Showing posts with label भक्त और भगवान का संबंध. Show all posts
Showing posts with label भक्त और भगवान का संबंध. Show all posts

Monday, November 11, 2019

भक्त और भगवान का संबंध


एक बार की बात है एक संत जग्गनाथ पूरी से मथुरा की ओर आ रहे थे उनके पास बड़े सुंदर ठाकुर जी थे । वे संत उन ठाकुर जी को हमेशा साथ ही लिए रहते थे और बड़े प्रेम से उनकी पूजा अर्चना कर लाड लड़ाया करते थे ।

ट्रेन से यात्रा करते समय बाबा ने ठाकुर जी को अपनें बगल की सीट पर रख दिया और अन्य संतो के साथ हरी चर्चा में मग्न हो गए ।

जब ट्रेन रुकी और सब संत उतरे तब वे सत्संग में इतनें मग्न हो चुके थे कि झोला गाङी में ही रह गया उसमें रखे ठाकुर जी भी वहीं गाडी में रह गए । संत सत्संग की मस्ती में भावौं मैं ऐसा बहे कि ठाकुर जी को साथ लेकर आना ही भूल गए ।

बहुत देर बाद जब उस संत के आश्रम पर सब संत पहुंछे और भोजन प्रसाद पाने का समय आया तो उन प्रेमी संत ने अपने ठाकुर जी को खोजा और देखा की हाय हमारे ठाकुर जी तो हैं ही नहीं ।

संत बहुत व्याकुल हो गए , बहुत रोने लगे परंतु ठाकुर जी मिले नहीं । उन्होंने ठाकुर जी के वियोग अन्न जल लेना स्वीकार नहीं किया ।संत बहुत व्याकुल होकर विरह में अपने ठाकुर जी को पुकारकर रोने लगे ।

तब उनके एक पहचान के संत ने कहा - महाराज मै आपको बहुत सुंदर चिन्हों से अंकित नये ठाकुर जी दे देता हूँ परंतु उन संत ने कहा की हमें अपने वही ठाकुर चाहिए जिनको हम अब तक लाड लड़ते आये है ।

तभी एक दूसरे संत ने पूछा - आपने उन्हें कहा रखा था ? मुझे तो लगता है गाडी में ही छुट गए होंगे। 

एक संत बोले - अब कई घंटे बीत गए है । गाडी से किसीने निकाल लिए होंगे और फिर गाडी भी बहुत आगे निकल चुकी होगी ।

इस पर वह संत बोले- मै स्टेशन मास्टर से बात करना चाहता हूँ वहाँ जाकर ।सब संत उन महात्मा को लेकर स्टेशन पहुंचे । स्टेशन मास्टर से मिले और ठाकुर जी के गुम होने की शिकायत करने लगे । उन्होंने पूछा की कौनसी गाडी में आप बैठ कर आये थे ।

संतो ने गाडी का नाम स्टेशन मास्टर को बताया तो वह कहने लगा - महाराज ! कई घंटे हो गए ,यही वाली गाडी ही तो यहां खड़ी हो गई है , और किसी प्रकार भी आगे नहीं बढ़ रही है । न कोई खराबी है न अन्य कोई दिक्कत कई सारे इंजीनियर सब कुछ चेक कर चुके है परंतु कोई खराबी दिखती है नही । महात्मा जी बोले। - अभी आगे बढ़ेगी ,मेरे बिना मेरे प्यारे कही अन्यत्र कैसे चले जायेंगे ?

वे महात्मा अंदर ट्रेन के डिब्बे के अंदर गए और ठाकुर जी वही रखे हुए थे जहां महात्मा ने उन्हें पधराया था । अपने ठाकुर जी को महात्मा ने गले लगाया और जैसे ही महात्मा जी उतरे गाडी आगे बढ़ने लग गयी । ट्रेन का चालाक , स्टेशन मास्टर तथा सभी इंजीनियर सभी आश्चर्य में पड गए और बाद में उन्होंने जब यह पूरी लीला सुनी तो वे गद्गद् हो गए । उसके बाद वे सभी जो वहां उपस्थित उन सभी ने अपना जीवन संत और भगवन्त की सेवा में लगा दिया

भक्तो भगवान जी भी खुद कहते है ना

भक्त जहाँ मम पग धरे,, तहाँ धरूँ में हाथ,
सदा संग लाग्यो फिरूँ,, कबहू न छोडू साथ,

मत तोला कर इबादत को अपने हिसाब से,
ठाकुर जी की रहमतें देखकर अक्सर तराज़ू टूट जाते हैं !!