Showing posts with label bloody indian. Show all posts
Showing posts with label bloody indian. Show all posts

Wednesday, October 30, 2019

भारत! मूर्खो का देश।

बुद्धि हिन कहे कि, सीधा! हिंदुस्तान वालो को!, हिन्द के लोगो ने अपने इसी हरकत से 800 साल से जादा की गुलामी सही!
कभी ये शिव और विष्णु के नाम पे लड़ते थे। तो कभी शिव और शक्ति, फिर मूर्ति और निरंकार पे, कभी भाषाओं पे लड़े थे!... जिसका फायदा मुगलों ने और फिर अंग्रेजो ने लिया!
मंद तो है ही हिन्दुस्तानी लोग सत ही सत धन वैभव से संपन है! चलो थोड़ा दिमाग लगते है! मुगलों(भूखे सूखे लोग) ने पहले दुतो को भेज माहौल पढ़ा फिर जाना की इनकी एकता तो अहंकार के कारण बहुत कमजोर है! फिर क्या कमजोरी पे आक्रमण किया अपने भूखे नंघे भीड़(50 से 60 हजार भूखे लोग) जिसका परिणाम वहीं हुआ जो होना था! उनकी भूख भारत के अहंकारी संप्पन लोगो से जीत गई। और फिर क्या वो समझ गए थे भारतीयों का चरित्र! फिर सदा के लिऐ राज करना था तो बस कुछ लालचियों को पकड़ा और गुरुकुल की पड़ाही पे हमला कर दिया! बीज बो दिया नफरत का गरीबों को छोटी जात घोषित कर दिया और अमीरों को बड़ी, फिर क्या होना था अहंकार में बने बड़ी जातियों ने अपने ही भाई बंधुवो को नीचा दिखाना शुरू कर दिया! लालची पंडित केहेलाए और शोषित दलित! यहां तक इन लालचियों ने वेद जैसे पवित्र प्राकृतिक ग्रंथ को भी नहीं छोड़ा, उसमे के समाज वेवस्था वर्ण को जात(cast) बना दिया अंग्रेजो ने इसका बहुत समर्थन किया, वेदों को तोड मड़ोड के पुर्तगाली, फ्रेंच, Dutch,   अंग्रेजी व अन्य यूरोपीय भाषा में प्रकाशित भी किया! वो जानते थे कैसे समाज को तोड़ा जाता है, जिसे हम "Divide and Rule policy" कहेते है।.......और आज भी वो चालू है बस उल्टा हो गया है।
Ha Ha Ha
 पूरी किताब बन रही है "भारत एक बेवकूफ देश" पर इंतेज़ार करों।
समजने वालो के लिऐ इतना article बहुत है, और जो समजना ही नहीं चाहता या तो वो मानसिक रोगी है या तो फिर वो कुछ फायदे में है इस जात पात के topic  से...

बाकी कलयुग की मर्जी जहां नचाए मंदो को!
*मेरी हिन्दी मत देखना बेवकूफों ये भाव रश है! कोई कविता या शायरी नहीं।