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Tuesday, January 2, 2018

कफ खांसी के देसी घरेलु उपचार


कारण :

खांसी(cough) होने के अनेक कारण हैं- खांसी वात, पित्त और कफ बिगड़ने के कारण होती है।

• घी-तेल से बने खाद्य पदार्थों के सेवन के तुरन्त बाद पानी पी लेने से खांसी की उत्पत्ति होती है। छोटे बच्चे स्कूल के आस-पास मिलने वाले चूरन, चाट-चटनी व खट्टी-मीठी दूषित चीजें खाते हैं जिससे खांसी रोग हो जाता है।

• मूंगफली, अखरोट, बादाम, चिलगोजे व पिस्ता आदि खाने के तुरन्त बाद पानी पीने से खांसी होती है। ठंड़े मौसम में ठंड़ी वायु के प्रकोप व ठंड़ी वस्तुओं के सेवन से खांसी उत्पन्न होती है। क्षय रोग व सांस के रोग (अस्थमा) में भी खांसी उत्पन्न होती है।

• सर्दी के मौसम में कोल्ड ड्रिंक पीने से खांसी होती है। ठंड़े वातावरण में अधिक घूमने-फिरने, फर्श पर नंगे पांव चलने, बारिश में भीग जाने, गीले कपड़े पहनने आदि कारणों से सर्दी-जुकाम के साथ खांसी उत्पन्न होती है।

• क्षय रोग में रोगी को देर तक खांसने के बाद थोड़ा सा बलगम निकलने पर आराम मिलता है। आंत्रिक ज्वर (टायफाइड), खसरा, इंफ्लुएंजा, निमोनिया, ब्रोंकाइटिस (श्वासनली की सूजन), फुफ्फुसावरण शोथ (प्लूरिसी) आदि रोगों में भी खांसी उत्पन्न होती है।

भोजन और परहेज :

खांसी(khansi) में पसीना आना अच्छा होता है। नियम से एक ही बार भोजन करना, जौ की रोटी, गेहूं की रोटी, शालि चावल, पुराने चावल का भात, मूंग और कुल्थी की दाल, बिना छिल्के की उड़द की दाल, परवल, तरोई, टिण्डा बैंगन, सहजना, बथुआ, नरम मूली, केला, खरबूजा, गाय या बकरी का दूध, प्याज, लहसुन, बिजौरा, पुराना घी, मलाई, कैथ की चटनी, शहद, धान की खील, कालानमक, सफेद जीरा, कालीमिर्च, अदरक, छोटी इलायची, गर्म करके खूब ठंड़ा किया हुआ साफ पानी, आदि खांसी के रोगियों के लिए लाभकारी है।

खांसी में नस्य , आग के सामने रहना, धुएं में रहना, धूप में चलना, मैथुन करना, दस्त रोग, कब्ज, सीने में जलन पैदा करने वाली वस्तुओं का सेवन करना, बाजरा, चना आदि रूखे अन्न खाना, विरुद्ध भोजन करना, मछली खाना, मल मूत्र आदि के वेग को रोकना, रात को जागना, व्यायाम करना, अधिक परिश्रम, फल या घी खाकर पानी पीना तथा अरबी, आलू, लालमिर्च, कन्द, सरसो, पोई, टमाटर, मूली, गाजर, पालक, शलजम, लौकी, गोभी का साग आदि का सेवन करना हानिकारक होता है।

सावधानी :

खांसी के रोगी को प्रतिदिन भोजन करने के एक घंटे बाद पानी पीने की आदत डालनी चाहिए। इससे खांसी से बचाव के साथ पाचनशक्ति मजबूत होती है। खांसी का वेग नहीं रोकना चाहिए क्योंकि इससे विभिन्न रोग हो सकते हैं- दमा का रोग, हृदय रोग, हिचकी, अरुचि, नेत्र रोग आदि।

*विभिन्न औषधियों से उपचार :*
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१-हल्दी : 
• खांसी से पीड़ित रोगी को गले व सीने में घबराहट हो तो गर्म पानी में हल्दी और नमक मिलाकर पीना चाहिए। हल्दी का छोटा सा टुकड़ा मुंह में डालकर चूसते रहने से खांसी में आराम मिलता है।
• हल्दी को कूटकर तवे पर भून लें और इसमें से आधा चम्मच हल्दी गर्म दूध में मिलाकर सेवन करें। इससे गले में जमा कफ निकल जाता है और खांसी में आराम मिलता है।
• हल्दी के 2 ग्राम चूर्ण में थोड़ा सा सेंधानमक मिलाकर खाने और ऊपर से थोड़ा सा पानी पीने से खांसी का रोग दूर होता है।
• खांसी के साथ छाती में घबराहट हो तो हल्दी और नमक को गर्म पानी में घोलकर पीना चाहिए। खांसी अगर पुरानी हो तो 4 चम्मच हल्दी के चूर्ण में आधा चम्मच शहद मिलाकर खाना चाहिए।

२- बांस : 6-6 मिलीलीटर बांस का रस, अदरक का रस और शहद को एक साथ मिलाकर कुछ समय तक सेवन करने से खांसी, दमा आदि रोग ठीक हो जाते हैं।

३- शहद :
• 5 ग्राम शहद में लहुसन का रस 2-3 बूंदे मिलाकर बच्चे को चटाने से खांसी दूर होती है।
• थोड़ी सी फिटकरी को तवे पर भूनकर एक चुटकी फिटकरी को शहद के साथ दिन में 3 बार चाटने से खांसी में लाभ मिलता है।
• एक चम्मच शहद में आंवले का चूर्ण मिलाकर चाटने से खांसी दूर होती है।
• एक नींबू को पानी में उबालकर गिलास में इसका रस निचोड़ लें और इसमें 28 मिलीलीटर ग्लिसरीन व 84 मिलीलीटर शहद मिलाकर 1-1 चम्मच दिन में 4 बार पीएं। इससे खांसी व दमा में आराम मिलता है।
• 12 ग्राम शहद को दिन में 3 बार चाटने से कफ निकलकर खांसी ठीक होती है।
• चुटकी भर लौंग को पीसकर शहद के साथ दिन में 3 से 4 बार चाटने से आराम मिलता है।
• शहद और अडूसा के पत्तों का रस एक-एक चम्मच और आधा चम्मच अदरक का रस मिलाकर पीने से खांसी नष्ट होती है।

४- हरीतकी : हरीतकी चूर्ण सुबह-शाम कालानमक के साथ खाने से कफ खत्म होता है और खांसी में आराम मिलता है।

५-कपूर:
• 1 से 4 ग्राम कपूर कचरी को मुंह में रखकर चूसने से खांसी ठीक होती है।
• बच्चों को खांसी में कपूर को सरसो तेल में मिलाकर छाती और पीठ पर मालिश करने से खांसी का असर दूर होता है

६- सौंफ : 
• 2 चम्मच सौंफ और 2 चम्मच अजवायन को 500 मिलीलीटर पानी में उबालकर इसमें 2 चम्मच शहद मिलाकर हर घंटे में 3 चम्मच रोगी को पिलाने से खांसी में लाभ मिलता है।
• सौंफ का 10 मिलीलीटर रस और शहद मिलाकर सेवन करने से खांसी समाप्त होती है।
• सूखी खांसी में सौंफ मुंह में रखकर चबाते रहने से खांसी दूर होती है।

७- केसर : बच्चों को सर्दी खांसी के रोग में लगभग आधा ग्राम केसर गर्म दूध में डालकर सुबह-शाम पिलाएं और केसर को पीसकर मस्तक और सीने पर लेप करने से खांसी के रोग में आराम मिलता है।

८- कटेरी :
• ज्यादा खांसने पर भी अगर कफ (बलगम) न निकल रहा हो तो छोटी कटेरी की जड़ को छाया में सुखाकर बारीक पीसकर चूर्ण बना लें। यह 1 ग्राम चूर्ण में 1 ग्राम पीपल का चूर्ण मिलाकर थोड़ा सा शहद मिलाकर दिन में 2-3 बार चाटने से कफ आसानी से निकल जाता है और खांसी में शान्त होता है।
• छोटी कटेरी के फूलों को 2 ग्राम केसर के साथ पीसकर शहद मिलाकर सेवन करने से खांसी ठीक होती है।
• लगभग 1 से 2 ग्राम बड़ी कटेरी के जड़ का चूर्ण सुबह-शाम शहद के साथ सेवन करने से कफ एवं खांसी में बहुत अधिक लाभ मिलता है।
• लगभग 10 ग्राम कटेरी, 10 ग्राम अडूसा और 2 पीपल लेकर काढ़ा बनाकर शहद के साथ सेवन करने से खांसी बन्द हो जाती है।

९- जायफल : जायफल, पुष्कर मूल, कालीमिर्च एवं पीपल बराबर मात्रा में लेकर बारीक चूर्ण बनाकर 3-3 ग्राम चूर्ण सुबह-शाम शहद के साथ सेवन करने से खांसी दूर होती है।

१०- सोंठ : 
• सोंठ, कालीमिर्च, पीपल, कालानमक, मैनसिल, वायबिडंग, कूड़ा और भूनी हींग को एक साथ मिलाकर चूर्ण बना लें। यह चूर्ण प्रतिदिन खाने से खांसी, दमा व हिचकी रोग दूर होता है।
• सोंठ, कालीमिर्च और छोटी पीपल बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। इस 1 ग्राम चूर्ण को शहद के साथ दिन में 2-3 बार चाटने से हर तरह की खांसी दूर होती है और बुखार भी शान्त होता है।
• यदि कोई बच्चा खांसी से परेशान हो तो उसे सोंठ, कालीमिर्च, कालानमक तथा गुड़ का काढ़ा बनाकर पिलाना चाहिए। इससे बच्चे को खांसी में जल्द आराम मिलता है।
• सोंठ, छोटी हरड़ और नागरमोथा का चूर्ण समान मात्रा में लेकर इसमें दुगना गुड़ मिलाकर चने के बराबर गोलियां बनाकर मुंह में रखकर चूसने से खांसी और दमा में आराम मिलता है।

११- अडूसा (वासा) : 
• वासा के ताजे पत्ते के रस, शहद के साथ चाटने से पुरानी खांसी, दमा और क्षय रोग (टी.बी.) ठीक होता है।
• अडूसा के पत्तों का रस एक चम्मच, एक चम्मच अदरक का रस और एक चम्मच शहद मिलाकर पीने से सभी प्रकार की खांसी से आराम मिलता है।
• अडूसे के पत्तों के 20-30 मिलीलीटर काढ़ा में छोटी पीपल का एक ग्राम चूर्ण डालकर पीने से पुरानी खांसी, दमा और क्षय रोग में लाभ मिलता है।
• अडूसे के पत्तों के 5 से 15 मिलीलीटर रस में अदरक का रस, सेंधानमक और शहद मिलाकर सुबह-शाम रोगी को खिलाने से कफयुक्त बुखार और खांसी ठीक होती है।
• अडूसा और तुलसी के पत्तों का रस बराबर मात्रा में मिलाकर पीने से खांसी मिटती है।
• अडूसा और कालीमिर्च का काढ़ा बनाकर ठंड़ा करके पीने से सूखी खांसी नष्ट होती है।
• अडूसा के रस में मिश्री या शहद मिलाकर चाटने से सूखी खांसी ठीक होती है।
• अडूसा के पेड़ की पंचांग को छाया में सुखाकर चूर्ण बनाकर प्रतिदिन 10 ग्राम सेवन करने से खांसी और कफ विकार दूर होता है।
• अडूसा के पत्ते और पोहकर की जड़ का काढ़ा बनाकर सेवन करने से दमा व खांसी में लाभ मिलता है।
• अडूसा की सूखी छाल को चिलम में भरकर पीने से दमा व खांसी दूर होती है।
• अडूसा, तुलसी के पत्ते और मुनक्का बराबर मात्रा में लेकर काढ़ा बनाकर सुबह-शाम पीने से खांसी दूर होती है।