लोग कट्टर रामपंथी होते हैं। अब इस जनजाति के लोग मन्दिर भी जाते हैं । अब परिस्थितियां बदल गयी मगर राम नाम लिखने की परंपरा आज तक न बदली।

इस राम नामी जनजाति को समस्त हिंदुओं की तरफ से कोटि कोटि नमन। 🙏🙏

Saturday, May 9, 2020

धर्म का मज्जाक उड़ाने वालों को माँ प्राकृत ने सबक सिखाया।

थोड़ा समय दीजिए, विषय पढ़ने लायक है..

जिस छुआछूत को बदनाम कर करके  उपन्यासो में फिल्मों में ब्राह्मणो को झूठा और फर्जी बदनाम किया गया वहीं छुआछूत आज ब्रह्मांड की ब्रह्मास्त्र बनकर रक्षा कर रहा है।।

आपने अपने शास्त्रों का एवं ब्राह्मणों का खूब मज़ाक उड़ाया था जब वह यह कहते थे कि जिस व्यक्ति का आप चरित्र न जानते हों, उससे जल या भोजन ग्रहण नहीं करना चाहिए ।

क्योंकि आप नहीं जानते कि अमुक व्यक्ति किस विचार का है , क्या शुद्धता रखता है ,कौन से गुण प्रधान का है , कौन सा कर्म करके वह धन ला रहा है , शौच या शुचिता का कितना ज्ञान है , किस विधा से भोजन बना रहा है , उसके लिए शुचिता या शुद्धता के क्या मापदंड हैं इत्यादि !!!

     किन्तु वर्तमान समय में एक करोना वायरस की वजह से सभी को एक मीटर तक की दूरी बनाए रखने की हिदायत पूरा विश्व दे रहा है और जो व्यक्ति दूरी नहीं बनाता है उसे सजा देने का काम कर रहे हैं पूरा विश्व लकड़ाउन का पालन करने को मजबूर है

जिसका चरित्र नहीं पता हो , उसका स्पर्श करने को भी मना किया गया है

यह बताया जाता था कि हर जगह पानी और भोजन नहीं करना चाहिए , तब English में american और british accent में आपने इसको मूर्खता और discrimination बोला था !!

बड़ी हँसी आती थी तब !!!! बकवास कहकर आपने अपने ही शास्त्र और ब्राह्मणों को दुत्कारा था ।

और आज ??????

यही जब लोग विवाह के समय वर वधु की 3 से 4 पीढ़ियों का अवलोकन करते थे कि वह किस विचारधारा के थे ,कोई जेनेटिक बीमारी तो नहीं , किस height के थे , कितनी उम्र तक जीवित रहे , खानदान में कोई वर्ण संकर का इतिहास तो नहीं रहा इत्यादि ताकि यह सुनिश्चित कर सकें कि आने वाली सन्तति विचारों और शरीर से स्वस्थ्य बनी रहे और बीमारियों से बची रहे , जिसे आज के शब्दों में GENETIC SELECTION बोला जाता है ।

जैसे आप अपने पशु चाहे वह कुत्ता हो या गाय हो का गर्भाधान कराते हैं तो यह ध्यान रखते हैं कि अमुक कुत्ता या बैल हृष्ट पुष्ट हो , बीमारी विहीन हो , अच्छे "नस्ल" का हो । इसीलिए वीर्य bank बना जहाँ अच्छे sperms की उपलब्धता होती है ।
ऐसा तो नहीं कहते न कि इसको जिससे प्रेम हो उससे गर्भाधान करा लें । तब तो समझ रहे हैं न कि आपकी कुतिया या गाय का क्या हश्र होगा और आने वाली generation क्या होगी  !!!!!

पर आप इन सब बातों पर हंसते थे ।।।

यही शास्त्र जब बोलते थे कि जल ही शरीर को शुद्ध करता है और कोई तत्व नहीं ,बड़ी हँसी आयी थी आपको !!

तब आपने बकवास बोलकर अपना पिछवाड़ा tissue paper से साफ करने लगे ,खाना खाने के बाद जल से हाथ धोने की बजाय tissue पेपर से पोंछ कर इतिश्री कर लेते थे ।

और अब ????
जब यही ब्राह्मण और शास्त्र बोलते थे कि भोजन ब्रह्म के समान है और यही आपके शरीर के समस्त अवयव बनाएंगे और विचारों की शुद्धता और परिमार्ज़िता इसी से संभव है इसलिए भोजन को चप्पल या जूते पहनकर न छुवें ।

बड़ी हँसी आयी थी आपको !! Obsolete कहकर आपने खूब मज़ाक उड़ाया !!!  
जूते पहनकर खाने का प्रचलन आपने दूसरे देशों के आसुरी समाज से ग्रहण कर लिया । Buffet system बना दिया ।

उन लोगों का मजाक बनाया जो जूते चप्पल निकालकर भोजन करते थे ।

अरे हमारी कोई भी पूजा , यज्ञ, हवन सब पूरी तरह स्वच्छ होकर , हाथ धोकर करने का प्रावधान है ।

पंडित जी आपको हाथ में जल देकर हस्त प्रक्षालन के लिए बोलते हैं ।आपके ऊपर जल छिड़ककर मंत्र बोलते हैं :-
ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोऽपिवा ।।
यः स्मरेत्पुण्डरीकाक्षं स बाह्यभ्यन्तरः शुचिः ॥

ॐ पुनातु पुण्डरीकाक्षः पुनातु पुण्डरीकाक्षः पुनातु ।।

तब भी आपने मजाक उड़ाया ।
जब सनातन धर्मी के यहाँ किसी के घर शिशु का  जन्म होता था तो सूतक लगता था । इस अवस्था में ब्राह्मण 10 दिन , क्षत्रिय 15 दिन , वैश्य 20 दिन और शूद्र 30 दिन तक सबसे अलग रहता है । उसके घर लोग नहीं आते थे , जल तक का सेवन नहीं किया जाता था जब तक उसके घर हवन या यज्ञ से शुद्धिकरण न हो जाये । प्रसूति गृह से माँ और बच्चे को निकलने की मनाही होती थी । माँ कोई भी कार्य नहीं कर सकती थी और न ही भोजनालय में प्रवेश करती थी ।
इसका भी आपने बड़ा मजाक उड़ाया ।।

ये नहीं समझा कि यह बीमारियों से बचने या संक्रमण से बचाव के लिए Quarantine किया जाता था या isolate किया जाता था ।

प्रसूति गृह में माँ और बच्चे के पास निरंतर बोरसी सुलगाई रहती थी जिसमें नीम की पत्ती, कपूर, गुग्गल इत्यादि निरंतर धुँवा दिया जाता था।

उनको इसलिए नहीं निकलने दिया जाता था क्योंकि उनकी immunity इस दौरान कमज़ोर रहती थी और बाहरी वातावरण से संक्रमण का खतरा रहता था ।

लेकिन आपने फिर पुरानी चीज़ें कहकर इसका मज़ाक उड़ाया और आज देखिये 80% महिलाएँ एक delivery के बाद रोगों का भंडार बन जाती हैं कमर दर्द से लेकर , खून की कमी से लेकर अनगिनत समस्याएं  ।

ब्राह्मण , क्षत्रिय , वैश्य , शुद्र के लिए अलग Quarantine या isolation की अवधी इसलिए क्योंकि हर वर्ण का खान पान अलग रहता था , कर्म अलग रहते थे जिससे सभी वर्णों के शरीर की immunity system अलग होता था जो उपरोक्त अवधि में balanced होता था ।

ऐसे ही जब कोई मर जाता था तब भी 13 दिन तक उस घर में कोई प्रवेश नहीं करता था । यही Isolation period था । क्योंकि मृत्यु या तो किसी बीमारी से होती है या वृद्धावस्था के कारण जिसमें शरीर तमाम रोगों का घर होता है । यह रोग हर जगह न फैले इसलिए 14 दिन का quarantine period बनाया गया ।

अरे जो शव को अग्नि देता था  या दाग देता था । उसको घर वाले तक नहीं छू सकते थे 13 दिन तक । उसका खाना पीना , भोजन , बिस्तर , कपड़े सब अलग कर दिए जाते थे । तेरहवें दिन शुद्धिकरण के पश्चात , सिर के बाल हटवाकर ही पूरा परिवार शुद्ध होता था ।

तब भी आप बहुत हँसे थे ।  bloody indians कहकर मजाक बनाया था !!!

जब किसी रजस्वला स्त्री को 4 दिन isolation में रखा जाता है ताकि वह भी बीमारियों से बची रहें और आप भी बचे रहें तब भी आपने पानी पी पी कर गालियाँ दी । और नारीवादियों को कौन कहे  , वो तो दिमागी तौर से अलग होती हैं , उन्होंने जो ज़हर बोया कि उसकी कीमत आज सभी स्त्रियाँ तमाम तरह की बीमारियों से ग्रसित होकर चुका रही हैं ।

जब किसी के शव यात्रा से लोग आते हैं घर में प्रवेश नहीं मिलता है और बाहर ही हाथ पैर धोकर स्नान करके , कपड़े वहीं निकालकर घर में आया जाता है ,  इसका भी खूब मजाक उड़ाया आपने ।

आज भी गांवों में एक परंपरा है कि बाहर से कोई भी आता है तो उसके पैर धुलवायें जाते हैं । जब कोई भी बहूं , लड़की या कोई भी दूर से आता है तो वह तब तक प्रवेश नहीं पाता जब तक घर की बड़ी बूढ़ी लोटे में जल लेकर , हल्दी डालकर उस पर छिड़काव करके वही जल बहाती नहीं हों , तब तक । खूब मजाक बनाया था न ?

इन्हीं सवर्णों को और ब्राह्मणों को अपमानित किया था जब ये गलत और गंदे कार्य करने वाले , माँस और चमड़ों का कार्य करने वाले लोगों को तब तक नहीं छूते थे जब तक वह स्नान से शुद्ध न हो जाये ।  ये वही लोग थे जो जानवर पालते थे जैसे सुअर, भेड़ , बकरी , मुर्गा , कुत्ता इत्यादि जो अनगिनत बीमारियाँ अपने साथ लाते थे ।
ये लोग जल्दी उनके हाथ का छुआ जल या भोजन नहीं ग्रहण करते थे तब बड़ा हो हल्ला आपने मचाया और इन लोगों को इतनी गालियाँ दी कि इन्हें अपने आप से घृणा होने लगी ।

यही वह गंदे कार्य करने वाले लोग थे जो प्लेग , TB , चिकन पॉक्स , छोटी माता , बड़ी माता , जैसी जानलेवा बीमारियों के संवाहक थे ,और जब आपको बोला गया कि बीमारियों से बचने के लिए आप इनसे दूर रहें तो आपने गालियों का मटका इनके सिर पर फोड़ दिया और इनको इतना अपमानित किया कि इन्होंने बोलना छोड़ दिया और समझाना छोड़ दिया ।

आज जब आपको किसी को छूने से मना किया जा रहा है तो आप इसे ही विज्ञान बोलकर अपना रहे हैं । Quarantine किया जा रहा है तो आप खुश होकर इसको अपना रहे हैं ।

जब शास्त्रों ने बोला था तो ब्राह्मणवाद बोलकर आपने गरियाया था और अपमानित किया था ।

आज यह उसी का परिणति है कि आज पूरा विश्व इससे जूझ रहा है ।

याद करिये पहले जब आप बाहर निकलते थे तो आप की माँ आपको जेब में कपूर या हल्दी की गाँठ इत्यादि देती थी रखने को ।
यह सब कीटाणु रोधी होते हैं।
शरीर पर कपूर पानी का लेप करते थे ताकि सुगन्धित भी रहें और रोगाणुओं से भी बचे रहें ।

लेकिन सब आपने भुला दिया ।।

आपको तो अपने शास्त्रों को गाली देने में और ब्राह्मणों को अपमानित करने में , उनको भगाने में जो आनंद आता है शायद वह परमानंद आपको कहीं नहीं मिलता ।

अरे गधों !! अपने शास्त्रों के level के जिस दिन तुम हो जाओगे न तो यह देश विश्व गुरु कहलायेगा ।

तुम ऐसे अपने शास्त्रों पर ऊँगली उठाते हो जैसे कोई मूर्ख व्यक्ति के मूर्ख 7 वर्ष का बेटा ISRO के कार्यों पर प्रश्नचिन्ह लगाए ।

अब भी कहता हूँ अपने शास्त्रों का सम्मान करना सीखो । उनको मानो  ।  बुद्धि में शास्त्रों की अगर कोई बात नहीं घुस रही है तो समझ जाओ आपकी बुद्धि का स्तर उतना नहीं हुआ है । उस व्यक्ति के पास जाओ जो तुम्हे शास्त्रों की बातों को सही ढंग से समझा सके ।

अरे कुछ भी हो मुझसे ही पूछ लिया करो शायद मैं ही कुछ मदद कर दूँ । लेकिन गाली मत दो , उसको जलाने  का दुष्कृत्य मत करो ।

आपको बता दूँ कि आज जो जो Precautions बरते जा रहे हैं , मनुस्मृति उठाइये , उसमें सभी कुछ एक एक करके वर्णित है ।

लेकिन आप पढ़ते कहाँ हैं , दूसरे गधों की बातों में आकर प्रश्नचिन्ह उठायेंगे और उन्हें जलाएंगे

यह पोस्ट वैसे ही लम्बी हो गयी है अन्यथा वह सारी बातें यहाँ श्लोक सहित डालता ।
काश एक platform मिलता और mic मिल जाता तो घण्टों घण्टों बोलता और आपको एक एक अवयव से रूबरू करवाता और पूरी तरह वैज्ञानिक दृष्टिकोण लेकर

क्योंकि जिसने विज्ञान का गहन अध्ययन किया होगा , वह शास्त्र वेद पुराण इत्यादि की बातों को बड़े ही आराम से समझ सकता है , corelate कर सकता है और समझा भी सकता है ।

भले अभी इस निकृष्ट / वैश्विक संविधान की आप लोग दुहाई दे रहे हों ।

लेकिन मेरी यह बात स्वर्ण अक्षरों में लिख लीजिये कि मनुस्मृति से सर्वश्रेष्ठ विश्व में कोई संविधान नहीं बना है और एक दिन पूरा विश्व इसी मनुस्मृति संविधान को लागू कर इसका पालन करेगा ।

Note it down !! Mark my words again !! 

मुझे आप गालियाँ दे सकते हैं । 

मुझे नहीं पता कि आप इतनी लंबी पोस्ट पढ़ेंगे या नहीं लेकिन मेरा काम है आप लोगों को जगाना , जिसको जगना है या लाभ लेना है वह पढ़ लेगा ।
यह भी अनुरोध करता हूँ कि सभी  ब्राह्मण बनिये ( भले आप किसी भी जाति से हों ) और  ब्राह्मणत्व का पालन कीजिये इससे इहलोक और परलोक दोनों  सुधरेगा...

सर्वे भवन्तु सुखिनःसवेँसनतु निरामया:

अब POK नहीं होगा भारत के नक्शे पे!

आज भारत सरकार ने आधिकारिक रुप से #POK_गिलगित_बाल्टिस्तान के भारतीय क्षेत्र को खाली करने की सूचना पाकिस्तान सरकार को दे दी है ।

तो आइए pok क्षेत्र के विषय में अपनी जानकारी बढ़ाएं,
क्योंकि अब हम सभी देशवासियों को संपूर्ण जम्मू कश्मीर के इतिहास और भूगोल की सत्यता के बारे में बातचीत करने की जरूरत है विशेषकर POK और अक्साई चीन (cok) के बारे में । गिलगित जो अभी POK के रुप में है वह विश्व में एकमात्र ऐसा स्थान है जो कि 5 देशों की सीमा से जुड़ा हुआ है , अफगानिस्तान, तजाकिस्तान (जो कभी Russia का हिस्सा था), पाकिस्तान, भारत और तिब्बत-चाइना ।

"वास्तव में जम्मू कश्मीर की Importance जम्मू के कारण नहीं, कश्मीर के कारण नहीं, लद्दाख के कारण नहीं वास्तव में अगर इसकी Importance है तो वह है गिलगित-बाल्टिस्तान के कारण (pok)

अब तक ज्ञात इतिहास में भारत पर जितने भी आक्रमण हुए यूनानियों से लेकर आजतक (शक , हूण, कुषाण , मुग़ल ) वह सारे गिलगित मार्ग से ही हुए । हमारे पूर्वज जम्मू-कश्मीर के महत्व को समझते थे उनको पता था कि अगर भारत को सुरक्षित रखना है तो दुश्मन को हिंदूकुश अर्थात गिलगित-बाल्टिस्तान उस पार ही रखना होगा । किसी समय इस गिलगित में अमेरिका बैठना चाहता था, ब्रिटेन अपना base गिलगित में बनाना चाहता था , Russia भी गिलगित में बैठना चाहता था यहां तक कि पाकिस्तान ने सन 1965 में गिलगित क्षेत्र को Russia को देने का वादा तक कर लिया था आज चाइना भी इसी गिलगित में बैठना चाहता है और वह अपने पैर पसार भी चुका है और पाकिस्तान तो बैठना चाहता ही था ।

"दुर्भाग्य से जिस गिलगित के महत्व को सारी दुनिया जानती समझती है, जबकि एक ही देश के नेता उसको अपना नहीं मानते थे , जिसका वास्तव में गिलगित-बाल्टिस्तान है और वह है भारत देश । क्योंकि हमको इस बात की कल्पना तक नहीं है भारत को अगर सुरक्षित रहना है तो हमें गिलगित-बाल्टिस्तान किसी भी हालत में चाहिए । 

आज जब हम आर्थिक शक्ति बनने की सोच रहे हैं क्या आपको पता है गिलगित से By Road आप विश्व के अधिकांश कोनों में जा सकते हैं गिलगित से By Road 5000 Km दुबई है, 1400 Km दिल्ली है, 2800 Km मुंबई है, 3500 Km RUSSIA है, चेन्नई 3800 Km है लंदन 8000 Km है , जब हम सोने की चिड़िया थे तब हमारा सारे देशों से व्यापार इसी सिल्क मार्ग से चलता था 85 % जनसंख्या इन मार्गों से जुड़ी हुई थी Central Asia, यूरेशिया, यूरोप, अफ्रीका सब जगह हम By Road जा सकते है अगर गिलगित-बाल्टिस्तान हमारे पास हो । 

आज हम पाकिस्तान के सामने IPI (Iran-Pakistan-India) गैस लाइन बिछाने के लिए गिड़गिड़ाते हैं ये तापी की परियोजना है जो कभी पूरी नहीं होगी अगर हमारे पास गिलगित होता तो गिलगित के आगे तज़ाकिस्तान था हमें किसी के सामने हाथ नहीं फ़ैलाने पड़ते ।

हिमालय की 10 बड़ी चोटियों है जो कि विश्व की 10 बड़ी चोटियों में से है और ये सारी हमारी सम्पदा है और इन 10 में से 8 गिलगित-बाल्टिस्तान में है l तिब्बत पर चीन का कब्जा होने के बाद जितने भी पानी के वैकल्पिक स्त्रोत(Alternate Water Resources) हैं वह सारे गिलगित-बाल्टिस्तान में है ।

आप हैरान हो जाएंगे वहां बड़ी -बड़ी 50-100 यूरेनियम और सोने की खदाने हैं आप POK के मिनरल डिपार्टमेंट की रिपोर्ट को पढ़िए आप आश्चर्यचकित रह जाएंगे । वास्तव में गिलगित-बाल्टिस्तान का महत्व हमको मालूम नहीं है और सबसे बड़ी बात गिलगित-बाल्टिस्तान के लोग Strong Anti PAK है ।

दुर्भाग्य क्या है हम हमेशा कश्मीर ही बोलते हैं, जम्मू- कश्मीर नहीं बोलते हैं , कश्मीर कहते ही जम्मू, लद्दाख, गिलगित-बाल्टिस्तान हमारे मस्तिष्क से निकल जाता है । ये पाकिस्तान के कब्जे में जो POK है उसका क्षेत्रफल 79000 वर्ग किलोमीटर है उसमें कश्मीर का हिस्सा तो सिर्फ 6000 वर्ग किलोमीटर है और 9000 वर्ग किलोमीटर का हिस्सा जम्मू का है और 64000 वर्ग किलोमीटर हिस्सा लद्दाख का है जो कि गिलगित-बाल्टिस्तान है । यह कभी कश्मीर का हिस्सा नहीं था यह लद्दाख का हिस्सा था वास्तव में सच्चाई यही है । तभी भारत सरकार दो संघशासित राज्य जम्मू-कश्मीर और लद्दाख का उचित निर्माण किया इसलिए पाकिस्तान जो बार-बार कश्मीर का राग अलापता रहता है तो उससे कोई यह पूछे तो सही क्या गिलगित-बाल्टिस्तान और जम्मू का हिस्सा जिस पर तुमने कब्ज़ा कर रखा है क्या ये भी कश्मीर का ही भाग है ?? कोई उत्तर नहीं मिलेगा ।
क्या आपको पता है कि गिलगित -बाल्टिस्तान , लद्दाख के रहने वाले लोगो की औसत आयु विश्व में सर्वाधिक है यहाँ के लोग विश्व अन्य लोगो की तुलना में ज्यादा जीते है ।

भारत में आयोजित एक सेमिनार में गिलगित-बाल्टिस्तान के एक बड़े नेता को बुलाया गया था उसने कहा कि "we are the forgotten people of forgotten lands of BHARAT"  उसने कहा कि देश हमारी बात ही नहीं जानता । जब किसी ने उससे सवाल किया कि क्या आप भारत में रहना चाहते हैं ?? तो उसने कहा कि 60 साल बाद तो आपने मुझे भारत बुलाया और वह भी अमेरिकन टूरिस्ट वीजा पर और आप मुझसे सवाल पूछते हैं कि क्या आप भारत में रहना चाहते हैं !! उसने कहा कि आप गिलगित-बाल्टिस्तान के बच्चों को IIT , IIM में दाखिला दीजिए AIIMS में हमारे लोगों का इलाज कीजिए हमें यह लगे तो सही कि भारत हमारी चिंता करता है हमारी बात करता है । गिलगित-बाल्टिस्तान में पाकिस्तान की सेना कितने अत्याचार करती है लेकिन आपके किसी भी राष्ट्रीय अखबार में उसका जिक्र तक नहीं आता है । आप हमें ये अहसास तो दिलाइये की आप हमारे साथ है ।
और मैं खुद आपसे यह पूछता हूं कि आप सभी ने पाकिस्तान को हमारे कश्मीर में हर सहायता उपलब्ध कराते हुए देखा होगा । वह बार बार कहता है कि हम कश्मीर की जनता के साथ हैं, कश्मीर की आवाम हमारी है । लेकिन क्या आपने कभी यह सुना है कि किसी भी भारत के नेता, मंत्री या सरकार ने यह कहा हो कि हम POK - गिलगित-बाल्टिस्तान की जनता के साथ हैं, वह हमारी आवाम है, उनको जो भी सहायता उपलब्ध होगी हम उपलब्ध करवाएंगे ,आपने यह कभी नहीं सुना होगा ।

कांग्रेस सरकार ने कभी POK  गिलगित-बाल्टिस्तान को पुनः भारत में लाने के लिए कोई बयान तक नहीं दिया प्रयास करनि तो बहुत दूर की बात है । हालाँकि पहली बार अटल बिहारी वाजपेयी जी की सरकार के समय POK का मुद्दा उठाया गया फिर 10 साल पुनः मौन धारण हो गया और अब फिर से नरेंद्र मोदी जी की सरकार आने पर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने संसद में ये मुद्दा उठाया ।

आज अगर आप किसी को गिलगित के बारे में पूछ भी लोगे तो उसे यह पता नहीं है कि यह जम्मू कश्मीर का ही भाग है !वह सीधे ही यह पूछेगा क्या यह कोई चिड़िया का नाम है ?? वास्तव में हमारा जम्मू कश्मीर के बारे में जो गलत नजरिया है उसको बदलने की जरूरत है ।

अब करना क्या चाहिए ?? 
तो पहली बात है सुरक्षा में किसी भी प्रकार का समझौता नहीं होना चाहिए जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा का मुद्दा बहुत संवेदनशील है इस पर अनावश्यक वाद-विवाद नहीं होना चाहिए , वहीं एक अनावश्यक वाद विवाद चलता है कि जम्मू कश्मीर में इतनी सेना क्यों है ?? 

तो उन तथाकथित बुद्धिजीवियों को बता दिया जाए कि जम्मू-कश्मीर का 2800 किलोमीटर का बॉर्डर है जिसमें 2400 किलोमीटर पर LOC है, आजादी के बाद भारत ने पांच युद्ध लड़े वह सभी जम्मू-कश्मीर से लड़े भारतीय सेना के 18 लोगों को परमवीर चक्र मिला और वह सभी 18 के 18 जम्मू कश्मीर में शहीद हुए हैं ।
इनमें 14000 भारतीय सैनिक शहीद हुए हैं जिनमें से 12000 जम्मू कश्मीर में शहीद हुए हैं, अब सेना बॉर्डर पर नहीं तो क्या मध्यप्रदेश में रहेगी क्या यह सब जो सेना की इन बातों को नहीं समझते वही यह सब अनर्गल चर्चा करते हैं  ।

वास्तव में जम्मू कश्मीर पर बातचीत करने के बिंदु होने चाहिए- POK , वेस्ट पाकिस्तान से आए रिफ्यूजी, कश्मीरी हिंदू समाज, आतंक से पीड़ित लोग , धारा 370 और 35A का हुआ दुरूपयोग, गिलगित-बाल्टिस्तान का वह क्षेत्र जो आज पाकिस्तान व चाइना के कब्जे में है । जम्मू- कश्मीर के गिलगित- बाल्टिस्तान में अधिकांश जनसंख्या शिया मुसलमानों की है और वह सभी पाकिस्तान विरोधी है वह आज भी अपनी लड़ाई खुद लड़ रहे हैं, पर भारत उनके साथ है ऐसा हमें उनको महसूस कराना चाहिए, देश कभी उनके साथ खड़ा नहीं हुआ वास्तव में पूरे देश में इसकी चर्चा खुलकर होनी चाहिए ।

वास्तव में जम्मू-कश्मीर के विमर्श का मुद्दा बदलना चाहिए, जम्मू कश्मीर को लेकर सारे देश में सही जानकारी देने की जरूरत है l इसके लिए एक इंफॉर्मेशन कैंपेन चलना चाहिए , पूरे देश में वर्ष में एक बार 26 अक्टूबर को जम्मू कश्मीर का विलय-दिवस के रुप में मनाना चाहिए, और सबसे बड़ी बात है जम्मू कश्मीर को हमें राष्ट्रवादियों की नजर से देखना होगा जम्मू कश्मीर की चर्चा हो तो वहां के राष्ट्रभक्तों की चर्चा होनी चाहिए तो उन 5 जिलों के कठमुल्ले तो फिर वैसे ही अपंग हो जाएंगे ।

इस जम्मू कश्मीर लेख श्रृंखला के माध्यम से मैंने आपको पूरे जम्मू कश्मीर की पृष्ठभूमि और परिस्थितियों से अवगत करवाया और मेरा मुख्य उद्देश्य सिर्फ यही है जम्मू कश्मीर के बारे में देश के प्रत्येक नागरिक को यह सब जानकारियां होनी चाहिए ।

तो अब आप इतने समर्थ हैं कि जम्मू कश्मीर को लेकर आप किसी से भी वाद-विवाद या तर्क-वितर्क कर सकते हैं, किसी को आप समझा सकते हैं कि वास्तव में जम्मू-कश्मीर की परिस्थितियां क्या है, वैसे तो जम्मू कश्मीर पर एक ग्रन्थ लिखा जा सकता है लेकिन मैंने जितना हो सका उतने संछिप्त रूप में इसे आपके सामने रखा है ।

इस श्रृंखला को केवल LIKE करने से कुछ भी नहीं होगा चाहे आप पढ़कर लाइक कर रहे हो या बिना पढ़े लाइक कर रहे हो उसका कोई भी मतलब नहीं है । अगर आप इस श्रृंखला को अधिक से अधिक जनता के अंदर प्रसारित करेंगे तभी हम जम्मू कश्मीर के विमर्श का यह मुद्दा बदल सकते हैं अन्यथा नहीं , इसलिए मेरा आप सभी से यही अनुरोध है श्रृंखला को अधिक से अधिक लोगों की जानकारी में लाया जाए ताकि देश की जनता को जम्मू कश्मीर के संदर्भ में सही तथ्यों का पता लग सके 
*सनातनी बन्धु*

Friday, May 8, 2020

महाराणा प्रताप जी का जन्म 9 मई को हुवा था।

"महा पराक्रमी- वीर योद्धा- वीर राजा- महाराणा प्रताप" जी का जन्म ९ मई १५४० में कुम्भलगढ़ दुर्ग, जिला राजसमंद राजस्थान (वर्तमान में चावंड, जिला उदयपुर) पिता महाराणा उदयसिंह एवं माता महाराणी जयवंताबाई के यहाँ हुआ था। 

राजस्थान के वीर सपूत, महान योद्धा, अद्भुत शौर्य और पराक्रम के प्रतीक महाराण प्रताप उन्हें बचपन और युवावस्था में 'कीका' नाम से पुकारा जाता था। ये नाम उन्हें भीलों से मिला था जिनकी संगत में उन्होंने शुरूआती दिन बिताये थे। भीलों की बोली में कीका का अर्थ होता है---"बेटा"।

महाराणा प्रताप की वीरता की कहानियों में चेतक का अपना स्थान है। उसका फुर्ती, रफ्तार और बहादुरी की कई लड़ाइयां जितने में अहम भूमिका रही। महाराणा प्रताप ने मुगलों से कई लड़ाइयां लड़ी लेकिन सबसे ऐतिहासिक हल्दीघाटी का युद्ध जिसमें उनका मानसिंह के नेतृत्व वाली अकबर की विशाल सेना से आमना-सामना हुआ। १५७६ में हुए इस जबरदस्त युद्ध में करीब २० हजार सैनिकों के साथ महाराणा प्रताप ने ८० हजार सैनिकों का मुकाबला किया। 

यह मध्यकालीन भारतीय इतिहास का सबसे चर्चित युद्ध है। इस युद्ध में महाराणा प्रताप का घोड़ा चेतक जख्मी हो गया था। अधिकांश राजपूत राजा मुगलों के आधीन हो गये थे लेकिन महाराणा प्रताप ने कभी स्वाभिमान को नहीं छोड़ा। उन्होंने मुगल सम्राट अकबर की अधीनता स्वीकार नहीं की जिसके कारण कई वर्षों तक संघर्ष किया। 

१५८२ में दिवेर के युद्ध में महाराणा प्रताप ने उन क्षेत्रों पर फिर से अधिकार जमा लिया था जो कभी मुगलों के हाथों गंवा दिये थे। कर्नल जेम्स टाॅ ने मुगलों के साथ हुए इस युद्ध को मेवाड़ का मैराथन कहा था। १५८५ तक लंबे संघर्ष के बाद वे मेवाड़ को मुक्त कराने में सफल रहे। 

१५९६ में शिकार खेलते समय उन्हें चोट लगी, जिसके कारण वो कभी उबर नहीं पाये। १९ जनवरी १५९७ को ५७ वर्ष की आयु में चावड़ में उनका देहांत हो गया। इस महा पराक्रमी वीर योद्धा की मौत की खबर सुनकर अकबर भी रोया था।                     

कुत्त नहीं मेरा बेटा है! (लोकडाउन कि एक घटना)

लोकडाउन के समय की यह सच्ची घटना आपको आश्चर्यचकित कर देगी।



वे लोग पिछले कई दिनों से इस जगह पर खाना बाँट रहे थे।हैरानी की बात ये थी कि एक कुत्ता हर रोज आता था और किसी न किसी के हाथ से खाने का पैकेट छीनकर ले जाता था।आज उन्होने एक आदमी की ड्यूटी भी लगाई थी कि खाने को लेने के चक्कर में कुत्ता किसी आदमी को न काट ले। 

लगभग ग्यारह बजे का समय हो चुका था और वे लोग अपना खाना वितरण शुरू कर चुके थे। तभी देखा कि वह कुत्ता तेजी से आया और एक आदमी के हाथ से खाने की थैली झपटकर भाग गया।वह लड़का जिसकी ड्यूटी थी कि कोई जानवर किसी पर हमला न कर दे, वह डंडा लेकर उस कुत्ते का पीछा करते हुए कुत्ते के पीछे भागा।कुत्ता भागता हुआ थोड़ी दूर एक झोंपड़ी में घुस गया।वह आदमी भी उसका पीछा करता हुआ झोंपड़ी तक आ गया।कुत्ता खाने की थैली झोंपड़ी में रख के बाहर आ चुका था।

वह आदमी बहुत हैरान था।वह झोंपड़ी में घुसा तो देखा कि एक आदमी अंदर लेटा हुआ है। चेहरे पर बड़ी सी दाढ़ी है और उसका एक पैर भी नहीं है।गंदे से कपड़े हैं उसके।

"ओ भैया! ये कुत्ता तुम्हारा है क्या?"

"मेरा कोई कुत्ता नहीं है।कालू तो मेरा बेटा है। उसे कुत्ता मत कहो।"
अपंग बोला।

"अरे भाई !हर रोज खाना छीनकर भागता है वो। किसी को काट लिया तो ऐसे में कहाँ डॉक्टर मिलेगा.... उसे बांध के रखा करो।खाने की बात है तो कल से मैं खुद दे जाऊंगा तुम्हें।"उस लड़के ने कहा।

"बात खाने की नहीं है।मैं उसे मना नहीं कर सकूँगा।मेरी भाषा भले ही न समझता हो लेकिन मेरी भूख को समझता है।जब मैं घर छोड़ के आया था तब से यही मेरे साथ है।मैं नहीं कह सकता कि मैंने उसे पाला है या उसने मुझे पाला है। मेरे तो बेटे से भी बढ़कर है। मैं तो रेड लाइट पर पैन बेचकर अपना गुजारा करता हूँ..... पर अब सब बंद है।"

वह लड़का एकदम मौन हो गया।उसे ये संबंध समझ ही नहीं आ रहा था।उस आदमी ने खाने का पैकेट खोला और आवाज लगाई, "कालू ! ओ बेटा कालू ..... आ जा खाना खा ले।"

कुत्ता दौड़ता हुआ आया और उस आदमी का मुँह चाटने लगा।खाने को उसने सूंघा भी नहीं। उस आदमी ने खाने की थैली खोली और पहले कालू का हिस्सा निकाला,फिर अपने लिए खाना रख लिया। 

"खाओ बेटा !"उस आदमी ने कुत्ते से कहा।मगर कुत्ता उस आदमी को ही देखता रहा।तब उसने अपने हिस्से से खाने का निवाला लेकर खाया। उसे खाते देख कुत्ते ने भी खाना शुरू कर दिया। दोनों खाने में व्यस्त हो गए।उस लड़के के हाथ से डंडा छूटकर नीचे गिर पड़ा था।जब तक दोनों ने खा नहीं लिया वह अपलक उन्हें देखता रहा। 

"भैया जी !आप भले गरीब हों ,मजबूर हों,मगर आपके जैसा बेटा किसी के पास नहीं होगा।" उसने जेब से पैसे निकाले और उस भिखारी के हाथ में रख दिये। 

"रहने दो भाई,किसी और को ज्यादा जरूरत होगी इनकी।मुझे तो कालू ला ही देता है।मेरे बेटे के रहते मुझे कोई चिंता नहीं।" 

वह लड़का हैरान था कि आज आदमी,आदमी से छीनने को आतुर है,और ये कुत्ता...बिना अपने मालिक के खाये.... खाना भी नहीं खाता है। उसने अपने सिर को ज़ोर से झटका और वापिस चला आया।अब उसके हाथ में कोई डंडा नहीं था।
प्यार पर कोई वार कर भी कैसे सकता है.... और ये तो प्यार की पराकाष्ठा थी।

            🙏राम राम

Sunday, May 3, 2020

मोहिनी एकादशी (4 मई 2020 सोमवार) व्रत कथा:



(एकादशी के दिन इस महात्म्य को मात्र पढ़ने और सुनने से ही सहस्र गौदान का फल मिलता है)

युधिष्ठिर ने पूछा : जनार्दन ! वैशाख मास के शुक्लपक्ष में किस नाम की एकादशी होती है? उसका क्या फल होता है? उसके लिए कौन सी विधि है?

भगवान श्रीकृष्ण बोले : धर्मराज ! पूर्वकाल में परम बुद्धिमान श्रीरामचन्द्रजी ने महर्षि वशिष्ठजी से यही बात पूछी थी, जिसे आज तुम मुझसे पूछ रहे हो ।

श्रीराम ने कहा : भगवन् ! जो समस्त पापों का क्षय तथा सब प्रकार के दु:खों का निवारण करनेवाला, व्रतों में उत्तम व्रत हो, उसे मैं सुनना चाहता हूँ ।

वशिष्ठजी बोले : श्रीराम ! तुमने बहुत उत्तम बात पूछी है । मनुष्य तुम्हारा नाम लेने से ही सब पापों से शुद्ध हो जाता है । तथापि लोगों के हित की इच्छा से मैं पवित्रों में पवित्र उत्तम व्रत का वर्णन करुँगा । वैशाख मास के शुक्लपक्ष में जो एकादशी होती है, उसका नाम ‘मोहिनी’ है । वह सब पापों को हरनेवाली और उत्तम है । उसके व्रत के प्रभाव से मनुष्य मोहजाल तथा पातक समूह से छुटकारा पा जाते हैं ।

सरस्वती नदी के रमणीय तट पर भद्रावती नाम की सुन्दर नगरी है । वहाँ धृतिमान नामक राजा, जो चन्द्रवंश में उत्पन्न और सत्यप्रतिज्ञ थे, राज्य करते थे । उसी नगर में एक वैश्य रहता था, जो धन धान्य से परिपूर्ण और समृद्धशाली था । उसका नाम था धनपाल । वह सदा पुण्यकर्म में ही लगा रहता था । दूसरों के लिए पौसला (प्याऊ), कुआँ, मठ, बगीचा, पोखरा और घर बनवाया करता था । भगवान विष्णु की भक्ति में उसका हार्दिक अनुराग था । वह सदा शान्त रहता था । उसके पाँच पुत्र थे : सुमना, धुतिमान, मेघावी, सुकृत तथा धृष्टबुद्धि । धृष्टबुद्धि पाँचवाँ था । वह सदा बड़े बड़े पापों में ही संलग्न रहता था । जुए आदि दुर्व्यसनों में उसकी बड़ी आसक्ति थी । वह वेश्याओं से मिलने के लिए लालायित रहता था । उसकी बुद्धि न तो देवताओं के पूजन में लगती थी और न पितरों तथा ब्राह्मणों के सत्कार में । वह दुष्टात्मा अन्याय के मार्ग पर चलकर पिता का धन बरबाद किया करता था। एक दिन वह वेश्या के गले में बाँह डाले चौराहे पर घूमता देखा गया । तब पिता ने उसे घर से निकाल दिया तथा बन्धु बान्धवों ने भी उसका परित्याग कर दिया । अब वह दिन रात दु:ख और शोक में डूबा तथा कष्ट पर कष्ट उठाता हुआ इधर उधर भटकने लगा । एक दिन किसी पुण्य के उदय होने से वह महर्षि कौण्डिन्य के आश्रम पर जा पहुँचा । वैशाख का महीना था । तपोधन कौण्डिन्य गंगाजी में स्नान करके आये थे । धृष्टबुद्धि शोक के भार से पीड़ित हो मुनिवर कौण्डिन्य के पास गया और हाथ जोड़ सामने खड़ा होकर बोला : ‘ब्रह्मन् ! द्विजश्रेष्ठ ! मुझ पर दया करके कोई ऐसा व्रत बताइये, जिसके पुण्य के प्रभाव से मेरी मुक्ति हो ।’

कौण्डिन्य बोले : वैशाख के शुक्लपक्ष में ‘मोहिनी’ नाम से प्रसिद्ध एकादशी का व्रत करो । ‘मोहिनी’ को उपवास करने पर प्राणियों के अनेक जन्मों के किये हुए मेरु पर्वत जैसे महापाप भी नष्ट हो जाते हैं |’

वशिष्ठजी कहते है : श्रीरामचन्द्रजी ! मुनि का यह वचन सुनकर धृष्टबुद्धि का चित्त प्रसन्न हो गया । उसने कौण्डिन्य के उपदेश से विधिपूर्वक ‘मोहिनी एकादशी’ का व्रत किया । नृपश्रेष्ठ ! इस व्रत के करने से वह निष्पाप हो गया और दिव्य देह धारण कर गरुड़ पर आरुढ़ हो सब प्रकार के उपद्रवों से रहित श्रीविष्णुधाम को चला गया । इस प्रकार यह ‘मोहिनी’ का व्रत बहुत उत्तम है । इसके पढ़ने और सुनने से सहस्र गौदान का फल मिलता है ।


जय श्री कृष्णा। राधे राधे🙏🏻

कृष्ण और कर्ण के बीच सबसे अच्छा संवाद क्या था?



महाभारत में कर्ण ने भगवान कृष्ण से पूछा -

“मेरी माँ ने मुझे उसी क्षण छोड़ दिया जब मैं पैदा हुआ था। क्या यह मेरी गलती है कि मैं एक नाजायज बच्चा पैदा हुआ?
मुझे द्रोणाचार्य से शिक्षा नहीं मिली थी क्योंकि मुझे गैर-क्षत्रिय माना जाता था।
परशु-राम ने मुझे सिखाया लेकिन फिर मुझे एक क्षत्रिय होने के बाद सब कुछ भूल जाने का शाप दे दिया।
एक गाय गलती से मेरे तीर से टकरा गई थी और उसके मालिक ने बिना किसी दोष के मुझे शाप दिया था।
मुझे द्रौपदी के स्वयंवर में अपमानित होना पड़ा।
यहाँ तक कि कुंती ने भी आखिरकार मुझे अपने बाकी बेटों को बचाने के लिए ही सच कहा।
मुझे जो कुछ भी मिला वह दुर्योधन के दान के माध्यम से था।
तो मैं उसका पक्ष लेने में कैसे गलत हूँ? ”

भगवान कृष्ण जवाब देते हैं,

“कर्ण, मैं एक जेल में पैदा हुआ था और जन्म से पहले ही मृत्यु मेरी प्रतीक्षा कर रही थी।
जिस रात मैं पैदा हुआ था, मैं अपने जन्म के माता-पिता से अलग हो गया था।
बचपन से तलवारों, रथों, घोड़ों, धनुष और तीरों का शोर सुनकर बड़ा हुआ। मेरे चलने से पहले ही मुझे सिर्फ गाय के झुंड, गोबर और साथे में मुझे जान से मारने के कई प्रयास मिले!
न सेना, न शिक्षा। लोगों कहते थे कि मैं उनकी सभी समस्याओं का कारण हूं।
जब आप सभी को आपके शिक्षकों द्वारा आपकी वीरता के लिए सराहा जा रहा था तो मैंने भी कोई शिक्षा नहीं ली थी। मैं केवल 16 साल की उम्र में ऋषि संदीपनी के गुरुकुल में शामिल हो गया!
आप अपनी पसंद की लड़की से शादी कर रहे हैं। मुझे उन लड़कियों से शादी करनी पड़ी जिन्हें मैंने राक्षसों से बचाया था।
मुझे अपने पूरे समुदाय को जरासंध से बचाने के लिए यमुना के तट से दूर समुद्र के किनारे तक जाना पड़ा। मुझे भाग जाने के लिए कायर कहा जाता था !!
यदि दुर्योधन युद्ध जीतता है तो आपको बहुत अधिक श्रेय मिलेगा। धर्मराज युद्ध जीतने पर मुझे क्या मिलेगा??? युद्ध और सभी संबंधित समस्याओं के लिए केवल दोष ?
एक बात याद रखना, कर्ण। हर किसी के जीवन में चुनौतियां होती हैं। जीवन किसी के लिए भी पूरी तरह से उचित या अच्छा नहीं है !!! दुर्योधन के जीवन में भी उसे बहुत सी परेशानियाँ मिली और युधिष्ठिर को भी।

लेकिन क्या सही (धर्म) है इसका निर्णय आपको अपने दिमाग (विवेक) से लेना होता है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि हमें कितनी परेशानियां मिली, हमें कितनी बार वह अवसर नहीं मिले जिसके हम लायक थे, जो महत्वपूर्ण है वह यह कि आपकी उस समय प्रतिक्रिया क्या थी।

शिकयत करना बंद करो। जीवन की अनुचितता आपको गलत रास्ते पर चलने का लाइसेंस नहीं देती है…

हमेशा याद रखें, जीवन एक बिंदु पर कठिन हो सकता है, लेकिन हमारा भाग्य हमें मिले रास्तों से नहीं बनता बल्कि बनता है की हम उन रास्तों पर कैसे चले।

दुनिया का सबसे ताकतवर पोषण पूरक आहार है- सहजन (मुनगा)Drumstick।


कहा जाता है!! दुनिया का सबसे ताकतवर पोषण पूरक आहार है- सहजन (मुनगा)ड्रमस्टिक। इसकी जड़ से लेकर फूल, पत्ती, फल्ली, तना, गोंद हर चीज उपयोगी होती है। 
           आयुर्वेद में सहजन से तीन सौ रोगों का उपचार संभव है। सहजन के पौष्टिक गुणों की तुलना :- विटामिन सी- संतरे से सात गुना अधिक। विटामिन ए- गाजर से चार गुना अधिक। कैलशियम- दूध से चार गुना अधिक। पोटेशियम- केले से तीन गुना अधिक। प्रोटीन- दही की तुलना में तीन गुना अधिक। 
            स्वास्थ्य के हिसाब से इसकी फली, हरी और सूखी पत्तियों में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम, पोटेशियम, आयरन, मैग्नीशियम, विटामिन-ए, सी और बी-काम्प्लेक्स प्रचुर मात्रा में पाई जाते हैं। इनका सेवन कर कई बीमारियों को बढ़ने से रोका जा सकता है, इसका बॉटेनिकल नाम ' मोरिगा ओलिफेरा ' है। हिंदी में इसे सहजना, सुजना, सेंजन और मुनगा नाम से भी जानते हैं, जो लोग इसके बारे में जानते हैं, वे इसका सेवन जरूर करते हैं। 
          सहजन का फूल पेट और कफ रोगों में, इसकी फली वात व उदरशूल में, पत्ती नेत्ररोग, मोच, साइटिका, गठिया आदि में उपयोगी है। इसकी छाल का सेवन साइटिका, गठिया, लीवर में लाभकारी होता है। सहजन के छाल में शहद मिलाकर पीने से वात और कफ रोग खत्म हो जाते हैं। 
          सहजन की पत्ती का काढ़ा बनाकर पीने से गठिया, साइटिका, पक्षाघात, वायु विकार में शीघ्र लाभ पहुंचता है। साइटिका के तीव्र वेग में इसकी जड़ का काढ़ा तीव्र गति से चमत्कारी प्रभाव दिखाता है। मोच इत्यादि आने पर सहजन की पत्ती की लुगदी बनाकर सरसों तेल डालकर आंच पर पकाएं और मोच के स्थान पर लगाने से जल्दी ही लाभ मिलने लगता है।
            सहजन के फली की सब्जी खाने से पुराने गठिया, जोड़ों के दर्द, वायु संचय, वात रोगों में लाभ होता है। इसके ताजे पत्तों का रस कान में डालने से दर्द ठीक हो जाता है साथ ही इसकी सब्जी खाने से गुर्दे और मूत्राशय की पथरी कटकर निकल जाती है। इसकी जड़ की छाल का काढ़ा सेंधा नमक और हींग डालकर पीने से पित्ताशय की पथरी में लाभ होता है। 
          सहजन के पत्तों का रस बच्चों के पेट के कीड़े निकालता है और उल्टी-दस्त भी रोकता है। ब्लड प्रेशर और मोटापा कम करने में भी कारगर सहजन का रस सुबह-शाम पीने से हाई ब्लड प्रेशर में लाभ होता है। इसकी पत्तियों के रस के सेवन से मोटापा धीरे-धीरे कम होने लगता है। इसकी छाल के काढ़े से कुल्ला करने पर दांतों के कीड़े नष्ट होते हैं और दर्द में आराम मिलता है। 
            सहजन के कोमल पत्तों का साग खाने से कब्ज दूर होता है, इसके अलावा इसकी जड़ के काढ़े को सेंधा नमक और हींग के साथ पीने से मिर्गी के दौरों में लाभ होता है। इसकी पत्तियों को पीसकर लगाने से घाव और सूजन ठीक होते हैं। 
          सहजन के बीज से पानी को काफी हद तक शुद्ध करके पेयजल के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इसके बीज को चूर्ण के रूप में पीसकर पानी में मिलाया जाता है। पानी में घुल कर यह एक प्रभावी नेचुरल क्लोरीफिकेशन एजेंट बन जाता है। यह न सिर्फ पानी को बैक्टीरिया रहित बनाता है, बल्कि यह पानी की सांद्रता को भी बढ़ाता है।
            कैंसर तथा शरीर के किसी हिस्से में बनी गांठ, फोड़ा आदि में सहजन की जड़ का अजवाइन, हींग और सौंठ के साथ काढ़ा बनाकर पीने का प्रचलन है। यह काढ़ा साइटिका (पैरों में दर्द), जोड़ों में दर्द, लकवा, दमा, सूजन, पथरी आदि में भी लाभकारी है |
            सहजन के गोंद को जोड़ों के दर्द तथा दमा आदि रोगों में लाभदायक माना जाता है। आज भी ग्रामीणों की ऐसी मान्यता है कि सहजन के प्रयोग से वायरस से होने वाले रोग, जैसे चेचक आदि के होने का खतरा टल जाता है। 
           सहजन में अधिक मात्रा में ओलिक एसिड होता है, जो कि एक प्रकार का मोनोसैच्युरेटेड फैट है और यह शरीर के लिए अति आवश्यक है। सहजन में विटामिन-सी की मात्रा बहुत होती है। यह शरीर के कई रोगों से लड़ता है। यदि सर्दी की वजह से नाक-कान बंद हो चुके हैं तो, सहजन को पानी में उबालकर उस पानी का भाप लें। इससे जकड़न कम होती है। सहजन में कैल्शियम की मात्रा अधिक होती है, जिससे हड्डियां मजबूत बनती हैं। इसका जूस गर्भवती को देने की सलाह दी जाती है, इससे डिलवरी में होने वाली समस्या से राहत मिलती है और डिलवरी के बाद भी मां को तकलीफ कम होती है, गर्भवती महिला को इसकी पत्तियों का रस देने से डिलीवरी में आसानी होती है।
           सहजन के फली की हरी सब्जी को खाने से बुढ़ापा दूर रहता है इससे आंखों की रोशनी भी अच्छी होती है। सहजन को सूप के रूप में भी पी सकते हैं,  इससे शरीर का खून साफ होता है। 
            सहजन का सूप पीना सबसे अधिक फायदेमंद होता है। इसमें भरपूर मात्रा में विटामिन सी पाया जाता है। विटामिन सी के अलावा यह बीटा कैरोटीन, प्रोटीन और कई प्रकार के लवणों से भरपूर होता है, यह मैगनीज, मैग्नीशियम, पोटैशियम और फाइबर से भरपूर होते हैं। यह सभी तत्व शरीर के पूर्ण विकास के लिए बहुत जरूरी हैं। 
            कैसे बनाएं सहजन का सूप? सहजन की फली को कई छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लेते हैं। दो कप पानी लेकर इसे धीमी आंच पर उबलने के लिए रख देते हैं, जब पानी उबलने लगे तो इसमें कटे हुए सहजन की फली के टुकड़े डाल देते हैं, इसमें सहजन की पत्त‍ियां भी मिलाई जा सकती हैं, जब पानी आधा बचे तो सहजन की फलियों के बीच का गूदा निकालकर ऊपरी हिस्सा अलग कर लेते हैं, इसमें थोड़ा सा नमक और काली मिर्च मिलाकर पीना चाहिए। 
           १. सहजन के सूप के नियमित सेवन से सेक्सुअल हेल्थ बेहतर होती है. सहजन महिला और पुरुष दोनों के लिए समान रूप से फायदेमंद है। 
           २. सहजन में एंटी-बैक्टीरियल गुण पाया जाता है जो कई तरह के संक्रमण से सुरक्षित रखने में मददगार है. इसके अलावा इसमें मौजूद विटामिन सी इम्यून सिस्टम को बूस्ट करने का काम करता है। 
          ३. सहजन का सूप पाचन तंत्र को भी मजबूत बनाने का काम करता है, इसमें मौजूद फाइबर्स कब्ज की समस्या नहीं होने देते हैं। 
          ४. अस्थमा की शिकायत होने पर भी सहजन का सूप पीना फायदेमंद होता है. सर्दी-खांसी और बलगम से छुटकारा पाने के लिए इसका इस्तेमाल घरेलू औषधि के रूप में किया जाता है। 
          ५. सहजन का सूप खून की सफाई करने में भी मददगार है, खून साफ होने की वजह से चेहरे पर भी निखार आता है। 
          ६. डायबिटीज कंट्रोल करने के लिए भी सहजन के सेवन की सलाह दी जाती है।
प्रस्तुति - जितेन्द्र रघुवंशी, प्रज्ञाकुंज, हरिद्वार

Thursday, April 23, 2020

प्रधानमंत्री जी (श्री नरेंद्र मोदी जी) की दिनचर्या


प्रधान मंत्री मोदी जी की दिनचर्या

सबेरे 4:45 जागना:
–आपका सोने का समय जो कुछ भी हो, पर जागने का समय निश्चित 4:45 है।
—प्रति दिन सबेरे आप 30 मिनट शौच-स्नान इत्यादि में लगाते हैं।
साथ साथ प्रमुख समाचारों को भी देख लेते हैं।
—पश्चात 30 मिनट ( योगासन ) व्यायाम करते हैं।
—–एवं गत दिवस के संसार के समाचारों का चयन, और भारत के और भाजप के समाचारों की (चयनित ) ध्वनि मुद्रिका  (रिकार्डिंग) सुनते हैं।
—–उपरान्त मंदिर में बैठ 10 मिनट ध्यान करते हैं।
—–फिर एक कप चाय लेते हैं। साथ कोई अल्पाहार (नाश्ता) नहीं लेते।
—–6:15 बजे एक शासकीय विभाग आप के बैठक कक्ष में प्रस्तुति के लिए सज्ज रहता है। उनकी प्रस्तुति होती है।

—–7 से 9 आई हुयी सारी  संचिकाएँ  (फाइलों) देख लेते हैं।
——और आप की माता जी से दूरभाष (फोन)पर बात होती है। कुशल- क्षेम -स्वास्थ्य समाचार पूछते हैं।
{लेखक: *भारत का प्रधान मंत्री अपनी माँ के लिए समय निकालता है। क्या, हम भी ऐसा समय निकाल पाते हैं? या हम प्रधान मंत्री जी से अधिक व्यस्त हैं?*}

अल्पाहार:
—-9 बजे गाजर और अन्य शाक-फल इत्यादि का अल्पाहार होता है।
साथ निम्न विधि से बना हुआ पंचामृत (पेय) पीते हैं। {पंचामृत विधि: 20 मिलिलिटर मधु, 10 मिलिलिटर देशी गौ का घी,  पुदिना, तुलसी, और नीम की कोमल पत्तियों का रस )

कार्यालय
—–9:15 पर कार्यालय पहुंच कर महत्वपूर्ण बैठकें करते हैं।

भोजन
—-दुपहर भोजन में पाँच वस्तुएं होती है। (गुजराती रोटी, शाक, दाल, सलाद, छाछ)
—–संध्या को चार बजे बिना दूध की नीबू वाली चाय पीते हैं।
—–और  6 बजे खिचडी और दूध का भोजन.
—–रात्रि के 9 बजे देशी गौ का दूध एक गिलास, सोंठ (अद्रक का चूर्ण) डालकर।
—–मुखवास में, नीबू, काली मिर्च, और भूँजी हुयी अजवाइन (जिससे वायु नही होता) का मिश्रण।
घूमना:
—–9 से  9:30 घूमना, साथ एक विषय के जानकार, चर्चा करते हुए  साथ घूमते हैं।
—–9:30 से 10:00 सामाजिक  संचार माध्यम (Social Media), साथ  साथ चुने हुए पत्रों के उत्तर देते हैं।
विशेष:
नरेंद्र भाई ने जीवन में कभी बना बनाया, पूर्वपक्व आहार  (Fast Food), नहीं खाया, न बना बनाया पेय(soft drink) पिया है।
—–भारत के 400 जिलों का प्रवास आप ने किया हुआ है।
—–जब गुजरात से दिल्ली गए, तो दो ही वस्तुएँ साथ ले गए। कपडे और पुस्तकें। (लेखक की जानकारी है, कि,उन्हें स्वभावतः कपडों की विशेष रूचि है।)वे एक  कपडों से भरी, और 6 पुस्तकों से भरी (अलमारियाँ)धानियाँ,  ले गए।
——सतत प्रवास में आप रात को किसी संत के साथ आश्रम में, या किसी छोटे कार्यकर्ता के घर रूकते थे। होटल में कभी नहीं।
—–वडनगर वाचनालय की सारी पुस्तकें आपने पढी थी।
—–किसी प्रसंग विशेष पर आप निजी उपहार में, पुस्तक ही देते थे। गत एक दशक में नव विवाहितों को “सिंह पुरुष” पुस्तक उपहार में देते थे। अब भारत के प्रधान मंत्री के नाते “भगवदगीता उपहार में देते है।
—–वे ब्रश से नहीं पर करंज का दातुन करते हैं।
—–आप की रसोई में नमक नहीं, पर सैंधव नमक का प्रयोग होता है।
—–प्रवास के समयावधि में  संचिकाएँ (फाइलें), और चर्चा करने वाले मंत्री साथ होते हैं।
—–64 वर्ष की आयु में आप सीढी पर कठडे़ का आश्रय नहीं  लेते।
—–एक दिन में आपने,19 तक, सभाएँ की है।
—–आँख त्रिफला के पानी  से धोते हैं।( त्रिफला: हरडे, आँवला, बेहडा-रात को भीगो कर सबेरे उस का पानी)
—–गुजरात में मुख्य मंत्री थे तब, एक बार स्वाईन फ्लू और एक बार दाढ की पीडा के समय आप को डॉक्टर की आवश्यकता पडी थी।
—–प्रधान मंत्री पद पर आने के पश्चात भी गुजरात के भाजपा के कार्यकर्ताओं को दुःखद प्रसंग पर सांत्वना देने के लिए अवश्य दूरभाष करते हैं। (बडे बनने पर भूले नहीं है)
—– आप की निजी सेवा में नियुक्त सभी कर्मचारियों की संतानों की शिक्षा एवं विशेष प्रवृत्तियों के विषय में आप जानकारी रखते हैं। और पूछ ताछ करते रहते हैं!                                                                         धन्य हैं हम...... जिन्हें ऐसे व्यक्तित्व की छत्रछाया मिली...                                 मैं तो कृतग्य हूँ...!
🙏🙏🙏🙏🙏

*मेरे पास आया मैने पढ कर अच्छा 🙏💐😊समझा तो आप सबको भी भेज दिया आप सबको भी जो अच्छा लगे मान ले और जो बुरा लगे उसे छोड दे ।*💐😊🙏

जय हिन्द जय भारत

कुछ 100 जानकारी जिसका ज्ञान सबको होना चाहिए


1. योग, भोग और रोग ये तीन अवस्थाएं है।
2. *लकवा* - सोडियम की कमी के कारण होता है।
3. *हाई बी पी में* -  स्नान व सोने से पूर्व एक गिलास जल का सेवन करें तथा स्नान करते समय थोड़ा सा नमक पानी मे डालकर स्नान करे।
4. *लो बी पी* - सेंधा नमक डालकर पानी पीयें।
5. *कूबड़ निकलना* - फास्फोरस की कमी।
6. *कफ* - फास्फोरस की कमी से कफ बिगड़ता है, फास्फोरस की पूर्ति हेतु आर्सेनिक की उपस्थिति जरुरी है। गुड व शहद खाएं।
7. *दमा, अस्थमा* - सल्फर की कमी।
8. *सिजेरियन आपरेशन* - आयरन, कैल्शियम की कमी।
9. *सभी क्षारीय वस्तुएं दिन डूबने के बाद खायें।*
10. *अम्लीय वस्तुएं व फल दिन डूबने से पहले खायें।*
11. *जम्भाई* - शरीर में आक्सीजन की कमी।
12. *जुकाम* - जो प्रातः काल जूस पीते हैं वो उस में काला नमक व अदरक डालकर पियें।
13. *ताम्बे का पानी* - प्रातः खड़े होकर नंगे पाँव पानी ना पियें।
14. *किडनी* - भूलकर भी खड़े होकर गिलास का पानी ना पिये।
15. *गिलास* एक रेखीय होता है तथा इसका सर्फेसटेन्स अधिक होता है। गिलास अंग्रेजो (पुर्तगाल) की सभ्यता से आयी है अतः लोटे का पानी पियें, लोटे का कम सर्फेसटेन्स होता है।
16. *अस्थमा, मधुमेह, कैंसर* से गहरे रंग की वनस्पतियाँ बचाती हैं।
17. *वास्तु* के अनुसार जिस घर में जितना खुला स्थान होगा उस घर के लोगों का दिमाग व हृदय भी उतना ही खुला होगा।
18. *परम्परायें* वहीँ विकसित होगीं जहाँ जलवायु के अनुसार व्यवस्थायें विकसित होगीं।
19. *पथरी* - अर्जुन की छाल से पथरी की समस्यायें ना के बराबर है।
20. *RO* का पानी कभी ना पियें, यह गुणवत्ता को स्थिर नहीं रखता। कुएँ का पानी पियें। बारिस का पानी सबसे अच्छा, पानी की सफाई के लिए *सहिजन* की फली सबसे बेहतर है।
21. *सोकर उठते समय* हमेशा दायीं करवट से उठें या जिधर का *स्वर* चल रहा हो उधर करवट लेकर उठें।
22. *पेट के बल सोने से* हर्निया, प्रोस्टेट, एपेंडिक्स की समस्या आती है।
23. *भोजन* के लिए पूर्व दिशा, *पढाई* के लिए उत्तर दिशा बेहतर है।
24. *HDL* बढ़ने से मोटापा कम होगा LDL व VLDL कम होगा।
25. *गैस की समस्या* होने पर भोजन में अजवाइन मिलाना शुरू कर दें।
26. *चीनी* के अन्दर सल्फर होता जो कि पटाखों में प्रयोग होता है, यह शरीर में जाने के बाद बाहर नहीं निकलता है। चीनी खाने से *पित्त* बढ़ता है। 
27. *शुक्रोज* हजम नहीं होता है *फ्रेक्टोज* हजम होता है और भगवान् की हर मीठी चीज में फ्रेक्टोज है।
28. *वात* के असर में नींद कम आती है।
29. *कफ* के प्रभाव में व्यक्ति प्रेम अधिक करता है।
30. *कफ* के असर में पढाई कम होती है।
31. *पित्त* के असर में पढाई अधिक होती है।
33. *आँखों के रोग* - कैट्रेक्टस, मोतियाविन्द, ग्लूकोमा, आँखों का लाल होना आदि ज्यादातर रोग कफ के कारण होता है।
34. *शाम को वात*-नाशक चीजें खानी चाहिए।
35. *प्रातः 4 बजे जाग जाना चाहिए।*
36. *सोते समय* रक्त दवाव सामान्य या सामान्य से कम होता है।
37. *व्यायाम* - *वात रोगियों* के लिए मालिश के बाद व्यायाम, *पित्त वालों* को व्यायाम के बाद मालिश करनी चाहिए। *कफ के लोगों* को स्नान के बाद मालिश करनी चाहिए।
38. *भारत की जलवायु* वात प्रकृति की है, दौड़ की बजाय सूर्य नमस्कार करना चाहिए।
39. *जो माताएं* घरेलू कार्य करती हैं उनके लिए व्यायाम जरुरी नहीं।
40. *निद्रा* से *पित्त* शांत होता है, मालिश से *वायु* शांति होती है, उल्टी से *कफ* शांत होता है तथा *उपवास* (लंघन) से बुखार शांत होता है।
41. *भारी वस्तुयें* शरीर का रक्तदाब बढाती है, क्योंकि उनका गुरुत्व अधिक होता है।
42. *दुनियां के महान* वैज्ञानिक का स्कूली शिक्षा का सफ़र अच्छा नहीं रहा, चाहे वह 8 वीं फेल न्यूटन हों या 9 वीं फेल आइस्टीन हों।
43. *माँस खाने वालों* के शरीर से अम्ल-स्राव करने वाली ग्रंथियाँ प्रभावित होती हैं।
44. *तेल हमेशा* गाढ़ा खाना चाहिएं सिर्फ लकडी वाली घाणी का, दूध हमेशा पतला पीना चाहिए।
45. *छिलके वाली दाल-सब्जियों से कोलेस्ट्रोल हमेशा घटता है।* 
46. *कोलेस्ट्रोल की बढ़ी* हुई स्थिति में इन्सुलिन खून में नहीं जा पाता है। ब्लड शुगर का सम्बन्ध ग्लूकोस के साथ नहीं अपितु कोलेस्ट्रोल के साथ है।
47. *मिर्गी दौरे* में अमोनिया या चूने की गंध सूँघानी चाहिए। 
48. *सिरदर्द* में एक चुटकी नौसादर व अदरक का रस रोगी को सुंघायें।
49. *भोजन के पहले* मीठा खाने से, बाद में खट्टा खाने से शुगर नहीं होता है।
50. *भोजन* के आधे घंटे पहले सलाद खाएं उसके बाद भोजन करें। 
51. *अवसाद* में आयरन, कैल्शियम, फास्फोरस की कमी हो जाती है। फास्फोरस गुड और अमरुद में अधिक है। 
52. *पीले केले* में आयरन कम और कैल्शियम अधिक होता है। हरे केले में कैल्शियम थोडा कम लेकिन फास्फोरस ज्यादा होता है तथा लाल केले में कैल्शियम कम आयरन ज्यादा होता है। हर हरी चीज में भरपूर फास्फोरस होती है, वही हरी चीज पकने के बाद पीली हो जाती है जिसमे कैल्शियम अधिक होता है।
53. *छोटे केले* में बड़े केले से ज्यादा कैल्शियम होता है।
54. *रसौली* की गलाने वाली सारी दवाएँ चूने से बनती हैं।
55. हेपेटाइट्स A से E तक के लिए चूना बेहतर है।
56. *एंटी टिटनेस* के लिए हाईपेरियम 200 की दो-दो बूंद 10-10 मिनट पर तीन बार दे।
57. *ऐसी चोट* जिसमे खून जम गया हो उसके लिए नैट्रमसल्फ दो-दो बूंद 10-10 मिनट पर तीन बार दें। बच्चो को एक बूंद पानी में डालकर दें।
58. *मोटे लोगों में कैल्शियम* की कमी होती है अतः त्रिफला दें। त्रिकूट (सोंठ + कालीमिर्च + मघा पीपली) भी दे सकते हैं।
59. *अस्थमा में नारियल दें।* नारियल फल होते हुए भी क्षारीय है। दालचीनी + गुड + नारियल दें।
60. *चूना* बालों को मजबूत करता है तथा आँखों की रोशनी बढाता है।
61. *दूध* का सर्फेसटेंसेज कम होने से त्वचा का कचरा बाहर निकाल देता है।
62. *गाय का घी सबसे अधिक पित्तनाशक फिर कफ व वायुनाशक है।*
63. *जिस भोजन* में सूर्य का प्रकाश व हवा का स्पर्श ना हो उसे नहीं खाना चाहिए।
64. *गौ-मूत्र अर्क आँखों में ना डालें।*
65. *गाय के दूध* में घी मिलाकर देने से कफ की संभावना कम होती है, लेकिन चीनी मिलाकर देने से कफ बढ़ता है।
66. *मासिक के दौरान* वायु बढ़ जाता है, 3-4 दिन स्त्रियों को उल्टा सोना चाहिए इससे गर्भाशय फैलने का खतरा नहीं रहता है। दर्द की स्थति में गर्म पानी में देशी घी दो चम्मच डालकर पियें।
67. *रात* में आलू खाने से वजन बढ़ता है।
68. *भोजन के* बाद बज्रासन में बैठने से *वात* नियंत्रित होता है।
69. *भोजन* के बाद कंघी करें कंघी करते समय आपके बालों में कंघी के दांत चुभने चाहिए। बाल जल्द सफ़ेद नहीं होगा।
70. *अजवाईन* अपान वायु को बढ़ा देता है जिससे पेट की समस्यायें कम होती है।
71. *अगर पेट* में मल बंध गया है तो अदरक का रस या सोंठ का प्रयोग करें।
72. *कब्ज* होने की अवस्था में सुबह पानी पीकर कुछ देर एडियों के बल चलना चाहिए। 
73. *रास्ता चलने*, श्रम कार्य के बाद थकने पर या धातु गर्म होने पर दायीं करवट लेटना चाहिए।
74. *जो दिन मे दायीं करवट लेता है तथा रात्रि में बायीं करवट लेता है उसे थकान व शारीरिक पीड़ा कम होती है।* 
75. *बिना कैल्शियम* की उपस्थिति के कोई भी विटामिन व पोषक तत्व पूर्ण कार्य नहीं करते है।
76. *स्वस्थ्य व्यक्ति* सिर्फ 5 मिनट शौच में लगाता है।
77. *भोजन* करते समय डकार आपके भोजन को पूर्ण और हाजमे को संतुष्टि का संकेत है।
78. *सुबह के नाश्ते* में फल, *दोपहर को दही* व *रात्रि को दूध* का सेवन करना चाहिए।
79. *रात्रि* को कभी भी अधिक प्रोटीन वाली वस्तुयें नहीं खानी चाहिए। जैसे - दाल, पनीर, राजमा, लोबिया आदि।
80. *शौच और भोजन* के समय मुंह बंद रखें, भोजन के समय टीवी ना देखें।
81. *मासिक चक्र* के दौरान स्त्री को ठंडे पानी से स्नान, व आग से दूर रहना चाहिए।
82. *जो बीमारी जितनी देर से आती है, वह उतनी देर से जाती भी है।*
83. *जो बीमारी अंदर से आती है, उसका समाधान भी अंदर से ही होना चाहिए।*
84. *एलोपैथी* ने एक ही चीज दी है, दर्द से राहत। आज एलोपैथी की दवाओं के कारण ही लोगों की किडनी, लीवर, आतें, हृदय ख़राब हो रहे हैं। एलोपैथी एक बिमारी खत्म करती है तो दस बिमारी देकर भी जाती है।
85. *खाने* की वस्तु में कभी भी ऊपर से नमक नहीं डालना चाहिए, ब्लड-प्रेशर बढ़ता है।
86. *रंगों द्वारा* चिकित्सा करने के लिए इंद्रधनुष को समझ लें, पहले जामुनी, फिर नीला... अंत में लाल रंग।
87. *छोटे* बच्चों को सबसे अधिक सोना चाहिए, क्योंकि उनमें वह कफ प्रवृति होती है, स्त्री को भी पुरुष से अधिक विश्राम करना चाहिए।
88. *जो सूर्य निकलने* के बाद उठते हैं, उन्हें पेट की भयंकर बीमारियां होती है, क्योंकि बड़ी आँत मल को चूसने लगती है।
89. *बिना शरीर की गंदगी* निकाले स्वास्थ्य शरीर की कल्पना निरर्थक है, मल-मूत्र से 5%, कार्बन डाई ऑक्साइड छोड़ने से 22%, तथा पसीना निकलने लगभग 70% शरीर से विजातीय तत्व निकलते हैं।
90. *चिंता, क्रोध, ईर्ष्या करने से गलत हार्मोन्स का निर्माण होता है जिससे कब्ज, बबासीर, अजीर्ण, अपच, रक्तचाप, थायरायड की समस्या उतपन्न होती है।* 
91. *गर्मियों में बेल, गुलकंद, तरबूजा, खरबूजा व सर्दियों में सफ़ेद मूसली, सोंठ का प्रयोग करें।*
92. *प्रसव* के बाद माँ का पीला दूध बच्चे की प्रतिरोधक क्षमता को 10 गुना बढ़ा देता है। बच्चो को टीके लगाने की आवश्यकता नहीं होती है।
93. *रात को सोते समय* सर्दियों में देशी मधु लगाकर सोयें, त्वचा में निखार आएगा। 
94. *दुनिया में कोई चीज व्यर्थ नहीं, हमें उपयोग करना आना चाहिए।*
95. *जो अपने दुखों* को दूर करके दूसरों के भी दुःखों को दूर करता है, वही मोक्ष का अधिकारी है।
96. *सोने से* आधे घंटे पूर्व जल का सेवन करने से वायु नियंत्रित होती है, लकवा, हार्ट-अटैक का खतरा कम होता है।
97. *स्नान से पूर्व और भोजन के बाद पेशाब जाने से रक्तचाप नियंत्रित होता है।*
98. *तेज धूप* में चलने के बाद, शारीरिक श्रम करने के बाद, शौच से आने के तुरंत बाद जल का सेवन निषिद्ध है।
99. *त्रिफला अमृत है* जिससे *वात, पित्त, कफ* तीनो शांत होते हैं। इसके अतिरिक्त भोजन के बाद पान व चूना।  देशी गाय का घी, गौ-मूत्र भी त्रिदोष नाशक है।
100. इस विश्व की सबसे मँहगी *दवा - लार* है, जो प्रकृति ने तुम्हें अनमोल दी है, इसे ना थूके।  मेरी पुस्तक से संग्रहित, पढ़ने के बाद साझा अवश्य करें*

Saturday, March 28, 2020

Indian Railway isolation coaches

एक मासूम बेटी की सच्ची कहानी जिसने मेरा जीवन बदल दिया।


मैं यति नरसिंहानंद सरस्वती डासना देवी मन्दिर का महंत हूँ।आज आप लोगो को वो कहानी सुनाना चाहता हूँ जिसने मुझे हिन्दू बनाया।

मेरे जैसे लोगो की कहानिया कभी पूरी नहीँ होती क्योंकि जीवन हम जैसो के लिए बहुत क्रूर होता है।मेरी बहुत इच्छा है कुछ किताबे लिखने की पर शायद ये कभी नहीँ हो सकेगा क्योंकि हमारे क्षेत्र के मुसलमानो ने जीवन को एक नर्क में परिवर्तित कर दिया है जिससे निकालने की संभावना केवल मृत्यु में है और किसी में नहीँ है।मैं धन्यवाद देता हूँ सोशल मीडिया को जिसने अपनी बात रखने के लिये मुझ जैसो को एक मंच दिया है और मैं अपने दर्द को आप लोगो तक पहुँचा पाता हूँ।आज मैं आपको अपने जीवन की वो घटना बताना चाहता हूँ जिसने मेरे जीवन को बदल दिया था।ये एक लड़की की दर्दनाक और सच्ची कहानी है जिसने बाद में शायद आत्महत्या कर ली थी।इस घटना ने मेरे जीवन पर इतना गहरा प्रभाव डाला की मेरा सब कुछ बदल दिया बल्कि मैं सच कहू तो मुझे ही बदल दिया।

बात 1997 की है,जब मैं विदेश से वापस अपने देश आया था।मैं कुछ बड़ा करना चाहता था और इसके लिये मुझे लगा की मुझे राजनीति करनी चाहिए।मेरा जन्म एक उच्च मध्यम वर्गीय किसान परिवार में हुआ था और मेरे बाबा जी आजादी से पहले बुलंदशहर जिले के कांग्रेस के पदाधिकारी थे और उन बहुत कम लोगों में से थे जिन्होंने पेंशन नहीँ ली आजादी के बाद स्वतंत्रता सेनानी के रूप में।मेरे पिताजी केंद्रीय सरकार के कर्मचारियों की यूनियन के एक राष्ट्रीय स्तर के नेता थे।मेरा जन्म क्योंकि एक त्यागी परिवार में हुआ तो मुझे बाहुबल की राजनीति पसंद थी और मेरे कुछ जानने वालो ने मुझे समाजवादी पार्टी की युथ ब्रिगेड का जिलाध्यक्ष भी बनवा दिया था।जैसा की राजनीति में सभी करते हैं, मैंने भी अपने बिरादरी के लोगो का एक गुट बनाया और कुछ त्यागी सम्मेलन आयोजित किये।
बहुत से त्यागी मेरे साथ हो गए और मुझे एक युवा नेता के तौर पर पहचाना जाने लगा।बाबा जी कांग्रेसी,पिता यूनियन लीडर और खुद समाजवादी पार्टी का नेता इसका मतलब है की हिंदुत्व के किसी भी विचार से कुछ भी लेना देना नहीँ था मेरा और वैसे भी पूरी जवानी विदेश में रहा और पढ़ा तो धार्मिक बातो को केवल अन्धविश्वास और ढोंग समझता था।मेरठ में रहने के कारण,विदेश में पढ़ने के कारण और अपनी सामजिक व राजनैतिक पृष्ठभूमि के कारण बहुत सारे मुसलमान मेरे दोस्त थे।

एक दिन अचानक मैं बीजेपी के संस्थापक सदस्यों में से एक,दिल्ली बीजेपी के भीष्म पितामह पूर्व सांसद श्री बैकुंठ लाल शर्मा"प्रेम"जी से मिला जिन्होंने तभी संसद की सदस्यता से इस्तीफा देकर हिंदुत्व जागरण का काम शुरू किया था।उन्होंने मुझे मुसलमानों के अत्याचार की ऐसी ऐसी कहानिया बताई की मेरा दिमाग घूम गया पर मुझे विश्वास नहीँ हुआ।तभी एक घटना मेरे साथ घटी।

मेरा अपना कार्यालय गाज़ियाबाद के शम्भू दयाल डिग्री कॉलेज के सामने था।उसी कॉलेज में पढ़ने वाली मेरी बिरादरी मतलब त्यागी परिवार की लड़की मेरे पास आई और उसने मुझसे कहा की उसे मुझसे कुछ काम है।जब मैंने उससे काम पूछा तो वो बोली की वो मुझे अकेले में बताएगी।मैंने अपने साथ बैठे लोगो को बाहर जाने को कहा।जब सब चले गए तो अचानक वो बच्ची रोने लगी और लगभग आधा घण्टा वो रोती ही रही।मैंने उसे पानी पिलाने की कोशिश की तो उसने पानी भी नहीँ पिया और उठ कर वहाँ से चली गयी।मुझे बहुत आश्चर्य हुआ।मैंने इस तरह किसी अनजान महिला को रोते हुए नहीँ देखा था।उस बच्ची का चेहरा बहुत मासूम का था और मुझे वो बहुत अपनी सी लगी।मुझे ऐसा लगा की कुछ मेरा उसका रिश्ता है।वो चली भी गयी पर मेरे दिमाग में रह गयी।कुछ दिन बाद मैं उसे लगभग भूल गया की अचानक वो फिर आई और उसने मुझसे कहा की वो मुझसे बात करना चाहती है।मैंने फिर अपने साथियों को बाहर भेजा और उसको बात बताने को कहा।उसने बात बताने की कोशिश की परन्तु वो फिर रोने लगी और उसका रोना इतना दारुण था की मुझ जैसे जल्लाद की भी आँखे भर आई,मैंने उसके लिये पानी मंगवाया और चाय मंगवाई।धीरे धीरे वो नॉर्मल हुयी और उसने मुझे बताया की एक साल पहले उसकी दोस्ती उसीकी क्लास की एक मुस्लिम लड़की से हो गयी थी जिसने उसकी दोस्ती एक मुस्लिम लड़के से करा दी।उन दोनों ने मिलकर उसके कुछ फोटो ले लिये थे और पुरे कॉलेज के जितने भी मुस्लिम लड़के थे उन सबके साथ उसको सम्बन्ध बनाने पड़े।अब हालत ये हो गयी थी की वो लोग उसका प्रयोग कॉलेज के प्रोफेसर्स को,अधिकारियो को,नेताओ को और शहर के गुंडों को खुश करने के लिये करते थे और इस तरह की वो अकेली लड़की नही थी बल्कि उसके जैसी पचासों लड़कियां उन लोगो के चंगुल में फसी हुयी थी।इसमें सबसे खास बात ये थी जो उसने मुझसे बताई की सारे मुस्लिम लड़के लड़कियां एकदम मिले हुए थे और बहुत से हिन्दू लड़के भी अपने अपने लालच में उनके साथ थे और सबका शिकार हिन्दू लड़कियां ही थी।मुझे बहुत आश्चर्य हुआ इन बातो को सुनकर।मैंने उससे पूछा की तुम ये बात मुझे क्यों बता रही हो तो उसने मुझसे जो कहा वो मैं कभी भूल नहीँ सकता।
उसने मुझसे कहा की वो सारे मुसलमान हमेशा मेरे साथ दिखाई पड़ते हैं।एक तरफ तो मैं त्यागियों के उत्थान की बात करता हूँ और दूसरी तरफ ऐसे लोगों के साथ रहता हूँ जो इस तरह से बहन बेटियो को बर्बाद कर रहे हैं।उसने कहा की उसकी बर्बादी के जिम्मेदार मेरे जैसे लोग हैं, मुझे ये बात बहुत बुरी लगी।मैंने कहा की मुझे तो इन बातो का पता ही नहीँ है तो उसने कहा की ऐसा नहीँ हो सकता।ये मुसलमान किसी के पास लड़कियां भेजते हैं, किसी को मीट खिलाते हैं और किसी को पैसा देते हैं,मुझे भी कुछ तो मिलता ही होगा।उसकी बातो ने मुझे अंदर तक झकझोर कर रख दिया था।

उसके आंसू मेरी सहनशक्ति से बाहर हो चुके थे।

उसने मुझसे कहा की मैं यदि सारे त्यागियों को अपना भाई बताता हूँ तो वो इस रिश्ते से मेरी बहन हुयी।उसने मुझसे कहा की एक दिन मेरी भी बेटी होगी और उसे भी डिग्री कॉलेज में जाना पड़ेगा और तब भी मुसलमान भेड़ियों की आँखे मेरी बेटी पर होगी।

मैंने कहा की इसमें हिन्दू मुसलमान की क्या बात है तो उसने कहा की ये भी जिहाद है।मैंने जिहाद शब्द उस दिन पहली बार सुना था।वो बच्ची मुसलमान लड़कियो में रहकर उनको अच्छी तरह समझ चुकी थी।उसने मुझे जिहाद का मतलब बताया।मैंने उस बच्ची का हाथ अपने हाथ में लिया और बहुत मुश्किल से कहा की इतना अन्याय होने के लिये बेटी का होना जरूरी नहीँ है बल्कि मेरी बेटी के साथ ये हो चूका है,आखिर तुम भी तो मेरी बेटी हो।वो बच्ची ये सुनकर बहुत जोर से रोई और धीरे से वहाँ से चली गयी।

वो चली गयी,मैं बैठ गया।मन के अंदर बहुत कुछ मर गया पर मैं अभी जिन्दा था।मन के भीषण संघर्ष ने बहुत कुछ नई भावनाओ को जन्म दिया।मेरा जीवन बदल गया था।मैंने इस पुरे मामले का पता किया।उस बच्ची की एक एक बात सच थी।मुझे प्रेम जी की बाते याद आई और मैंने इस्लाम की किताबो और इतिहास का अध्ययन किया और एक एक चीज को समझा।
मैंने जितना पढ़ा मुझे उस बच्ची की वेदना का उतना ही अहसास हुआ।मैंने लड़ने का फैसला किया और खुद लड़ने का फैसला किया।तभी मुझे पता चला की वो बच्ची मर गयी।वो मर गयी और हो सकता है की उसके माता पिता उसे भूल गए हो पर मेरे लिये वो आज भी जीवित है।वो आज भी मुझे सपनों में दिखाई देती है।आज भी उसकी वेदना,उसकी पीड़ा,उसके आंसू मुझे महसूस होते हैं।आज भी उसकी ये बात की जब तक ये भेड़िये रहेंगे तब तक एक भी हिन्दू की बेटी कॉलेज में सुरक्षित नहीँ रहेगी,मेरे कानों में गूंजती है।

मैंने उसको ठीक उसी तरह से श्रद्धांजलि दी जैसे एक बाप और एक भाई को देनी चाहिये।मैंने वो ही किया जो एक बाप और एक भाई को करना चाहिये।
आज जो कुछ भी हूँ अपनी उसी बेटी के कारण हूँ जिसे मैंने जन्म नही दिया पर जिसने मुझे वास्तव में जन्म दिया।मैं ये बात कभी किसी को नहीँ बताता पर आज ये बात सबकी बतानी जरूरी हो गयी है।

उस बच्ची ने मुझे वो बताया जिसे हिन्दू भूल चूका है,वो ये ही की बेटी किसी आदमी की नहीँ पूरी कौम की होती है और जब कौम कमजोर होती है तो उसका दंड बेटी को भुगतना पड़ता है।कौम की गलती कौम की हर बेटी को भुगतनी ही पड़ेगी।

आज हर हिन्दू की बेटी बर्बादी के उन्ही रास्तों पर चल पड़ी है और कोई भी बाप,कोई भी भाई आज उसे बचा नही पा रहा है।पता नहीँ क्या हो गया है हम सबकी बुद्धि को की विनाश की इतनी बड़ी तैयारी को हम देखना ही नहीँ चाहते हैं।हम सब जानते हैं की हम सब की बेटियो के साथ भी यही होगा पर फिर भी हमारा जमीर जागता नहीँ है।
शायद देवताओ ने हम सबकी बुद्धि को खराब कर दिया है।अब तो शायद भगवान भी हमारे मालिक नहीँ हैं।

आज मैं देखता हूँ की ऐसी घटनाएँ तो हमारे देश में रोज होती है और किसी को कोई फर्क नहीँ पड़ता।यहाँ तक की जिनकी बेटियो और बहनों के साथ ऐसा होता है उन्हें भी कोई फर्क नहीँ पड़ता पर मुझे पड़ा और मैं जानता हूँ की मैंने जो कुछ किया वो बहुत अच्छा किया।मुझे किसी बात का कोई अफ़सोस नहीँ है।मैं जो भी कर सकता था,मैंने किया और जो भी कर सकता हूँ, तब तक करूँगा जब तक जिन्दा हूँ।

दुःख है तो बस इतना है की मैं इस लड़ाई को जीत नहीँ सका।मैं अपनी बहनो को,अपनी बेटियो को इस्लामिक जिहाद के खुनी पंजे से बचा नहीँ सका।दुःख है तो बस इस बात का है की अपनी बेटियो को एक सुरक्षित देश बना कर नहीँ दे सका।दुःख इस बात का भी है की गद्दारो ने पूरी नस्ल को बर्बाद कर दिया और हम उफ़ तक भी नहीँ कर पाये।

वो बच्ची रो तो पायी,मैं तो रो भी नहीँ पाया।

आज हजारो हिन्दू बेटियो की बर्बादियों की कहानी मेरे सीने में दफन है,काश की कोई हिन्दू मेरे जख्मो को देखने का साहस भी करता।काश ये कायर और मुरदार कौम एक बार जाग जाती तो मैं अपने हाथो से अपना सीना चीरकर दिखा देता।काश इस कौम के रहनुमा एक बार कहते की वो बहनो,बेटियो को भेडियो का शिकार नहीँ बनने देंगे।काश ये कौम हिजड़ो को नेता मानना छोड़ कर खुद अपनी बेटियो की रक्षा करती।

काश...................................
बहुत दर्द है और इलाज कुछ दिख नहीँ रहा है,अब तो बस माँ से यही प्रार्थना है की जल्दी से जल्दी मुझे अपने पास बुला ले जिससे की मुझे अपनी बहनो,अपनी बेटियो की दुर्दशा और ज्यादा न देखनी पड़े।
मेरे बच्चों,मेरे शेरो इस msg में यदि आपको सच्चाई लगे तो इसे दुनिया के हर हिन्दू तक पहुँचा दो।हो सकता है की शायद मेरे दर्द से ही कौम का कोई नया रहनुमा जन्म ले और कौम की बहन बेटियां बच जाएँ।

Friday, March 27, 2020

Corona Jokes हिन्दी

हम चाइना की झालर,
पिचकारी बंद करने चले थे,
सालों ने हमारी कचौड़ी,जलेबी,छोले भटूरे,समोसे सब  बंद करवा दिया,
🤨🤔😉😊
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Thursday, March 26, 2020