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Tuesday, January 2, 2018

टाईम निकाल कर एक बार अवश्य पढ़े

```एक बड़े मुल्क के राष्ट्रपति के बेडरूम की खिड़की सड़क की ओर खुलती थी। रोज़ाना हज़ारों आदमी और वाहन उस सड़क से गुज़रते थे। राष्ट्रपति इस बहाने जनता की परेशानी और दुःख-दर्द को निकट से जान लेते।

राष्ट्रपति ने एक सुबह खिड़की का परदा हटाया। भयंकर सर्दी। आसमान से गिरते रुई के फाहे। दूर-दूर तक फैली सफ़ेद चादर। अचानक उन्हें दिखा कि बेंच पर एक आदमी बैठा है। ठंड से सिकुड़ कर गठरी सा होता हुआ ।

राष्ट्रपति ने पीए को कहा -उस आदमी के बारे में जानकारी लो और उसकी ज़रूरत पूछो।

दो घंटे बाद पीए ने राष्ट्रपति को बताया - सर, वो एक भिखारी है। उसे ठंड से बचने के लिए एक अदद कंबल की ज़रूरत है।

राष्ट्रपति ने कहा -ठीक है, उसे कंबल दे दो।

अगली सुबह राष्ट्रपति ने खिड़की से पर्दा हटाया। उन्हें घोर हैरानी हुई। वो भिखारी अभी भी वहां जमा है। उसके पास ओढ़ने का कंबल अभी तक नहीं है।

राष्ट्रपति गुस्सा हुए और पीए से पूछा - यह क्या है? उस भिखारी को अभी तक कंबल क्यों नहीं दिया गया?

पीए ने कहा -मैंने आपका आदेश सेक्रेटरी होम को बढ़ा दिया था। मैं अभी देखता हूं कि आदेश का पालन क्यों नहीं हुआ।

थोड़ी देर बाद सेक्रेटरी होम राष्ट्रपति के सामने पेश हुए और सफाई देते हुए बोले - सर, हमारे शहर में हज़ारों भिखारी हैं। अगर एक भिखारी को कंबल दिया तो शहर के बाकी भिखारियों को भी देना पड़ेगा और शायद पूरे मुल्क में भी। अगर न दिया तो आम आदमी और मीडिया हम पर भेदभाव का इल्ज़ाम लगायेगा।

राष्ट्रपति को गुस्सा आया - तो फिर ऐसा क्या होना चाहिए कि उस ज़रूरतमंद भिखारी को कंबल मिल जाए।

सेक्रेटरी होम ने सुझाव दिया -सर, ज़रूरतमंद तो हर भिखारी है। आपके नाम से एक 'कंबल ओढ़ाओ, भिखारी बचाओ' योजना शुरू की जाये। उसके अंतर्गत मुल्क के सारे भिखारियों को कंबल बांट दिया जाए।

राष्ट्रपति खुश हुए। अगली सुबह राष्ट्रपति ने खिड़की से परदा हटाया तो देखा कि वो भिखारी अभी तक बेंच पर बैठा है। राष्ट्रपति आग-बबूला हुए। सेक्रेटरी होम तलब हुए।

उन्होंने स्पष्टीकरण दिया -सर, भिखारियों की गिनती की जा रही है ताकि उतने ही कंबल की खरीद हो सके।

राष्ट्रपति दांत पीस कर रह गए। अगली सुबह राष्ट्रपति को फिर वही भिखारी दिखा वहां। खून का घूंट पीकर रहे गए वो।
सेक्रेटरी होम की फ़ौरन पेशी हुई।

विनम्र सेक्रेटरी ने बताया -सर, ऑडिट ऑब्जेक्शन से बचने के लिए कंबल ख़रीद का शार्ट-टर्म कोटेशन डाला गया है। आज शाम तक कंबल ख़रीद हो जायेगी और रात में बांट भी दिए जाएंगे।

राष्ट्रपति ने कहा -यह आख़िरी चेतावनी है। अगली सुबह राष्ट्रपति ने खिड़की पर से परदा हटाया तो देखा बेंच के इर्द-गिर्द भीड़ जमा है। राष्ट्रपति ने पीए को भेज कर पता लगाया।

पीए ने लौट कर बताया -कंबल नहीं होने के कारण उस भिखारी की ठंड से मौत हो गयी है।

गुस्से से लाल-पीले राष्ट्रपति ने फौरन से सेक्रेटरी होम को तलब किया।

सेक्रेटरी होम ने बड़े अदब से सफाई दी -सर, खरीद की कार्यवाही पूरी हो गई थी। आनन-फानन में हमने सारे कंबल बांट भी दिए। मगर अफ़सोस कंबल कम पड़ गये।

राष्ट्रपति ने पैर पटके -आख़िर क्यों? मुझे अभी जवाब चाहिये।

सेक्रेटरी होम ने नज़रें झुकाकर बोले: श्रीमान पहले हमने कम्बल अनुसूचित जाती ओर जनजाती के लोगो को दिया. फिर अल्पसंख्यक लोगो को. फिर ओ बी सी ... करके उसने अपनी बात उनके सामने रख दी. आख़िर में जब उस भिखारी का नंबर आया तो कंबल ख़त्म हो गए।

राष्ट्रपति चिंघाड़े -आखिर में ही क्यों?

सेक्रेटरी होम ने भोलेपन से कहा -सर, इसलिये कि उस भिखारी की जाती ऊँची थी और  वह आरक्षण की श्रेणी में नही आता था, इसलिये उस को नही दे पाये ओर जब उसका नम्बर आया तो कम्बल ख़त्म हो गये.

नोट : वह बड़ा मुल्क भारत है जहाँ की योजनाएं इसी तरह चलती हैं और कहा जाता है कि भारत में सब समान हैं सबका बराबर का हक़ है।

- किसी ने फ़ॉर्वर्ड किया था अच्छा लगा है इसलिए आपके साथ सांझा कर रहा हूँ।.... इतना फारवर्ड करो की लोगों की आंखें खुल जायें।

        जय भारत.............

Sunday, November 12, 2017

महासती महारानी पद्मिनी

सबसूँ पहली निवण करूँ,तीर्थराज चितौड़ !
चारूँ धाम ज्यूँ पवित्र,धिन धिन है आ ठौड़ !!

संत-सति अर सूरमा,जल्मया लाख-करोड़ !
सबही दुर्ग में बाँको है,जय जय गढ़ चितौड़ !!

हिन्दुस्तान रौ गौरव है ओ,चित्रकूट चितौड़ !
तिलक करूँ इण माटी सूँ,चंदन री आ ठौड़ !!

सौलह हज़ार पद्मणीयाँ,सत् री चुन्दड़ औढ़ !
जौहर करनें गयी स्वर्ग में,है वो हिज चितौड़!!

गौरा-बादल रे बलिदान रौ,नीं है कोई तौड़ !
बप्पारावल री कर्मभोम,बाँको है ओ चितौड़!!

कुम्भा राखी कीर्त इणरी,नव-खंड नें जौड़ !
साँगा वाली सूरवीरता,भूले नीं ओ चितौड़ !!

साँवरिया नें मौयो मीराँ,सागे इण हिज ठौड़!
दुजो जौहर करुणावति रो,रंग थनें चितौड़ !!

जैम्मल-पता गरजीया,राणा उदे री ठौड़ !
कल्लाजी रौ न्यारो जस,गावे ओ चितौड़ !!

आज़ादी री अलख जगायी,छौड़नें आ ठौड़ !
प्रताप रौ जस गौरव है,जूग़ जूग़ सूँ चितौड़ !

ख़िलजी नें अकबरिया रे,राख नी आयी हाथ!
मिनख मराया आपरा,नम्यो न मेवाड़ी नाथ !!

हिंदुस्थान रौ मान है ओ,गढ़ में गढ़ चितौड़ !
गौरवशाली इतिहास है,क्षत्रियों रो सिरमौड़ !!

पग पग माथे वीर हुया,सतियाँ हुयी अनेक !
इण माथे तो आज तक,फ़िल्म बणी न ऐक !!

लीला थूँ ग़ज़ब जायो,संजय जैड़ो ओ पूत !
फ़िल्म बनायी पद्मणी पर,सौ टका ही झूट !!

साँच बतादे तूँ लीलकी,कूण है इणरो बाप !
सौगन थनें उण बिंद री,नाँव न ज़ाणे तूँ आप!!

बोली लीला सूँण 'शक्ति' कहूँ बात मैं आज !
पातरियाँ रे बिंद नी होवे,रेवण दे तूँ ओ राज!!

याद राखजे संज्या थूँ ,केवूँ थनें मैं आज !
नाँव थारे पर थूकसी,आ जा तूँ अब बाज़ !!

इण फ़िल्म सूँ जो आवसी,खोटो है वो धन !
सति पद्मण रौ श्राप है,कीड़ा पड़सी तन !!

कीड़ा पड़सी तन में,मिलसी नरक में ठौड़ !
थारी पिढ़याँ भुगतसी,होसी सबरे कौड़ !!

आ वीरां रो गौरव गायो,शक्तिसिंह राठौड़ !
शेयर आप सबनें करो,अरज़ करूँ कर जौड़!!
     ✍
डॉ.शक्तिसिंह चाँदावत
लेखक,इतिहासकार,कवि व पर्यटक गाइड
जोधपुर(राज़.)

Wednesday, October 11, 2017

Hindi Best Thoghts

एक बेहतरीन इंसान अपनी ज़ुबान से ही पहचाना जाता है,

वरना अच्छी बातें तो दीवारों पे भी लिखी होती है,

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जब मेहनत करने के बाद भी सपने पूरे नहीं होते;
तो रास्ते बदलिए , "सिंद्धात नहीं"....
क्योंकि पेड़ भी हमेशा पत्ते बदलता हैं जड़ नहीं.....!!

" गीता " मे  साफ  शब्दो मे लिखा है , निराश मत होना कमजोर तेरा वक्त है " तु " नही !
 
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उपकारोऽपि नीचानाम् अपकारो ही जायते |
पयः पानं भुजङ्गानाम् केवलं विषवर्धनम् ||

  भावार्थ-- दुष्ट व्यक्ति का भला करने पर भी स्वयं को ठीक उसी प्रकार क्षति ही पहुँचती है, जिस प्रकार सर्प को दूध पिलाने से केवल उसका विष बढ़ता है।

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आंखे कितनी भी छोटी क्यो ना हो !!
       ताकत तो उसमे सारा
            आसमान देखने
               की होती है 
        ज़िन्दगी एक हसीन
    ख़्वाब है ,, ,, जिसमें जीने
      की चाहत होनी चाहिये
          ग़म खुद ही ख़ुशी
           में बदल जायेंगे
                  सिर्फ
               मुस्कुराने
                   की
                  आदत
              होनी चाहिये!!

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घर में एक चलती बोलती लक्ष्मी पानी भरती है

अन्नपूर्णा बनके भोजन बनाती है

गृहलक्ष्मी बन कर कुटुम्ब सम्भालती है

सरस्वती बन कर बच्चों को शिक्षा देती है

दुर्गा बनकर संकटों का सामना करती है

कालिका, चण्डी बन कर घर का रक्षण करती है

उसकी पूजा ना सही परंतु स्त्री होने का सम्मान ज़रूरी है

देवी को मंदिर में ही नहीं अपने मन में भी बसाइए

मूर्ति के साथ जीवित स्त्री का भी आदर करें इसी में नवरात्रि उत्सव का सही सार है.

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इंसान की  अच्छाई  पर,
       सब खामोश  रहते हैं...

चर्चा अगर उसकी बुराई पर हो,
   तो गूँगे भी बोल पड़ते हैं..!!!

          जो आनंद अपनी
    छोटी पहचान बनाने मे है,
          वो किसी बड़े की
      परछाई बनने मे नही है.
      
    संघर्ष पिता से सीखे...!
संस्कार माँ से सीखे...!!

बाकी सब कुछ दुनिया सिखा देगी...!!!

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