Friday, February 2, 2018

गीता के सन्देश के बड़ा खिलवाड़

अर्थ का अनर्थ कर रहे इसी को मानने वाले

आजकल एक मैसेज  व्हाट्स-एप पर बहुत वायरल हो रहा है , और हर कोई इसे भगवत गीत में लिखा मदिरा/ दारु / अल्कोहल पीने का लाइसेंस मानकर चल रहा है | विशेषकर हिन्दू धर्म के उन लोगों ने ईश्वरीय अवतार श्रीकृष्ण की वाणी का जो अनर्थ निकाल कर इसे फन के रूप में लेकर दिग्भ्रमित किया है वह एक अत्यंत अशोभनीय और घ्रणित कृत्य है| 

ईश्वरीय वाणी के इसी अपमान और और इससे होने वाले दुष्परिणाम जैसे की आजकल घरों में बीयर, मदिरा और बच्चों में इसका बढ़ता चलन तेज़ी से बढ़ रहा है | दोष दिया जा रहा है नई युवा पीढ़ी को …

दोष हमारा है , न संस्कृत का ज्ञान , ना गीता को कभी पढ़ने और समझने का समय …. कम ज्ञान वाले जो लिख दें वही भगवत ज्ञान ….

यह है वह वायरल मैसेज 

दारु पीने वालो के लिए बहुत मुश्किल से खोज के लाया हूं,  भागवत गीता का संदेश हैं।

इसे फॉरवर्ड करते समय क्या आपको यह भी ध्यान नहीं आता कि

क्या एक ईश्वरीय अवतार समाज को मदिरा पीने के लिए प्रेरित करेगा ?

अब आवश्यकता है इस अमूल्य ईश्वरीय वाणी से आलोकित दिव्यग्रन्थ “गीता”  जिसे प्रभु श्रीकृष्ण ने सम्पूर्ण मानवजाति वो चाहे किसी में भी आस्था रखता हो , के लिए दिया था का अर्थ समझे और उसके अपमान का कारण  न बने अपितु उसके सही अर्थ और मर्म  को समझे | 

यह अध्याय नौ के १९-२०वें श्लोक की बात है जहाँ यह प्रस्तुत है | यहं पर गलत टीका यानि की भावार्थ देकर इसका अनर्थ कर दिया गया है कि “वेदों के अध्ययन  साथ सोमरस पीने वाला”  जबकि सही अर्थ कुछ और ही है और वह है :  

यहाँ पर “सोमपा:” शब्द को सोमरस बनाकर इसका अनर्थकिया गया है जबकि सोम यानि संस्कृत में “चन्द्रमा” …

यह देखिये सही क्या है 

चन्द्रमा के क्षीण प्रकाश के स्थान पर ईश्वरीय सूर्य के प्रकाश को देने वाले श्रीकृष्ण क्या  सोमरस पीने को कहेंगे??

बीयर , व्हीस्की, वाइन या अन्य  किसी भी रूप में अल्कोहल निषेध है ,

हिन्दू ही नहीं मित्रों सभी धर्मों में 

 

यदि हम पानी थोड़ी भी बुद्धि लगायें तो यह संदेह अपने आप ही मिट जाएगा | इसलिए आप सभी से निवेदन है की , बिना प्रामाणिकता जाने , अर्थ को समझे किसी भी ऐसे मैसेज को फॉरवर्ड ना करें नहीं तो गीता जो कि ईश्वर की वाणी है , नवनिर्माण करने वाला सन्देश समाज को विनाश तक ले जाएगा | 

लगता है कि कृष्ण की पुनः वापसी होगी तभी यह समाज नए रूप में विकसित होगा नहीं तो लोग तो ईश्वर वाणी को भी विकृत करने में शर्म नहीं कर रहे हैं | ढूंढें कि कान्हा अब इस युग में  कब आयेंगे या आ गए …

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यदि आपने उपरोक्त सन्देश को पढ़ा है और फॉरवर्ड किया है तो

अब इस सही सन्देश को भी फॉरवर्ड करें और अपनी गलती सुधारें |

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