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Friday, November 8, 2019

देव उठानी प्रबोधिनी एकादशी


  
कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवप्रबोधिनी एकादशी और देव उठानी एकादशी के नाम से जाना जाता है। 

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार आषाढ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी यानी देव शयनी के दिन भगवान विष्णु सो जाते हैं। 

इसके बाद देव प्रबोधिनी यानी कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष एकादशी को चार महीने बाद भगवान जगते हैं। 

भगवान के जगने से सृष्टि में तमाम सकारात्मक शक्तियों का संचार होने लगता है।

शास्त्र व पंचांग के अनुसार इस वर्ष 8 नवंबर 2019 दिन शुक्रवार को देव उठनी एकादशी का व्रत रखना तथा तुलसी जी का भगवान शालिग्राम जी के साथ विवाह शास्त्र सम्मत् होगा। 

कारण यह है कि 8 नवंबर को एकादशी तिथि में सूर्योदय होगा और 12 बजकर 55 मिनट तक एकादशी तिथि रहेगी इसके बाद द्वादशी आरंभ हो जाएगी।

इस एकादशी व्रत का पारण शनिवार 9 नवंबर को सूर्योदय के बाद से ही किया जा सकता है। 

द्वादशी तिथि 2 बजकर 40 मिनट तक रहेगी। 

एकादशी व्रत करने वाले को द्वादशी के दिन भी व्रत के कुछ नियमों का पालन करना होता है जिनमें एक नियम यह है व्रती को द्वादशी के रोज दिन में नहीं सोना चाहिए। 

अगर नींद आ ही जाए तो सिरहाने में एक तुलसी का पत्ता जरूर रख लेना चाहिए।

इस वर्ष एकादशी पर बड़ा ही शुभ संयोग बना है। 

एकादशी शुक्रवार के दिन है। 

इस दिन की स्वामिनी विष्णु प्रिया देवी लक्ष्मी हैं। 

इस दिन व्रत करने से एक साथ लक्ष्मी और नारायण के पूजन का फल प्राप्त होगा। 

इस संयोग के साथ देव प्रबोधिनी एकादशी के दिन यानी 8 नवंबर को जब तक एकादशी तिथि रहेगी तब तक रवि नामक शुभ योग भी उपस्थित होगा। इस शुभ संयोग में कोई भी शुभ काम का आरंभ किया जा सकता है।

💐जय श्री सीताराम💐
💐सत्य सनातन धर्म की जय💐
💐श्रीमन नारायण भगवान की जय💐