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Thursday, September 28, 2017

गौरी लंकेश बन गई सच लिखने वाली


ये किसे नहीं पता गौरी लंकेश हिंदुत्व की पुरजोर विरोधी थी,
जिसके निशाने पर संघ, भाजपा और सभी सभी हिन्दू संगठन
रहते थे, जो नक्सली क़त्ल-ए-आम की घोर समर्थक थी और
देश के टुकड़े टुकड़े करने वालों और देश की बर्बादी के
नारे लगाने वाले कनहिया कुमार और उमर खालिद को अपना
बेटा कहती थी --उसे आज सत्य लिखने वाली सिपाही कहा
जा रहा है --

राहुल गाँधी और सीताराम येचुरी संघ और भाजपा को उसकी
हत्या का दोषी बता रहे हैं --बिना किसी सबूत के --क्यूंकि उसकी
मौत के बाद की पटकथा पहले से लिखी जा चुकी थी और शायद
मौत की भी पटकथा --

राहुल गाँधी ने कहा है जो भाजपा और आरएसएस की विचारधारा
का विरोध करेगा, उसके खिलाफ बोलेगा या लिखेगा उसे मार दिया
जायेगा --मैंने मंद-बुद्धि राहुल से कहा है कि बस इतना बता दो कि
इंदिरा गाँधी और राजीव गाँधी कौन से संघ और भाजपा की विचारधारा
का विरोध कर रहे थे जो उनकी हत्या कर दी गई --

आज पत्रकार जगत इस बात से क्षुब्ध है कि भाजपा और संघ समर्थक
गौरी की हत्या पर दुखी ना हो कर खुश क्यों हैं और इसके लिए वो
पत्रकार ऐसे लोगो को भाजपा के कुत्तें, गुंडे और ना जाने क्या क्या कह
रहे हैं --जबकि वो पत्रकार ही इस जमात के लोग हैं --सीताराम येचुरी
और बृंदा करात जैसे वामपंथी पगला गए हैं --

अब ऐसे पत्रकारों से मैं पूछता हूँ कि जब केरल में हो रही संघ के लोगों
की हत्या पर गौरी शांत रहती है और 76 जवानों के छत्तिश्गढ़ में नक्सलियों
द्वारा क़त्ल करने पर जश्न मनाने वालो का ये साथ देती थी तो उसकी मौत/
हत्या पर कोई देशप्रेमी क्यों और कैसे दुखी हो सकता है --ये देश तोड़ने
वालों का साथ दे और देशप्रेमी इसकी हत्या पर दुखी हों ये कैसे हो सकता
है --

राहुल गांधी को इतना भी ख्याल नहीं है कि कर्नाटक में कांग्रेस की ही
सरकार है और 24 घंटे से कोई नहीं पकड़ा गया --अगर ये हत्या भाजपा
के किसी राज्य में हो गई होती तो अब तक तो पता नहीं कितना कोहराम
हो गया होता --

राहुल गाँधी सिद्धरामैहय से क्यों नहीं कहता कि सी बी आई जांच के लिए
संतुति करे जबकि भाजपा मांग कर रही है --मजे की बात है सी बी आई
जांच की मांग गौरी का भाई कर रहा है इंद्रजीत लंकेश जो 2001से 2005
की बीच गौरी से अलग हो गया था और ऐसा होने से पहले दोनों भाई
बहनों ने एक दूसरे के खिलाफ पुलिस में शिकायत की थी --

इंद्रजीत का गौरी से अलग होने का कारण था गौरी का नक्सल प्रेम और
वो हर तरह नक्सलियों को समर्थन दे रही थी -- सिध्दरामहिया ने कहा
है एस आई टी बना दी गई है --क्यों भाई सी बी आई जांच क्यों नहीं मांगते,
क्या किसी के फसने का डर है --वैसे वो डी के शिवकुमार के खिलाफ भी
काफी कुछ लिख चुकी थी जिसके रिसोर्ट में अभी गुजरात काण्ड में छापा
पड़ा था और 300 करोड़ निकले थे --

इतना नहीं सिद्धरामहिया का गृहमंत्री कह रहा है कि हत्या में नक्सलियों के
हाथ होने की भी जांच हो रही है --अब बोलो राहुल गाँधी और येचुरी जी,
कहाँ खड़े होते हो संघ और भाजपा के खिलाफ -- वैसे येचुरी जी को हिंसा
और क़त्ल-ए-आम के समर्थन हैं ही क्यूंकि ये तो वामपंथ का आधार है --
उनके चीन में क्रांति के नाम पर 5 करोड़ लोगो मौत के घाट उतार कर
वामपंथ का पदार्पण हुआ था --

कांग्रेस ये ना सोचे कि गौरी की हत्या से उन्हें कर्नाटक में सत्ता बचाने में
कोई लाभ होगा --वो तो जाएगी ही और फिर सी बी आई जांच होगी जिसमे
सब नंगे होंगे --

(सुभाष चन्द्र)
06/09/2017

नीतिवान लभते  सुखं |


उस पांच सितारा ऑडिटोरियम के बाहर प्रोफेसर साहब की आलीशान कार आकर रुकी , प्रोफेसर बैठने को हुए ही थे कि एक सभ्य सा युगल याचक दृष्टि से उन्हें देखता हुआ पास आया और बोला ," साहब , यहां से मुख्य सड़क तक कोई साधन उपलब्ध नही है , मेहरबानी करके वहां तक लिफ्ट दे दीजिए आगे हम बस पकड़ लेंगे । "

  रात के साढ़े ग्यारह बजे प्रोफेसर साहब ने गोद मे बच्चा उठाये इस युगल को देख अपने "तात्कालिक कालजयी"  भाषण के प्रभाव में उन्हें अपनी कार में बिठा लिया । ड्राइवर कार दौड़ाने लगा ।

    याचक जैसा वह कपल अब कुटिलतापूर्ण मुस्कुराहट से एक दूसरे की आंखों में देख अपना प्लान एक्सीक्यूट करने लगा । पुरुष ने सीट के पॉकेट मे रखे मूंगफली के पाउच निकालकर खाना शुरू कर दिया बिना प्रोफेसर से पूछे /मांगे ।
लड़की भी बच्चे को छोड़ कार की तलाशी लेने लगी ।एक शानदार ड्रेस दिखी तो उसने झट से उठा ली और अपने पर लगा कर देखने लगी ।
  प्रोफेसर साहब अब सहन नही कर सकते थे ड्राइवर से बोले गाड़ी रोको ,लेकिन ड्राइवर ने गाड़ी नही रोकी बस एक बार पीछे पलटकर देखा , प्रोफेसर को झटका लगा ,अरे ये कौन है उनके ड्राइवर के वेश में ?? वे तीनों वहशियाना तरीके से हंसने लगे , प्रोफेसर साहब को अपने इष्टदेव याद आने लगे ,थोड़ा साहस एकत्रित करके प्रोफेसर साहब ने शक्ति प्रयोग का "अभ्यासहीन " प्रयास करने का विचार किया लेकिन तब तक वह पुरुष अपनी जेब से एक लाइटर जैसा पदार्थ निकाल चुका था और उसका एक बटन दबाते ही 4 इंच का धारदार चाकू बाहर आ चुका था प्रोफेसर साहब की क्रांति समयपूर्व ही गर्भपात को प्राप्त हुई ।

         प्रोफेसर साहब समझ चुके थे कि आज कोई बड़ी अनहोनी निश्चित है उन्होंने खुद ही अपना पर्स निकालकर सारे पैसे उस व्यक्ति के हाथ में थमा दिये  लेकिन वह व्यक्ति अब उनके आभूषणों की तरफ देखने लगा, दुखी मन से प्रोफेसर साहब ने अपनी अंगूठियां ,ब्रेसलेट और सोने के चेन उतार के उसके हाथ में धर दिए , अब वह व्यक्ति उनके गले में एक और लॉकेट युक्त चैन की तरफ हाथ बढ़ाने लगा । प्रोफेसर साहब याचना पूर्वक बोले - इसे छोड़ दो प्लीज यह मेरे "पुरुखों की निशानी " है जो कुल परंपरा से मुझ तक आई है , इसकी मेरे लिए अत्यंत भावनात्मक महत्ता है । लेकिन वह लुटेरा कहां मानने वाला था उसने आखिर वह निशानी भी उतार ही ली ।
                   बिना प्रोफ़ेसर साहब के पता बताएं वे  लोग उनके आलीशान बंगले के बाहर तक पहुंच गए थे ।
  युवक बोला ," लो आ गया घर , ऐसे ढेर सूखे मेवे , कपड़े , पैसा  और  प्रोफेसर  साहब की ल.......
        उसकी आँखों मे आई धूर्ततापूर्ण बेशर्म चमक ने शब्द के अधूरेपन को पूर्णता दे दी ।

      प्रोफेसर साहब अब पूरे परिवार की सुरक्षा एवं घर पर पड़े अथाह धन-धान्य को लेकर भी चिंतित हो गये उनका रक्तचाप उछाले मारने लगा लेकिन करें भी तो क्या ??
        लगे गिड़गिड़ाने ,"  भैया मैंने आपको आपत्ती में देखकर शरण दी और आप मेरा ही इस तरह शोषण कर रहे हैं यह अनुचित है । ईश्वर का भय मानिए यह निर्दयता की पराकाष्ठा है ।अब तो छोड़ दीजिए मुझे भगवान के लिए ।
     प्रोफेसर फूट फूट कर रोने लगे ।।

              वे पति पत्नी अपना बच्चा लेकर कार से उतर गये  और वह ड्राइवर भी , उनके द्वारा लिया गया सारा सामान उन्होंने वापस प्रोफेसर साहब के हाथ में पकड़ाया और  बोले
      
" क्षमा कीजिएगा सर ! रोहिंग्या मुसलमानों के विषय मे शरणागत वत्सलता पर आज आपके द्वारा उस ऑडिटोरियम मे  दिए गए "अति भावुक व्याख्यान"  का तर्कसंगत शास्त्रीय निराकरण करने की योग्यता हममें नहीं थी अतः हमें यह स्वांग रचना पड़ा  ।
  "आप जरा खुद को भारतवर्ष और हमें रोहिंग्या समझ कर इस पूरी घटना पर विचार कीजिए और सोचिये की  आपको अब क्या करना चाहिए इस विषय पर । "

   वो मूंगफली नही इस देश का अथाह प्राकृतिक संसाधन है जिसकी रक्षार्थ यंहा के सैनिक अपना उष्ण लाल लहू बहाकर करते है सर , मुफ्त नही है यह ।
   वो आपकी बेटी/बेटे की ड्रेस मात्र कपड़ा नही है इस देश के नागरिकों के स्वप्न है भविष्य के जिसके लिए यंहा के युवा परिश्रम का पुरुषार्थ करते है ,मुफ्त नही है यह ।
    आपकी बेटी / पत्नी मात्र नारी नही है देश की अस्मिता है सर जिसे हमारे पुरुखों ने खून के सागर बहा के सुरक्षित रखा है , खैरात में बांटने के लिए नही है यह ।
    आपका ये पर्स अर्थव्यवस्था है सर इस देश की जिसे करोड़ो लोग अपने पसीने से सींचते है , मुफ्त नही है यह ।

  और आपके पुरुखों की निशानी यह चैन मात्र सोने का टुकड़ा नही है सर , अस्तित्व है हमारा , इतिहास है इस महान राष्ट्र का जिसे असंख्य योद्धाओ ने मृत्यु की बलिवेदी पर ढेर लगाकर जीवित रखा है , मुफ्त तो छोड़िए इसे किसी ग्रह पर कोई वैज्ञानिक भी उत्पन्न नही कर सकते ।

   कुछ विचार कीजिये सर ! कौन है जो खून चूसने वाली जोंक को अपने शरीर पर रहने की अनुमति देता है , एक बुद्धिहीन चौपाया भी तत्काल उसे पेड़ के तने से रगड़ कर उससे मुक्ति पा लेता है ।

           उस युवक ने वह लाइटर जैसा रामपुरी चाकू  प्रोफेसर साहब के हाथ में देते हुए कहा यह मेरी प्यारी बहन जो आपकी पुत्री है उसे दे दीजिएगा सर क्योंकि अगर आप जैसे लोग रोहिंग्या को सपोर्ट देकर इस देश में बसाते रहे तो किसी न किसी दिन ऐसी ही किसी कार में आपकी बेटी को इसकी आवश्यकता जरूर पड़ेगी।

                 सर ज्ञान के विषय मे तो हम आपको क्या समझा सकते हैं लेकिन एक कहानी जरूर सुनिए ,

   "  लाक्षाग्रह के बाद बच निकले पांडव एकचक्रा नगरी में गए थे तब वहा कोई सराय वगैरह तो थी नहीं तो वे लोग एक ब्राह्मणि के घर पहुंचे और उन्हें शरण देने के लिए याचना की ।
         शरणागत धर्म के चलते हैं उस ब्राह्मणि ने उन्हें  शरण दी ,शीघ्र ही उन्हें (पांडवो) को पता चला कि यहां एक बकासुर नामक राक्षस प्रत्येक पक्षांत पर  एक व्यक्ति को बैलगाड़ी भरकर भोजन के साथ खा जाता है और इस बार उसी ब्राह्मणी के  इकलौते पुत्र की बारी थी , उस ब्राह्मणि के शरणागत धर्म के निष्काम पालन से प्रसन्न पांडवों ने धर्म की रक्षा के लिए , निर्बलों की सहायता के लिए और अपने शरण प्रदाता के ऋण से हल्के होने के लिए स्वयं भीम को उस ब्राह्मण के स्थान पर भेजा ।
       आगे सभी को पता ही है की भीम ने उस राक्षस कोे किस तरह पटक-पटक कर धोया था  लेकिन यह कहानी हमें सिखाती है की शरण किसे दी जाती है ??
         "जो आपके आपत्तिकाल मे आपके बेटे के बदले अपने बेटे को मृत्यु के सम्मुख प्रस्तुत कर सके वही शरण का सच्चा अधिकारी है । "

        उसी के लिए आप अपने संसाधन अपना हित अपना सर्वस्व त्याग करके उसे अपने भाई के समान शरण देते हैं और ऐसे कई उदाहरण इतिहास में उपलब्ध है ।

               प्रोफेसर साहब !  ज्ञान वह नहीं है जो किताबें पढ़कर आता है , सद्ज्ञान वह है जो ऐतिहासिक घटनाएं सबक के रूप में हमें सीखाती हैं और वही वरेण्य है ।
      वरना कई  पढ़े-लिखे महामूर्धन्य लोगों के मूर्खतापूर्ण निर्णयो का फल यह पुण्यभूमि आज भी भुगत ही रही है। आशा है आप हमारी इस धृष्टता को क्षमा करके हमारे संदेश को समझ सकेंगे ।

        प्रोफेसर साहब एक दीर्घनिश्वास के साथ उन्हें जाते हुए देख रहे थे  । आज वे ज्ञान का एक विशिष्ट प्रकाश अपने अंदर स्पष्ट देख पा रहे थे ।

जय हिंद ।।

#पुरोहितजी_कहिन

Thursday, November 14, 2013

गाय के घी के अन्य महत्वपूर्ण उपयोग (Cow milk Hindi)

गाय के घी के अन्य महत्वपूर्ण उपयोग :–


1.गाय का घी नाक में डालने से पागलपन दूर होता है।
2.गाय का घी नाक में डालने से एलर्जी खत्म हो जाती है।
3.गाय का घी नाक में डालने से लकवा का रोग में भी उपचार होता है।
4.20-25 ग्राम घी व मिश्री खिलाने से शराब, भांग व गांझे का नशा कम हो जाता है।
5.गाय का घी नाक में डालने से कान का पर्दा बिना ओपरेशन के ही ठीक हो जाता है।
6.नाक में घी डालने से नाक की खुश्की दूर होती है और दिमाग तारो ताजा हो जाता है।
7.गाय का घी नाक में डालने से कोमा से बहार निकल कर चेतना वापस लोट आती है।
8.गाय का घी नाक में डालने से बाल झडना समाप्त होकर नए बाल भी आने लगते है।
9.गाय के घी को नाक में डालने से मानसिक शांति मिलती है, याददाश्त तेज होती है।
10.हाथ पाव मे जलन होने पर गाय के घी को तलवो में मालिश करें जलन ढीक होता है।
11.हिचकी के न रुकने पर खाली गाय का आधा चम्मच घी खाए, हिचकी स्वयं रुक जाएगी।
12.गाय के घी का नियमित सेवन करने से एसिडिटी व कब्ज की शिकायत कम हो जाती है।
13.गाय के घी से बल और वीर्य बढ़ता है और शारीरिक व मानसिक ताकत में भी इजाफा होता है
14.गाय के पुराने घी से बच्चों को छाती और पीठ पर मालिश करने से कफ की शिकायत दूर हो जाती है।
15.अगर अधिक कमजोरी लगे, तो एक गिलास दूध में एक चम्मच गाय का घी और मिश्री डालकर पी लें।
16.हथेली और पांव के तलवो में जलन होने पर गाय के घी की मालिश करने से जलन में आराम आयेगा।
17.गाय का घी न सिर्फ कैंसर को पैदा होने से रोकता है और इस बीमारी के फैलने को भी आश्चर्यजनक ढंग से रोकता है।
18.जिस व्यक्ति को हार्ट अटैक की तकलीफ है और चिकनाइ खाने की मनाही है तो गाय का घी खाएं, हर्दय मज़बूत होता है।
19.देसी गाय के घी में कैंसर से लड़ने की अचूक क्षमता होती है। इसके सेवन से स्तन तथा आंत के खतरनाक कैंसर से बचा जा सकता है।
20.संभोग के बाद कमजोरी आने पर एक गिलास गर्म दूध में एक चम्मच देसी गाय का घी मिलाकर पी लें। इससे थकान बिल्कुल कम हो जाएगी।
21.फफोलो पर गाय का देसी घी लगाने से आराम मिलता है।
22.गाय के घी की झाती पर मालिस करने से बच्चो के बलगम को बह


हम अगर गोरस का बखान करते करते मर जाए तो भी कुछ अंग्रेजी सभ्यता वाले हमारी बात नहीं मानेगे क्योकि वे लोग तो हम लोगो को पिछड़ा, साम्प्रदायिक और गँवार जो समझते है| उनके लिए तो वही सही है जो पश्चिम कहे तो हम उन्ही के वैज्ञानिक शिरोविच की गोरस पर खोज लाये हैं जो रुसी वैज्ञानिक है|
गाय का घी और चावल की आहुती डालने से महत्वपूर्ण गैसे जैसे – एथिलीन ऑक्साइड,प्रोपिलीन ऑक्साइड,फॉर्मल्डीहाइड आदि उत्पन्न होती हैं । इथिलीन ऑक्साइड गैस आजकल सबसे अधिक प्रयुक्त होनेवाली जीवाणुरोधक गैस है,जो शल्य-चिकित्सा (ऑपरेशन थियेटर) से लेकर जीवनरक्षक औषधियाँ बनाने तक में उपयोगी हैं । वैज्ञानिक प्रोपिलीन ऑक्साइड गैस को कृत्रिम वर्षो का आधार मानते है । आयुर्वेद विशेषज्ञो के अनुसार अनिद्रा का रोगी शाम को दोनों नथुनो में गाय के घी की दो – दो बूंद डाले और रात को नाभि और पैर के तलुओ में गौघृत लगाकर लेट जाय तो उसे प्रगाढ़ निद्रा आ जायेगी ।
गौघृत में मनुष्य – शरीर में पहुंचे रेडियोधर्मी विकिरणों का दुष्प्रभाव नष्ट करने की असीम क्षमता हैं । अग्नि में गाय का घी कि आहुति देने से उसका धुआँ जहाँ तक फैलता है,वहाँ तक का सारा वातावरण प्रदूषण और आण्विक विकरणों से मुक्त हो जाता हैं । सबसे आश्चर्यजनक बात तो यह है कि एक चम्मच गौघृत को अग्नि में डालने से एक टन प्राणवायु (ऑक्सीजन) बनती हैं जो
अन्य किसी भी उपाय से संभव नहीं हैं|देसी गाय के घी को रसायन कहा गया है। जो जवानी को कायम रखते हुए, बुढ़ापे को दूर रखता है। काली गाय का घी खाने से बूढ़ा व्यक्ति भी जवान जैसा हो जाता है।गाय के घी में स्वर्ण छार पाए जाते हैं जिसमे अदभुत औषधिय गुण होते है, जो की गाय के घी के इलावा अन्य घी में नहीं मिलते । गाय के घी से बेहतर कोई दूसरी चीज नहीं है। गाय के घी में वैक्सीन एसिड, ब्यूट्रिक एसिड, बीटा-कैरोटीन जैसे माइक्रोन्यूट्रींस मौजूद होते हैं। जिस के सेवन करने से कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से बचा जा सकता है। गाय के घी से उत्पन्न शरीर के माइक्रोन्यूट्रींस में कैंसर युक्त तत्वों से लड़ने की क्षमता होती है।यदि आप गाय के 10 ग्राम घी से हवन अनुष्ठान (यज्ञ,) करते हैं तो इसके परिणाम स्वरूप वातावरण में लगभग 1 टन ताजा ऑक्सीजन का उत्पादन कर सकते हैं। यही कारण है कि मंदिरों में गाय के घी का दीपक जलाने कि तथा , धार्मिक समारोह में यज्ञ करने कि प्रथा प्रचलित है। इससे वातावरण में फैले परमाणु विकिरणों को हटाने की अदभुत क्षमता होती है।


                                                                                                                - By Gagan Sharma Bharti

Tuesday, October 22, 2013

Shaheed Ashraf Ul Khan ( अशफ़ाक उल्ला खां )

एक महान स्वतंत्रता सेनानी को उसके जन्मदिन पर स्रधांजलि........
अशफ़ाक उल्ला खां एक निडर और प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी थे और उर्दू भाषा के एक बेहतरीन कवि भी थे, अशफ़ाक उल्ला खां का जन्म आज ही के दिन 22 अक्टूबर, 1900 को शाहजहांपुर उप्र में हुआ था, चार भाइयों में अशफ़ाक सबसे छोटे थे. इनके बड़े भाई रियायत उल्ला खां, राम प्रसाद बिस्मिल के सहपाठी थे आगे चलकर दोनों के बीच दोस्ती का गहरा संबंध विकसित हुआ आर्य समाज के एक सक्रिय सदस्य और समर्पित हिंदू राम प्रसाद बिस्मिल अन्य धर्मों के लोगों को भी बराबर सम्मान देते थे. वहीं दूसरी ओर एक कट्टर मुसलमान परिवार से संबंधित अशफ़ाक उल्ला खां भी ऐसे ही स्वभाव वाले थे जल्द ही अशफ़ाक, राम प्रसाद बिस्मिल के विश्वासपात्र बन गए. धीरे-धीरे इनकी दोस्ती भी गहरी होती गई. फिर हुआ काकोरी कांड,,,, 9 अगस्त, 1925 को राम प्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में अशफ़ाक उल्ला खां समेत आठ अन्य क्रांतिकारियों ने इस ट्रेन को लूटा राम प्रसाद बिस्मिल अपने साथियों के साथ पकड़े गए लेकिन अशफ़ाक उल्ला खां उनकी पकड़ में नहीं आए कुछ दिनों के बाद में अशफ़ाक को भी गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया और 19 दिसंबर, 1927 को एक ही दिन एक ही समय लेकिन अलग-अलग जेलों (फैजाबाद और गोरखपुर) में दो दोस्तों, राम प्रसाद बिस्मिल और अशफ़ाक उल्ला खां, को फांसी दे दी गई.उनकी आखरी दिनों की लिखी एक कविता ......

जाउगा खाली हाथ मगर ये दर्द साथ मे जायेगा ।

जाने किस दिन ये देश मेरा आजाद वतन कहलायेगा ॥
बिस्मिल हिन्दू है कहते है फिर आउगा फिर आउगा ।
फिर आकर ये भारत माँ तुझको आजाद कराउगा ॥
जी करता है मै भी कह दूँ पर मजहब से बंध जाता हूँ ।
मै मुसलमान हूँ पुनर्जन्म की बात नही कर पाता हूँ ॥
हाँ अगर मिल गया खुदा कही तो झोली फैला दूगा ।
मै जन्नत के बदले उससे फिर पुनर्जन्म ही मागूगा ॥

Thursday, October 3, 2013

Mobile phone is lost ... India

Dear friends, 

Here is an important information to share with all Mobile users..Many of us are unaware of what to do, when our mobile phone is lost....

If u lose your mobile in India, you can get it back how ? pl read following Got an interesting fact to share..
 Nowadays each one of us carries Hi-Fi Mobile devices(Smart phones) and always fear that it may be stolen.


 Each mobile carries a unique IMEI i.e. International Mobile Identity No which can be used to track your mobile anywhere in the world.This is how it works!!!!!!


1. Dial *#06# from your mobile.


2. Your mobile shows a unique 15digit.

3. Note down this no anywhere but except in your mobile as this is the No.which will help trace your mobile in case of a theft.


 4. Once stolen you just have to mail this 15 digit IMEI No. to cop@ vsnl.net


5. No need to go to police.


6. Your Mobile will be traced within next 24 hrs via a complex system of GPRS and internet.


 7. You will find where your hand set is being operated even in case your No. is being changed.


          Try UR best Luck ..TNX                         

*one more thing it works in Mobile contain tracker or should be smart phone

Friday, September 27, 2013

Matra Navami (मातृनवमी).

|| मातृ चरणकमलेभ्यो नम: ||

मातृनवमी में हमारी सब पूर्वज महिला को अवसर मिलता है। अपने खानदान के लोगो द्वारा अर्पित किये गए चीज ग्रहण करे। ।और अगर उनके सात कुछ अन्याय हुवा है थो उसकी शमा भी मिलती है जी खुल दिल से मनवॊ मातृनवमी। 
   जै माँ 

This Tithi is the most suitable day to perform mother’s Shraddha. It is believed that doing Shraddha on this Tithi appeases all deceased female members in the family. 


में कितना भाग्य्शाली हु की मेरी माँ मेरे सात है अज। …
पर जिनकी नहीं है। 
कोई बात नहीं माँ का अंश ही तो है अपना शरीर। ।
अज मातृनवमी है. 


Wednesday, April 17, 2013

Gold rate In India April 2013... What This matter


Why is gold plunging? The most important factor is that global inflation is falling, reducing gold’s value as a hedge against rising prices. Gold bugs who were betting on an outburst of inflation are scrambling to reverse their bets and exit their gold positions at any price.

For more Detail Click it SLM

Thursday, April 4, 2013

Google Glass ( गूगल ग्लास ) ...?


ये क्या है ? 
ग्रे, नारंगी, काले, सफेद, और हल्के नीले रंग में ये दुन्यिया के लिये एक अध्बुत थोफा है। ( from Google)
ध्यान से देखे इस ग्लास को,
एक Android संचालित ग्लास जो कि 720p कैमरा है, अप्पको यात्रा निर्देश और वीडियो स्ट्रीम करने के लिए अनुमति देता है, युक्ति के सामने एम्बेडेड है.
इस चश्मे को ग्लोबल मार्केट में उतरने की तयारी हो रही है। 

Google Glass Technical Specifications 

  • CPU: Single Core Processor
  • RAM: 256MB to 512MB
  • Graphics: Limited GPU
  • Camera: 720p
  • दाम लगभग 1500 $ ( 80,000 रुपे)  होने की संभावना है।

                     संस्करण धूप का चश्मा और कमजोर दृष्टि के लिए भी इस चश्मे को उत्तरा  जायेगा .....
और कुछ जानना है,
क्लिक करे इस SLM पर।  
More on  this in English  

Saturday, March 2, 2013

From Bharat to India .. मुझे भारत जाना हे !!

हमारे लिए यह जानना बहुत ही आवश्यक है भारतवर्ष का नाम भारतवर्ष कैसे पड़ा? 

एक सामान्य जनधारणा है कि महाभारत एक कुरूवंश में राजा दुष्यंत और उनकी पत्नी शकुंतला के प्रतापी पुत्र भरत के नाम पर इस देश का नाम भारतवर्ष पड़ा। लेकिन वही पुराण इससे अलग कुछ दूसरी साक्षी प्रस्तुत करता है। इस ओर हमारा ध्यान नही गया, जबकि पुराणों में इतिहास ढूंढ़कर अपने इतिहास के साथ और अपने आगत के साथ न्याय करना हमारे लिए बहुत ही आवश्यक था। तनक विचार करें इस विषय पर:-आज के वैज्ञानिक इस बात को मानते हैं कि प्राचीन काल में साथ भूभागों में अर्थात महाद्वीपों में भूमण्डल को बांटा गया था। लेकिन सात महाद्वीप किसने बनाए क्यों बनाए और कब बनाए गये। इस ओर अनुसंधान नही किया गया। अथवा कहिए कि जान पूछकर अनुसंधान की दिशा मोड़ दी गयी। लेकिन वायु पुराण इस ओर बड़ी रोचक कहानी हमारे सामने पेश करता है।

वायु पुराण की कहानी के अनुसार त्रेता युग के प्रारंभ में अर्थात अब से लगभग 22 लाख वर्ष पूर्व स्वयम्भुव मनु के पौत्र और प्रियव्रत के पुत्र ने इस भरत खंड को बसाया था। प्रियव्रत का अपना कोई पुत्र नही था इसलिए उन्होंने अपनी पुत्री का पुत्र अग्नीन्ध्र को गोद लिया था। जिसका लड़का नाभि था, नाभि की एक पत्नी मेरू देवी से जो पुत्र पैदा हुआ उसका नाम ऋषभ था। इस ऋषभ का पुत्र भरत था। इसी भरत के नाम पर भारतवर्ष इस देश का नाम पड़ा। उस समय के राजा प्रियव्रत ने अपनी कन्या के दस पुत्रों में से सात पुत्रों को संपूर्ण पृथ्वी के सातों महाद्वीपों के अलग-अलग राजा नियुक्त किया था। राजा का अर्थ इस समय धर्म, और न्यायशील राज्य के संस्थापक से लिया जाता था। राजा प्रियव्रत ने जम्बू द्वीप का शासक अग्नीन्ध्र को बनाया था। बाद में भरत ने जो अपना राज्य अपने पुत्र को दिया वह भारतवर्ष कहलाया। भारतवर्ष का अर्थ है भरत का क्षेत्र। भरत के पुत्र का नाम सुमति था। इस विषय में वायु पुराण के निम्न श्लोक पठनीय हैं—सप्तद्वीपपरिक्रान्तं जम्बूदीपं निबोधत।अग्नीध्रं ज्येष्ठदायादं कन्यापुत्रं महाबलम।।प्रियव्रतोअभ्यषिञ्चतं जम्बूद्वीपेश्वरं नृपम्।।तस्य पुत्रा बभूवुर्हि प्रजापतिसमौजस:।ज्येष्ठो नाभिरिति ख्यातस्तस्य किम्पुरूषोअनुज:।।नाभेर्हि सर्गं वक्ष्यामि हिमाह्व तन्निबोधत। (वायु 31-37, 38)

इन्हीं श्लोकों के साथ कुछ अन्य श्लोक भी पठनीय हैं जो वहीं प्रसंगवश उल्लिखित हैं। स्थान अभाव के कारण यहां उसका उल्लेख करना उचित नही होगा।हम अपने घरों में अब भी कोई याज्ञिक कार्य कराते हैं तो उसमें पंडित जी संकल्प कराते हैं। उस संकल्प मंत्र को हम बहुत हल्के में लेते हैं, या पंडित जी की एक धार्मिक अनुष्ठान की एक क्रिया मानकर छोड़ देते हैं। लेकिन उस संकल्प मंत्र में हमें वायु पुराण की इस साक्षी के समर्थन में बहुत कुछ मिल जाता है। जैसे उसमें उल्लेख आता है-जम्बू द्वीपे भारतखंडे आर्याव्रत देशांतर्गते….। 

ये शब्द ध्यान देने योग्य हैं। इनमें जम्बूद्वीप आज के यूरेशिया के लिए प्रयुक्त किया गया है। इस जम्बू द्वीप में भारत खण्ड अर्थात भरत का क्षेत्र अर्थात ‘भारतवर्ष’ स्थित है, जो कि आर्याव्रत कहलाता है। इस संकल्प के द्वारा हम अपने गौरवमयी अतीत के गौरवमयी इतिहास का व्याख्यान कर डालते हैं।

अब प्रश्न आता है शकुंतला और दुष्यंत के पुत्र भरत से इस देश का नाम क्यों जोड़ा जाता है? इस विषय में हमें ध्यान देना चाहिए कि महाभारत नाम का ग्रंथ मूलरूप में जय नाम का ग्रंथ था, जो कि बहुत छोटा था लेकिन बाद में बढ़ाते बढ़ाते उसे इतना विस्तार दिया गया कि राजा विक्रमादित्य को यह कहना पड़ा कि यदि इसी प्रकार यह ग्रंथ बढ़ता गया तो एक दिन एक ऊंट का बोझ हो जाएगा। इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि इस ग्रंथ में कितना घाल मेल किया गया होगा। अत: शकुंतला, दुष्यंत के पुत्र भरत से इस देश के नाम की उत्पत्ति का प्रकरण जोडऩा किसी घालमेल का परिणाम हो सकता है। जब हमारे पास साक्षी लाखों साल पुरानी है और आज का विज्ञान भी यह मान रहा है कि धरती पर मनुष्य का आगमन करोड़ों साल पूर्व हो चुका था, तो हम पांच हजार साल पुरानी किसी कहानी पर क्यों विश्वास करें?

दूसरी बात हमारे संकल्प मंत्र में पंडित जी हमें सृष्टिï सम्वत के विषय में भी बताते हैं कि अब एक अरब 96 करोड़ आठ लाख तिरेपन हजार एक सौ तेरहवां वर्ष चल रहा है। बात तो हम एक एक अरब 96 करोड़ आठ लाख तिरेपन हजार एक सौ तेरह पुरानी करें और अपना इतिहास पश्चिम के लेखकों की कलम से केवल पांच हजार साल पुराना पढ़ें या मानें तो यह आत्मप्रवंचना के अतिरिक्त और क्या है? जब इतिहास के लिए हमारे पास एक से एक बढ़कर साक्षी हो और प्रमाण भी उपलब्ध हो, साथ ही तर्क भी हों तो फिर उन साक्षियों, प्रमाणों और तर्कों केआधार पर अपना अतीत अपने आप खंगालना हमारी जिम्मेदारी बनती है।

हमारे देश के बारे में वायु पुराण में ही उल्लिखित है कि हिमालय पर्वत से दक्षिण का वर्ष अर्थात क्षेत्र भारतवर्ष है। इस विषय में देखिए वायु पुराण क्या कहता है—-हिमालयं दक्षिणं वर्षं भरताय न्यवेदयत्।तस्मात्तद्भारतं वर्ष तस्य नाम्ना बिदुर्बुधा:।।

हमने शकुंतला और दुष्यंत पुत्र भरत के साथ अपने देश के नाम की उत्पत्ति को जोड़कर अपने इतिहास को पश्चिमी इतिहासकारों की दृष्टि से पांच हजार साल के अंतराल में समेटने का प्रयास किया है। यदि किसी पश्चिमी इतिहास कार को हम अपने बोलने में या लिखने में उद्घ्रत कर दें तो यह हमारे लिये शान की बात समझी जाती है, और यदि हम अपने विषय में अपने ही किसी लेखक कवि या प्राचीन ग्रंथ का संदर्भ दें तो रूढि़वादिता का प्रमाण माना जाता है । यह सोच सिरे से ही गलत है। 

अब आप समझें राजस्थान के इतिहास के लिए सबसे प्रमाणित ग्रंथ कर्नल टाड का इतिहास माना जाता है। हमने यह नही सोचा कि एक विदेशी व्यक्ति इतने पुराने समय में भारत में आकर साल, डेढ़ साल रहे और यहां का इतिहास तैयार कर दे, यह कैसे संभव है? विशेषत: तब जबकि उसके आने के समय यहां यातायात के अधिक साधन नही थे और वह राजस्थानी भाषा से भी परिचित नही था। तब ऐसी परिस्थिति में उसने केवल इतना काम किया कि जो विभिन्न रजवाड़ों के संबंध में इतिहास संबंधी पुस्तकें उपलब्ध थीं उन सबको संहिताबद्घ कर दिया। इसके बाद राजकीय संरक्षण में करनल टाड की पुस्तक को प्रमाणिक माना जाने लगा। जिससे यह धारणा रूढ हो गयीं कि राजस्थान के इतिहास पर कर्नल टाड का एकाधिकार है। ऐसी ही धारणाएं हमें अन्य क्षेत्रों में भी परेशान करती हैं। 

अपने देश के इतिहास के बारे में व्याप्त भ्रांतियों का निवारण करना हमारा ध्येय होना चाहिए। अपने देश के नाम के विषय में भी हमें गंभी चिंतन करना चाहिए, इतिहास मरे गिरे लोगों का लेखाजोखा नही है, जैसा कि इसके विषय में माना जाता है, बल्कि इतिहास अतीत के गौरवमयी पृष्ठों और हमारे न्यायशील और धर्मशील राजाओं के कृत्यों का वर्णन करता है। 

‘वृहद देवता’ ग्रंथ में कहा गया है कि ऋषियों द्वारा कही गयी पुराने काल की बात इतिहास है। ऋषियों द्वारा हमारे लिये जो मार्गदर्शन किया गया है उसे तो हम रूढिवाद मानें और दूसरे लोगों ने जो हमारे लिये कुछ कहा है उसे सत्य मानें, यह ठीक नही। इसलिए भारतवर्ष के नाम के विषय में व्याप्त भ्रांति का निवारण किया जाना बहुत आवश्यक है। इस विषय में जब हमारे पास पर्याप्त प्रमाण हैं तो भ्रांति के निवारण में काफी सहायता मिल जाती है। इस सहायता के आधार पर हम अपने अतीत का गौरवमयी गुणगान करें, तो सचमुच कितना आनंद आएगा? 
मुग़ल की देन : हिंदुस्तान


अंग्रेजो की देन : INDIA

हम खुस हे ,

मुझे तो ये विश्वास नहीं होता है ,की  जिन लोगो ने हमारे देश को खुशहली से उठाकर बरबाद कर दिया,
हम उसके दिये नाम पे जी रहे है ।

// मुझे मेरा भारत वापस चाहिये \\

घाव के तीखे नीसां , हमशे छीपाती है माँ
बचे खाकर खुद ,ताज्जा खिलाती है माँ

मूषकिलो से लड़ कर ,हमको जिलाती है माँ
जिमेदारिया लेकर, हमको हस्हती है माँ
अंधकार में फसे जब जब हम , रोषनी कर दिषा दिखाती है माँ
और जब आई पारी हमारी तो , कोन  है माँ।...

वोही माँ भारती जो हम भारतीयों को कई हजारो वर्षो से पाल पोस रही है ।
हमने उनके  लिए क्या किया ...
में अकले ऐक से जो भी हो सकेगा में वो करूंगा ...भारत माँ के लिए

बहुत आसन है ।
बस आछे लोगोका सात देते रहो ..स्वदेशी अपनावो 

Wednesday, May 11, 2011

One Should know .... Every Bhartiya (भारत )


 ''अपनी भारत की संस्कृति को पहचाने "
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दो पक्ष --------------------- कृष्ण पक्ष एवं शुक्ल पक्ष !

तीन ऋण --------- देव ऋण, पित्र ऋण एवं ऋषित्रण !

चार युग - सतयुग ,त्रेता युग , द्वापरयुगएवं कलयुग !

चार धाम - द्वारिका , बद्रीनाथ, जगन्नाथ पूरी एवं रामेश्वरम धाम !

चारपीठ - शारदा पीठ ( द्वारिका ), ज्योतिष पीठ ( जोशीमठ बद्रिधाम),
गोवर्धन पीठ ( जगन्नाथपुरी ) एवं श्रन्गेरिपीठ !

चर वेद------------- ऋग्वेद , अथर्वेद, यजुर्वेद एवं सामवेद !

चार आश्रम ---------ब्रह्मचर्य , गृहस्थ , बानप्रस्थ एवं संन्यास !

चार अंतःकरण ---- मन , बुद्धि , चित्त, एवं अहंकार !

पञ्च गव्य -- -------गाय का घी , दूध , दही , गोमूत्र एवं गोबर , !

पञ्च देव ----------- गणेश , विष्णु , शिव , देवी और सूर्य !

पंच तत्त्व ---------- प्रथ्वी , जल , अग्नि , वायु एवं आकाश !

छह दर्शन ---------- वैशेषिक , न्याय , सांख्य, योग , पूर्व मिसांसा एवं दक्षिण मिसांसा !

सप्त ऋषि -           विश्वामित्र , जमदाग्नि , भरद्वाज , गौतम , अत्री , वशिष्ठ और कश्यप!

सप्त पूरी -----------अयोध्या पूरी , मथुरा पूरी , माया पूरी ( हरिद्वार ) , कशी , कांची
                               ( शिन कांची - विष्णु कांची ) , अवंतिका और द्वारिका पूरी !

आठ योग ----------यम , नियम, आसन , प्राणायाम , प्रत्याहार , धारणा , ध्यान एवं समाधी !

आठ लक्ष्मी ------- आग्घ ,विद्या , सौभाग्य , अमृत , काम , सत्य , भोग ,एवं योग लक्ष्मी !

नव दुर्गा ----------- शैल पुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायिनी, कालरात्रि, 
                             महागौरी एवं सिद्धिदात्री !

दस दिशाएं -------- पूर्व , पश्चिम , उत्तर , दक्षिण , इशान , नेत्रत्य , वायव्य आग्नेय ,
                             आकाश एवं पाताल !

मुख्या ग्यारह अवतार - मत्स्य , कच्छप , बराह , नरसिंह , बामन , परशुराम ,
                                    श्री राम , कृष्ण , बलराम , बुद्ध , एवं कल्कि !

बारह मास ----------चेत्र , वैशाख , ज्येष्ठ ,अषाड़ , श्रावन , भाद्रपद , अश्विन , कार्तिक ,
                              मार्गशीर्ष . पौष , माघ , फागुन !

बारह राशी ---------- मेष ,ब्रषभ ,मिथुन , कर्क , सिंह ,कन्या, ,तुला , ब्रश्चिक ,धनु , मकर , 
                               कुम्भ ,एवं कन्या !

बारह ज्योतिर्लिंग - सोमनाथ , मल्लिकर्जुना , महाकाल , ओमकालेश्वर , बैजनाथ , रामेश्वरम , विश्वनाथ ,                                   त्रियम्वाकेश्वर, केदारनाथ , घुष्नेश्वर , भीमाशंकर एवं नागेश्वर !

पंद्रह तिथियाँ ------ प्रतिपदा , द्वतीय , तृतीय , चतुर्थी , पंचमी , षष्ठी , सप्तमी , अष्टमी , नवमी , दशमी ,                                     एकादशी , द्वादशी, त्रयोदशी , चतुर्दशी , पूर्णिमा , अमावश्या !

स्म्रतियां ----------- मनु , विष्णु, अत्री , हारीत , याज्ञवल्क्य , उशना , अंगीरा , यम , आपस्तम्ब , सर्वत ,                                         कात्यायन , ब्रहस्पति , पराशर , व्यास , शांख्य , लिखित , दक्ष , शातातप , वशिष्ठ