Monday, July 22, 2019

इल्लुमिनाति का भारत मे सामाजिक षणयंत्र।

हिन्दुओ के धर्म ग्रंथों और प्राचीन इतिहास पर संविधान के माध्यम से प्रतिबंध और 1858 Indian Education act द्वारा गुरुकुलों एवं संस्कृत भाषा का अंत।

संविधान की धारा 28,29,30A की धाराओं में साफ लिखा हुआ है की मुस्लिम मदरसे और इसाई स्कूल में कुरान बाइबिल पढ़ाया जा सकता है लेकिन किसी भी हिंदी स्कूल में वेद, गीता या रामायण,पुराण नहीं पढ़ाया जा सकता।

ऐसा मैं नहीं कह रहा, यह संविधान की धारा 28, 29, 30A में लिखा है।

यह पूरी तरह हिन्दूओ की सनातन संस्कृति को नष्ट करने का षड्यंत्र है इसे लागू करने में इल्लु ऐजेंट्स सफल भी हो गए।

भारत की देशी शिक्षा व्यवस्था को नष्ट करने के उद्देश्य से ही सन 1858 में Indian Education Act की रूपरेखा बनाई गई थी जिसके अनुसार कान्वेंट स्कूल और इस्लामिक मदरसे तो चलाये जाएंगे पर सनातनी गुरुकुल और संस्कृत भाषा खत्म किये जायेंगे।

इसकी ड्राफ्टिंग इल्लु एजेंट ‘लोर्ड मैकोले’ ने की थी लेकिन उसके पहले उसने यहाँ (भारत) के
शिक्षा व्यवस्था का सर्वेक्षण कराया था उसके पहले भी कई अंग्रेजों ने भारत के शिक्षा व्यवस्था के बारे में अपनी रिपोर्ट दी थी।
मैकाले का एक अंग्रेज अधिकारी था G.W. Litnar और दूसरा था Thomas Munro दोनों ने अलग अलग इलाकों का अलग-अलग समय सर्वे किया था 1823 के आसपास की बात है ये Litnar जिसने उत्तर भारत का सर्वे किया था।
उसने लिखा है कि यहाँ 97% साक्षरता है और Munro जिसने दक्षिण भारत का सर्वे किया था उसने लिखा कि यहाँ तो 100 % साक्षरता है।
उस समय जब भारत में इतनी साक्षरता थी तब मैकोले का स्पष्ट कहना था कि भारत को हमेशा-हमेशा के लिए अगर गुलाम बनाना है और सनातन संस्कृति का अंत करना हो तो इनकी “देशी और सनातनी सांस्कृतिक शिक्षा व्यवस्था” को पूरी तरह से ध्वस्त करना होगा और उसकी जगह “अंग्रेजी शिक्षा व्यवस्था” लानी होगी और तभी इस देश में शरीर से सनातनी हिन्दू लेकिन दिमाग से अंग्रेज पैदा होंगे । और जब इस देश की यूनिवर्सिटी से निकलेंगे तो हमारे हित में काम करेंगे और मैकाले ने एक मुहावरा इस्तेमाल किया कि "जैसे किसी खेत में कोई फसल लगाने के पहले पूरी तरह जोत दिया जाता है वैसे ही भारत को जोतना होगा और अंग्रेजी शिक्षा व्यवस्था लानी होगी ।"                          इसलिए उसने 1858 के Act में सबसे पहले गुरूकुलों को गैरकानूनी घोषित किया जब गुरूकुल गैरकानूनी हो गये तो उनको मिलने वाली सहायता जो समाज के तरफ से होती थी वो गैरकानूनी हो गयी और ठप कर दी गयी । फिर संस्कृत भाषा को गैरकानूनी घोषित किया गया और देश के सारे गुरूकुलों को घूम-घूम कर खत्म कर दिया गया , उनमें आग लगा दी गई और उसमें पढ़ाने वाले गुरूओं को मारा-पीटा जेल में डाल दिया गया । 1850 तक इस देश में '7 लाँख 32 हजार ' गुरूकुल हुआ करते थे और उस समय देश में लगभग इतने गाँव भी थे '7 लाँख 50 हजार ' मतलब हर गाँव में औसतन एक गुरूकुल और ये जो गुरूकुल होते थे, वो सब के सब आज की भाषा में 'Higher Learning Institute ' हुआ करते थे उन सबमें 18 विषय पढ़ाया जाता था और ये गुरूकुल समाज के लोग मिलकर चलाते थे न कि राजा, महाराजा और इन गुरूकुलों में शिक्षा निःशुल्क दी जाती थी । इस तरह से इल्लु के इशारे पर सारे गुरूकुलों को खत्म कर दिया गया और फिर अंग्रेजी शिक्षा को कानूनी घोषित किया गया, कलकत्ता में पहला कॉन्वेन्ट कॉन्वेन्ट स्कूल खोला गया । उस समय इसे 'फ्री स्कूल' कहा जाता था इसी कानून के तहत भारत में कलकत्ता यूनिवर्सिटी बनाईं गयी । बम्बई यूनिवर्सिटी बनाईं गयी, मद्रास यूनिवर्सिटी बनाईं गयी और ये तीनों गुलामी के जमाने के यूनिवर्सिटी आज भी इस देश में हैं । भारत में आज साफ-साफ उस एक्ट का षड्यंत्र समझ आ रहा है यही कारण है कि हमें अपनी भाषा बोलने में शर्म आती है । अंग्रेजी में इसलिए बोलते हैं कि दूसरों पर रोब पड़ेगा, हम लोग तो खुद में हीन हो गये जिसे अपनी भाषा बोलने में शर्म आ रही है दूसरों पर क्यां रोब पड़ेगा ?                                              लोगों का तर्क है कि अंग्रेजी अंतर्राष्ट्रीय भाषा है तो दुनिया में 204 देश है और अंग्रेजी सिर्फ 11 देशों में बोली, पढ़ी और समझी जाती है?                                फिर ये कैसे अंतर्राष्ट्रीय भाषा है, शब्दों के मामले में भी अंग्रेजी समृद्ध नहीं दरिद्र भाषा है, इन अंग्रेजों की जो बाईबल है वो भी अंग्रेजी में नहीं थी और ईसा मसीह अंग्रेजी नहीं बोलते थे  !            ईसा मसीह की भाषा और बाइबिल की भाषा अमरेक थी अमरेक भाषा की लिपि जो थी वो हमारे बंगला भाषा से मिलती-जुलती है । समय के कालचक्र में वो भाषा विलुप्त हो गयी सयुक्त राष्ट्र संघ जो अमेरिका में है वहां की अंग्रेजी नही वहां का सारा काम फ्रेंच में होता है ।                                               जो समाज अपनी मातृभाषा और संस्कृति से कट जाता है उसका कभी भला नहीं होता और यही इल्लु की रणनीति थी, जो 200 वर्षिय रणनीति थी । अब इसका समय पूरा होने वाला है आज सनातन संस्कृति की दुर्दशा को देख लीजिए ।                                     आखिर किसके इशारे पर संविधान में धारा 28, 29, 30A हिन्दू विरोधी एक्ट को जगह दी गई ? जबकि संविधान निर्माता ज्यादातर हिन्दू थे ??                        आखिर किसके इशारे पर 1947 में 39000 बचे गुरूकुलों को 34 की संख्या में पहुँचा दिया गया ??                                               पहचानिये पर्दे के पीछे बैठे खिलाड़ियों को ?                                संज्ञानात्मक                                        😷😷😷🧐🧐🧐😇😇😇

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