Friday, July 30, 2021

दलितों तो पूरे विस्व में है! पर भारत के दलित सब से सूखी है?

अंबेडकर को लेकर बहुत से मिथक हैं जिन्हें सच माना जाता है। कल एंड टीवी पर शुरू होने वाले अंबेडकर पर आधारित शो का टीज़र मित्र ने भेजा।  कल उस मित्र से इस संदर्भ में बात हो रही थी तो सोचा क्यों न उन मिथकों और उनकी सच्चाई पर एक सार्वजनिक पोस्ट की जाए। आइए जानते हैं क्या हैं वो मिथक और क्या है सच्चाई-

●मिथक- अंबेडकर बहुत मेधावी थे।

सच्चाई- अंबेडकर ने अपनी सारी शैक्षणिक डिग्रियाँ तीसरी श्रेणी में पास की।

●मिथक- अंबेडकर बहुत गरीब थे।

सच्चाई- जिस ज़माने में लोग फोटो तक नहीं खींचा पाते थे उस ज़माने में अंबेडकर की बचपन की बहुत सी फोटो हैं वह भी कोट पैंट में!

●मिथक- अंबेडकर ने शूद्रों को पढ़ने का अधिकार दिया।

सच्चाई- अंबेडकर के पिता जी ख़ुद उस ज़माने में आर्मी में सूबेदार मेजर थे जो यह बताता है कि उस समय पढ़ने का अधिकार शूद्रों के पास था।

●मिथक- अंबेडकर को पढ़ने नहीं दिया गया।

सच्चाई- उस ज़माने में अंबेडकर को गुजरात वडोदरा के क्षत्रिय राजा सीयाजी गायकवाड़ ने स्कॉलरशिप दी और विदेश पढ़ने तक भेजा और ब्राह्मण गुरु जी ने अपना नाम अंबेडकर भी दिया।

●मिथक- अंबेडकर ने नारियों को पढ़ने का अधिकार दिया।

सच्चाई- अंबेडकर के समय ही 20 पढ़ी लिखी औरतों ने संविधान लिखने में महत्वपूर्ण योगदान दिया!

●मिथक- अंबेडकर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे।

सच्चाई- अंबेडकर ने सदैव अंग्रेजों का साथ दिया।भारत छोड़ो आंदोलन की जम कर खिलाफत की। अंग्रेजों को पत्र लिखकर बोला कि आप और दिन तक देश में राज करिए। उन्होंने जीवन भर हर जगह आजादी की लड़ाई का विरोध किया।

●मिथक- अम्बेडकर बड़े शक्तिशाली थे।

सच्चाई- 1946 के चुनाव में पूरे भारत भर में अंबेडकर की पार्टी की जमानत जप्त हुई थी।

●मिथक- अंबेडकर ने अकेले आरक्षण दिया।

सच्चाई- आरक्षण संविधान सभा ने दिया जिसमें कुल 389 लोग थे।अंबेडकर का उसमें सिर्फ एक वोट था। आरक्षण सब के वोट से दिया गया था।

●मिथक- अंबेडकर राष्ट्रवादी थे।

सच्चाई- 1931 में गोलमेज सम्मेलन में गाँधी जी के भारत के टुकड़े करने की बात कर दलितों के लिए अलग दलितस्तान की माँग अंबेडकर ने की थी।

●मिथक- अंबेडकर ने भारत का संविधान लिखा।

सच्चाई- जो संविधान अंग्रेजों के 1935 के मैग्नाकार्टा से लिया गया हो और विश्व के 12 देशों से चुराया गया है। उसे आप मौलिक संविधान कैसे कह सकते हैं? अभी भी सोसायटी एक्ट में 1860 लिखा जाता है।

●मिथक- आरक्षण को लेकर संविधान सभा के सभी सदस्य सहमत थे।

सच्चाई- इसी आरक्षण को लेकर सरदार पटेल से अंबेडकर की कहा सुनी हो गई थी। पटेल संविधान सभा की मीटिंग छोड़कर बाहर चले गये थे, बाद में नेहरू के कहने पर पटेल वापस आये थे।

सरदार पटेल ने कहा कि जिस भारत को अखण्ड भारत बनाने के लिए भारतीय देशी राजाओं, महराजाओं, रियासतदारों, तालुकेदारों ने अपनी 546 रियासतों को भारत में विलय कर दिया जिसमें 513 रियासतें क्षत्रिय राजाओं की थी। इस आरक्षण के विष से भारत भविष्य में खण्डित होने के कगार पर पहुँच जाएगा और आज हम वैसा होते देख भी रहे हैं।

●मिथक- अंबेडकर स्वेदशी विचारधारा के थे।

सच्चाई- देश के सभी नेताओं का तत्कालीन पहनावा भारतीय पोशाक धोती -कुर्ता, पैजामा-कुर्ता, सदरी व टोपी,पगड़ी, साफा, आदि हुआ करता था। गाँधी जी ने विदेशी पहनावा व वस्तुओं की होली जलवाई थी। यद्यपि नेहरू, गाँधी व अन्य नेता विदेशी विश्वविद्यालय व विदेशों में रहे भी थे फिर भी स्वदेशी आंदोलन से जुड़े रहे। वहीं अंबेडकर की कोई भी तस्वीर भारतीय पहनावे में देखने को नहीं मिलती है। अंबेडकर अंग्रेजियत के हिमायती थे।

नोट- मेरा उद्देश्य किसी की भावनाओं को ठेस पहुचाना नहीं है बल्कि सच्चाई बयां करने की कोशिश करना है।तथ्यों की जानकारी आप स्वयं भी प्राप्त कर सकते हैं।

Saturday, July 24, 2021

"देविका रोटवान" भारत की एक शेरनी

आईये आज और ऐक "छिपे हुये हिरो" कि दास्तान से अवगत कराता हूँ , 
और एक सडी हुई व्यवस्था, मरी हुई कौम, गलीच, स्वार्थी और भ्रष्टाचारी लोगों की वजह से एक जिंदगी कैसे बर्बाद हो रही है। दास्ताँ पढिए..

जबसे मैंने मुंबई की "देविका रोटवान" के बारे में पढ़ा है .....तबसे सिस्टम और उसके हरामी नौकरशाही से नफरत दस गुना बढ़ गयी है .......

देविका रोटवांन वही लड़की है जिसकी गवाही पे कसाब को फांसी हुई थी .....
आपको बता दें की देविका मुंबई हमलों के दौरान महज 9 साल की थी ..उसने अपनी आँखों से कसाब को गोली चलाते देखा था ..

लेकिन जब उसे सरकारी गवाह बनाया गया तो उसे पाकिस्तान से धमकी भरे फोन कॉल आने लगे .....देविका की जगह अगर कोई और होता तो वो गवाही नहीं देता ..लेकिन इस बहादुर लड़की ने ना सिर्फ कसाब के खिलाफ गवाही दी बल्कि सीना तान के बिना किसी सुरक्षा के मुंबई हमले के बाद भी 5 साल तक अपनी  उसी झुग्गी झोपडी में रही ...

लेकिन इस देश भक्ति के बदले उसे क्या मिला ??....लोगों ने साथ तक नही दिया

आपको बता दें की देविका रोटवान जब सरकारी गवाह बनने को राजी हो गयी तो उसके बाद उसे उसके स्कुल से निकाल दिया गया ..क्यों की स्कूल प्रशासन का कहना था की आपकी लड़की को आतंकियों से धमकी मिलती है ..जिससे हमारे दुसरे स्टूडेंट्स को भी जान का खतरा पैदा हो सकता है ....

देविका के रिश्तेदारों ने उससे दूरी बना ली ..क्यों की उन्हें पाकिस्तानी आतंकियों से डर लगता था जो लगातर देविका को धमकी देते थे ....देविका को सरकारी सम्मान जरुर मिला ..
उसे हर उस समारोह में बुलाया जाता था जहाँ मुंबई हमले के वीरों और शहीदों को सम्मानित किया जाता था ..लेकिन देविका बताती है की सम्मान से पेट नहीं भरता ...
मकान मालिक उन्हें तंग करता है उसे लगता है की सरकार ने देविका के परिवार को सम्मान के तौर पे करोडो रूपये दिए हैं ..
जबकि असलियत ये हैं की देविका को अपनी देशभक्ति की बहुत भरी कीमत चुकानी पड़ी है ...

देविका का परिवार देविका का नाम अपने घर में होने वाली किसी शादी के कार्ड पे नहीं लिखवाता ..क्यों की उन्हें डर है की इससे वर पक्ष शादी उनके घर में नहीं करेगा ..क्यों की देविका आतंकियों के निशाने पे है ......

देविका के परिवार ने अपनी आर्थिक तंगी की बात कई बार राज्य सरकार और पीएमओ तक भी पहुचाई लेकिन परिणाम ढाक के तीन पात निकला ...
देविका की माँ 2006 में ही गुजर गयी है ...

देविका के घर में आप जायेंगे तो उसके साथ कई नेताओं ने फोटो खिचवाई है ..कई मैडल रखे हैं ..लेकिन इन सब से पेट नहीं चलता ...देविका बताती है की उसके रिश्तेदारों को लगता है की हमें सरकार से करोडो रूपये इनाम मिले है ..लेकिन असल स्थिति ये हैं की दो रोटी के लिए भी उनका परिवार महंगा है .....
आतंकियों से दुश्मनी के नाम पर देविका के परिवार से उसके आस पास के लोग और उसकी कई दोस्तों ने उससे दूरी बना ली ..की कहीं आतंकी देविका के साथ साथ उन्हें भी ना मार डाले ........

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और डीएम ऑफिस के कई चक्कर लगाने के बाद उधर से जवाब मिला की हमारे जिम्मे एक ही काम नहीं है .......

देविका के पिता बताते हैं की उन्होंने अधिकारीयों से कहा की cm साहब ने मदद करने की बात कही थी .....सरकारी बाबू का कहना है की रिटन में लिखवा के लाइए ........
तब आगे कार्यवाही के लिए भेजा जाएगा ..........

अब आप बताइये की क्या ऐसे देश ..ऐसे समाज ..और ऐसी ही भ्रष्ट सरकारी मशीनरी के लिए देविका ने पैर में गोली खायी थी ...??
उसे क्या जरूरत थी सरकारी गवाह बनने की ??
उसे स्कुल से निकाल दिया गया ??
क्यों की उसने एक आतंकी के खिलाफ गवाही दी थी .....

 .....ऐसे खुद गरज समाज ..सरकार ....और नेताओं के लिए अपनी जान दाव पे लगाने की कोई जरूरत नहीं है ...

देविका तुमने बिना मतलब ही अपनी जिन्दगी नरक बना ली ......
सलमान खान एक देशद्रोही संजय दत्त ..और अब एक वैश्या सन्नी लियोन के ऊपर बायोपिक बनाने वाला बॉलीवुड तो देविका के मामले में महा मा**चो निकला ...

आपको बता दें की देविका का interview लेने के लिए  बॉलीवुड निर्देशक राम गोपाल वर्मा ने देविका को अपने घर बुलाया लेकिन उसे आर्थिक मदद देना तो दूर उसे ऑटो के किराए के पैसे तक नहीं दिए ....ऐसा संवेदन हीन है अपना समाज ...थूकता हूँ मै ऐसे समाज पे ....

शायद कितनो को तो देविका के बारे पता भी नहीं होगा की देविका  रोटवान कौन है ........

थू है ऐसी व्यवस्था पे ..
ज्यादा से ज्यादा "शेयर" किजीये hकि इस शेर दिल बच्ची को इस समाज मे इज्जत के साथ इसे उचित सम्मान मिले...
🙏🏻🙏🏻🙏