कभी हम दैाड़े नहीं, तो जीत भी हुई नहीं,
डट कर अड़े नहीं, चौट भी लगी नहीं,
फुरसत ही नही मिली, प्यार भी किया नहीं,
मदहोश अपने धुन में थे, खव्बमें जिया नहीं,
संघर्ष तो मजाक था, कुछतो हुवा नहीं,
दस्तके अब आ रही〰, समझ कुछ पाया नहीं,
जिंदगी जानेको हे, और कुछ किया नहीं,
ये प्रकृति, ये प्यार, जीवन का वेवहार
अभी तक दिखा नहीं,
नोट ने खई ये जिंदगी,
वोटमें गवाई जिंदगी
खा लिया ! ज़िन्दगी ये कीमती,
कियु ना में जिया एक बार?
थोड़ी और दे न मालिक ! ये जिंदगी उधार
आभी रह गया अपनों से करना प्यार
सपना टुटा! और समज आया मुझे
दिन गये बीत हे कितने,
अभी कुछ किया न हमने।।
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ये जिंदगी बहुत अन्मोल हे, सत कर्मो में लगा दीजो
दो रोटी मिलती हे न खानेको !! बस उतनेमे ही बिता दीजो
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राम राम
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Sunday, May 25, 2014
क्या कर रहे है हम?
Thursday, April 28, 2011
एक इन्स्तंत कविता
जीवन से जादा प्यारी , मोत है मुझे ,
में डरा नहीं गम से, वो थो शौक है मुझे ,
धरती से प्यार बहुत करता हु, ये रोग है मुझे ,
खड़ा हु तान के सीना देखलो पूरा होश है मुझे ,
में डरा नहीं गम से, वो थो शौक है मुझे ,
धरती से प्यार बहुत करता हु, ये रोग है मुझे ,
खड़ा हु तान के सीना देखलो पूरा होश है मुझे ,
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